भारत में कई नदियां हैं और यहां नदियों को माता, देवी मानकर पूजा जाता है. गंगा, यमुना आदि नदियों के लिये स्त्रीलिंग का ही प्रयोग किया जाता है.

ब्रह्मपुत्र ही एकमात्र नदी है जिसके लिये पुल्लिंग का प्रयोग किया जाता है या फिर इसे ‘नद’ कहा जाता है. लगभग 3000 किलोमीटर की लंबाई वाला ये जलाशय एशिया की सबसे ख़ूबसूरत नदियों में से एक है. इसकी उत्पत्ति माउंट कैलाश के निकट मानसरोवर झील से होती है. Quora के लेख की मानें तो ब्रह्मपुत्र शब्द का अर्थ है, ब्रह्मा का पुत्र. ब्रह्मपुत्र को देवता मानकर पूजा जाता है, देवी नहीं. जय गंगा मैया कहा जाता है लेकिन जय ब्रह्मपुत्र मैया नहीं कहा जाता.

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क्या है इसके पीछे की वजह? 

Quora के एक यूज़र के मुताबिक़, पश्चिम की तरफ़ बहने वाले जलाशयों को ‘नद’ कहा जाता है. जो पूर्व, उत्तर या दक्षिण की तरफ़ बहते हैं, उन्हें ‘नदी’ कहा जाता है.

भारत में ज़्यादातर नदियों की तरह ब्रह्मपुत्र के साथ भी एक कहानी जुड़ी है. Heritage India के एक लेख के अनुसार, सृष्टिकर्ता ब्रह्मा, ऋषि शांतनु की पत्नी अमोघा पर मोहित हो गये. अमोघा ने ब्रह्मा को स्वीकार नहीं किया और वापस लौटा दिया. ब्रह्मा ने ऋषि शांतनु को बताया कि उस संगम से पैदा होने वाली संतान से संसार को लाभ होगा. ऋषि ने अमोघा को दोबारा विचार करने को कहा लेकिन अमोघा टस से मस नहीं हुई. ऋषि ने अपनी शक्तियों से अमोघा और ब्रह्मा का संगम करवाया और अमोघा ने पुत्र को जन्म दिया, नाम रखा गया ब्रह्मकुंड. ब्रह्मकुंड को 4 पर्वतों के बीच रखा गया और बीतते वक़्त के साथ यही ब्रह्मपुत्र बन गया. 

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ब्रह्मपुत्र की विशेषतायें 

ब्रह्मपुत्र एशिया की सबसे लंबी नदी है. एक लेख के अनुसार, तिब्बत में इसकी लंबाई, 1625 किलोमीटर है, भारत में 918 किलोमीटर और बांग्लादेश में 363 किलोमीटर. Quora के एक लेख के अनुसार, असम के लोगों की इस नदी से गहरी आस्था है. असम सभ्यता इस नदी के किनारे ही विकसित हुई.

भारत में हैं कई ‘नद’

भारत में कई नद हैं. अजय, दामोदर, रूपनारायण, पागला आदि ये सब नद हैं, नदियां नहीं. ये सभी नद पश्चिम बंगाल में हैं. महाराष्ट्र, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में भीम नद है.

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