‘जन-गण-मन अधिनायक जय हे’, ये हर भारतीय का पसंदीदा गीत है. देश का राष्ट्रगान जिसे महाकवि रविन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा था. इसकी ओरिजनल धुन भी उन्होंने ही बनाई थी मगर जो राष्ट्रगान आजकल हम सुनते हैं उसकी धुन एक स्वंतत्रता सेनानी ने तैयार की थी.

यही नहीं इन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी(आईएनए) के गीत ‘कदम-कदम बढ़ाए जा’ की धुन भी तैयार की. आज हम आपके लिए भारत के इसी स्वतंत्रता सेनानी की कहानी लेकर आए हैं.

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इस महान स्वतंत्रता सेनानी का नाम है कैप्टन राम सिंह ठाकुर. वो हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला ज़िले के खनियारा में रहने वाले थे. उन्हें बचपन से ही संगीत और सेना में जाने का शौक़ था और 14 साल की उम्र में ही वो भारतीय सेना की गोरखा राइफ़ल्स में शामिल हो गए थे.

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आज़ाद हिंद फौज में हुए शामिल

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ब्रिटिश राज में उन्होंने द्वीतीय विश्वयुद्ध में सिंगापुर में जापानियों के ख़िलाफ़ युद्ध लड़ा. मगर उनकी टुकड़ी को जापानियों ने युद्ध में हराकर बंदी बना लिया. 1942 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने इन्हीं युद्धबंदियों को छुड़ाकर इंडियन नेशनल आर्मी(आज़ाद हिंद फ़ौज) की शुरुआत की. राम सिंह ठाकुर भी उनमें से एक थे. चूंकि उन्हें संगीत का शौक था तो उन्होंने नेताजी के लिए धुन बनाकर सुनाई.

‘कदम कदम बढ़ाए जा…’ की बनाई धुन

सुभाष चंद्र बोस को ये धुन पसंद आई और राम सिंह ठाकुर को अपना वायलिन देते हुए कहा कि वो कोई ऐसी धुन बनाएं जिससे सैनिकों का हौसला बढ़े. इसके बाद उन्होंने ‘कदम कदम बढ़ाए जा…’ गीत की धुन बनाकर उनके सामने पेश की. ये धुन ऐसे तैयार की गई थी कि सैनिक इस पर आसानी से कदमताल कर सकें. ये देशभक्ति गीत देखते ही देखते पूरे भारत में छा गया.

लाल क़िले पर ‘शुभ-सुख चैन की बरखा बरसे…’ गीत की धुन बजाई

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फिर उन्होंने आईएनए के कौमी तराने ‘शुभ-सुख चैन की बरखा बरसे’ गीत की धुन तैयार की. यही वो धुन है जिसे बाद में राष्ट्रीय गान में इस्तेमाल किया है. 15 अगस्त 1947 को कैप्टन राम सिंह के नेतृत्व वाले ऑर्केस्ट्रा ने लाल क़िले पर ‘शुभ-सुख चैन की बरखा बरसे…’ गीत की धुन बजाई थी. उससे पहले इन्होंने इसे राष्ट्र पिता महात्मा गांधी को भी ये धुन सुनाई थी.

जीते कई मेडल

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आज़ादी के बाद वो पंडित जवाहर लाल नेहरू के कहने पर उत्तर प्रदेश में सब इंस्पेक्टर के रूप में लखनऊ आए और पीएसी(PAC) के बैंड मास्टर बने. उन्होंने अपने जीवन में कई मेडल भी प्राप्त किए. इनमें George VI, नेताजी गोल्ड मेडल(आज़ाद हिंद फ़ौज), उत्तर प्रदेश प्रथम राज्यपाल स्वर्ण पदक, राष्ट्रपति पुलिस पदक, यूपी संगीत नाटक अकादमी, जैसे मेडल्स शामिल हैं.

कैप्टन राम सिंह ठाकुर को आज की युवापीढ़ी भुला चुकी है. देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले और कई देशभक्ति गीतों की धुन बना चुके इस भूले-बिसरे स्वतंत्रता सेनानी को हमें फिर से याद करने की दरकार है.