दक्षिण कोरिया (South Korea) और अयोध्या, भारत (Ayodhya, India) के बीच सदियों पुराना रिश्ता है. सदियों पहले ही दोनों क्षेत्रों में राजनैतिक संबंध बन गये थे. अयोध्या को श्री राम जन्मभूमि (Shree Ram Janmabhoomi) के लिये ही जाना जाता है लेकिन दक्षिण कोरिया (South Korea) के लोगों के लिये भी इस स्थान का काफ़ी महत्त्व है.

सैंकड़ों दक्षिण कोरियाई (South Koreans) हर साल अयोध्या आते हैं. उनका मानना है कि अयोध्या की राजकुमारी, सुरीरत्ना (Suriratna) ने दक्षिण कोरिया के राजा से विवाह किया था और एक वंश की शुरुआत की थी.   

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ये है कहानी 

BBC के लेख की मानें तो दक्षिण कोरिया के इतिहास के अनुसार, लगभग 2000 साल पहले राजकुमारी सुरीरत्ना या Heo Hwang-ok ने दक्षिण कोरिया के एक राजा से विवाह किया और Karak वंश की शुरुआत की. चीन की भाषा में लिखीं कुछ कहानियों के अनुसार, अयोध्या के राजा के सपने में ईश्वर आये और आदेश दिया कि वो अपनी 16 वर्षीय राजकुमारी को दक्षिण कोरिया भेजें ताकि वो राजा King Kim Suro से विवाह कर सकें.

दक्षिण कोरिया की ऐतिहासिक कहानियों की किताब Samguk Yusa में रानी Heo Hwang-ok का ज़िक्र मिलता है. इस किताब में लिखा है कि रानी Heo ‘Ayuta’ यानि अयोध्या राज्य से थी. किताब के अनुसार राजा Suro और रानी Hwang-ok को 10 बेटे हुये और राजा-रानी 150 साल से ज़्यादा उम्र तक जीवित रहे.   

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दक्षिण कोरिया में संतान अपने पिता का नाम ही रखती है. राजा Kim Suro को Kim वंश का जनक माना जाता है. कहा जाता है कि रानी इस बात से दुखी थी तो राजा ने 2 बेटों को रानी का नाम Heo लगाने की अनुमति दी. राजा-रानी के आज कोरिया में 6 मिलियन से ज़्यादा वंशज हैं.  

Karak वंश के लोगों ने राजकुमारी सुरीरत्ना द्वारा समुद्री यात्रा के दौरान इस्तेमाल किये गये पत्थरों को भी संभाल कर रखा है. दक्षिण कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति Kim Dae-jung और पूर्व प्रधानमंत्री Kim Jong-pil ख़ुद को Karak वंश का वंशज बताते हैं.  

इतिहास और किंवदंती में फ़र्क करना कठिन 

Live History India के लेख के अनुसार, सही इतिहास और किंवदंती के बीच फ़र्क करना मुश्किल है. Samguk Yusa को 1280 CE के आस-पास लिखा गया. लोगों का मानना है कि Ayuta भारत स्थित अयोध्या को ही कहा गया है लेकिन इतिहासकारों के बीच इस बात को लेकर मतांतर है. अयोध्या को पुराने समय में ‘साकेत’ कहा जाता था.

एक अन्य सिद्धांत के मुताबिक़ Ayuta, थाईलैंड का Ayutthaya राज्य भी हो सकता है. रानी Heo के रहस्य का पूरी तरह पता लगना अभी बाक़ी है. कोई ऐतिहासिक ठोस सुबूत न होने के बावजूद लाखों कोरियाई लोग अयोध्या को ही रानी की जन्मस्थली मानते हैं. 
मानव विज्ञानी (Anthropologist) Kim Byung-mo का कहना है कि Ayuta और अयोध्या एक ही हैं. हालांकि राजकुमारी के असतित्व के स्पष्ट प्रमाण अभी तक नहीं मिले हैं लेकिन लोगों का विश्वास अटल है.  

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भारत के बौद्ध भिक्षु पहुंचे कोरिया 

इतिहास को टटोलने पर पता चलता है कि बौद्ध भिक्षु और मिशनरी भारत से कोरिया गये थे. कोरिया को बौद्ध धर्म 372 CE में मिला जब एक बौद्ध पुजारी बुद्ध की तस्वीर और शास्त्र लेकर कोरिया पहुंचा. कोरिया में एक और किंवदंती प्रचलित है. कोरियाई लोगों का कहना है कि भारत से राजा ‘Ayuk’ ने बुद्ध की प्रतिमा बनाने के लिये लोहा और सोना भेजा था. कुछ लोगों का दावा है कि ये Ayuk और कोई नहीं मौर्य सम्रात अशोक था.  

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कोरियाई भी पहुंचे भारत 

कई कोरियाई भी बौद्ध ग्रंथ और शास्त्रों का अध्ययन करने के लिये भारत पहुंचे. सबसे पहले भारत पहुंचने वाले कोरियाई में से एक थे भिक्षु Kyomik जो 526 CE में संस्कृत और बौद्ध धर्म पढ़ने के लिये संकिसा (Sankisa), आगरा के पास स्थित ‘विहार’ पहुंचे. कोरियन टेक्स्ट Da-Tang-Xi-Yuji के अनुसार 646 CE में 56 कोरियन भिक्षु नालंदा विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त करने पहुंचे.  

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2001 में अयोध्या में रानी Heo का स्मारक बनाया गया.