आज के ईरान और 70 के दशक के ईरान में बड़ा फ़र्क है. जो मुल्क कभी आधुनिक ख़्यालों में पश्चिमी देशों को टक्कर देता था, वो आज एक रूढ़िवादी देश बनकर रह गया है. इसके पीछे वजह 1979 की इस्लामिक क्रांति थी, जिसने 1941 से चले आ रहे शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी के शासन को ख़त्म कर दिया.
उसके बाद आयतुल्लाह रुहोल्लाह ख़ोमैनी के अधीन एक लोकप्रिय धार्मिक गणतंत्र की स्थापना हुई. क्रांति के विरोधियों को कड़ी सजाएं दी गईं और शाह को देश छोड़ना पड़ा. इसी के साथ महिलाओं की आज़ादी, खुलापन और मॉर्डन विचार भी दफ़्न हो गए. जिस ईरान में महिलाएं अपनी पसंद का कोई भी कपड़ा पहन सकती थीं, वहां शरिया लागू होने के बाद हिजाब पहनना जरूरी हो गया.
ऐसे में आज हम आपके लिए क्रांति से पहले और बाद की कुछ तस्वीरें लेकर आए हैं, जिन्हें देखकर आप ईरान में महिलाओं की ज़िंदगी में हुए इस बदलाव को बखूबी समझ पाएंगे.
क्रांति से पहले का ईरान
1. तेहरान विश्वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान महिलाएं – 1977

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2. तेहरान में विंडो शॉपिंग करती महिलाएं – 1976

3. कुछ इस अंदाज़ में पिकनिक मनाती थीं महिलाएं – 1976

4. तेहरान के एक हेयर सैलून का नज़ारा – 1977

5. अंगरक्षकों से घिरे शाह (राइट साइड) से बातचीत करने की कोशिश करती महिला – 1971

6. आज ईरान में इस तरह के कपड़ों में महिलाओं को नहीं देखा जा सकता – 1976

7. 1979 से पहले ईरान में छात्राएं

8. ईरानियन पॉप ग्रुप- 1974

9. ईरानियन म्यूज़िक ग्रुप – 1970

क्रांति के बाद का ईरान
10. हिजाब के ख़िलाफ़ रैली करती महिलाएं – 1979

11. तेहरान में अमेरिकी दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन – 1979

12. शुक्रवार की नमाज़ के लिए जाता परिवार, महिलाओं को आदमियों से अलग बैठने का किया गया इंतज़ाम – 1980

13. वेस्टर्न वेडिंग ड्रेस खरीदती महिलाएं, जिन्हें वो बंद दरवाज़ों के पीछे सिर्फ़ महिलाओं की मौजूदगी में ही पहन सकती हैं – 1986

14. जो महिलाएं हिजाब नहीं पहनना चाहतीं वो सिर से पैर तक ढका कोट पहन सकती हैं, जिसमें सिर्फ़ चेहरा नज़र आता है – 2005

15. महिलाएं स्विम सूट नहीं पहन सकतीं और न ही पुरुष और महिलाएं एक साथ तैर सकते हैं. कैस्पियन सागर – 2005

16. हिजाब के समर्थन में रैली – 2005

17. महिलाओं पर आदमियों के फ़ुटबॉल मैच देखने पर कोई आधिकारिक रोक नहीं है, लेकिन फिर भी उन्होंने स्टेडियम में आने नहीं दिया जाता. ऐसे में एक शॉपिंग सेंटर से मैच देखने की कोशिश करती महिलाएं – 2008
