भारत में लोग भगवान पर बहुत यकीन करते हैं. आस्था, धर्म और श्रद्धा यहां की हवा में घुला हुआ है. भारत में हर 2 किमी पर आपको मंदिर के दर्शन करने को मिल जाएंगे. यदि हम मराठा साम्राज्य के लिए प्रसिद्ध पुणे की बात करें तो यहां भी एक से बढ़कर एक शानदार मंदिर मौजूद हैं.
आइये चलते हैं पुणे में कौन कौन सी फ़ेमस मंदिर हैं?
1. श्रीमंत दगड़ूशेठ हलवाई गणपति मंदिर
ये शहर का सबसे आइकोनिक मंदिर है. ये मंदिर 100 साल से भी पुराना है. कहा जाता है कि, दगडूसेठ कर्नाटक से आया हुआ एक हलवाई था. शहर में उनकी ‘काका हलवाई’ के नाम से मिठाई की दुकान बहुत चलती थी, लेकिन उनके बेटे की मृत्यु के बाद जब उनकी पत्नी की तबियत बिगड़ने लगी तो श्री माधवनाथ महाराज ने भगवान गणेश की एक प्रतिमा लगा कर वहां मंदिर बनाने की सलाह दी. बस ये मंदिर तब से पुणे की शान बना हुआ है. दुनियाभर से लोग यहां बाप्पा का आशीर्वाद लेने आते हैं.
2. वैष्णो देवी मंदिर
वैष्णो देवी का नाम सुनते ही हमको जम्मू-कश्मीर में स्थित माता वैष्णो देवी मंदिर की याद आ जाती है. शायद ही आपको पता हो, लेकिन जम्मू वाली माता की बिलकुल हूबहू जैसी वैष्णो देवी पुणे में भी है.
3. ओमकारेश्वर मंदिर
शनिवार पेठ में स्थित ओंकारेश्वर मंदिर न केवल शहर में सबसे लोकप्रिय मंदिरों में से एक है, बल्कि सबसे पुराना भी है. मंदिर का निर्माण 1740 से 1760 के बीच पेशवाओं के आध्यात्मिक गुरु शिवराम भट ने करवाया था. मंदिर पेशवाओं की शक्ति और वीरता का प्रतिक है. चिमाजी अप्पा की समाधि भी यही हैं. यह शिव मंदिर अंदर से बहुत ही सुन्दर है.
4. इस्कॉन मंदिर
उम्मीद है इस्कॉन मंदिर से आप वाखिफ़ होंगे. ये मंदिर आपको देश के हर मुख्य राज्य या शहर में मिल जाएगा. राधा-कृष्ण का ये मंदिर बहुत सुन्दर है.
5. चतुरश्रृंगी मंदिर
पेशवाओं के शासनकाल के दौरान निर्मित ‘चतुरश्रृंगी मंदिर’ शहर का एक और प्रमुख मंदिर है. ये सेनापति बापट रोड पर स्थित है. ऊपर तक पहुंचने के लिए आपको 170 सीढ़ी चढ़नी पड़ती है. मगर वहां से शहर का जो नज़ारा है वो बेहद ही ख़ूबसूरत है.
6. तारकेश्वर मंदिर
तारकेश्वर पुणे में एक प्राचीन शिव मंदिर है. कहा जाता है कि प्राचीन मंदिर पांडव काल में बनाया गया था. 2016 तक तो ये मंदिर खंडर हो चुका था, लेकिन फिर इसे सरकार ने दोबारा बनाया.
7. पार्वती मंदिर
सदियों पहले श्रीमंत नानासाहेब को इस जगह की चिकित्सा शक्तियों के बारे में पता चला था. ऐसा कहा जाता है कि इस जगह में रोग भरने की शक्तियां हैं. उन्होंने वादा किया था कि यदि इस जगह ने उनकी बीमार मां को ठीक कर दिया तब वो यहां मंदिर का निर्माण ज़रुर करेंगे. नानासाहेब की मां ठीक हो गेन और उन्होंने पार्वती मंदिर का निर्माण किया.