भारत में शहरों, अस्पतालों और स्कूलों-कॉलेजों के नाम जनमानस की सेवा करने और अच्छाई के मार्ग पर चलने वाले महापुरुषों के नाम पर रखे जाते हैं. देश में आपने आज़ादी के क्रांतिकारियों से लेकर महापुरुषों और राजनेताओं के नाम पर कई शहर व संस्थान देखे होंगे. इतना ही नहीं हिंदू धर्म के कई भगवानों के नाम पर भी आपने कई शहरों के नाम देखे होंगे, लेकिन आज हम आपको देश के 7 ऐसे शहरों के नाम बताने जा रहे हैं जिनके नाम प्राचीन काल के राक्षसों के नाम पर रखे गए हैं.
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चलिए जानते हैं वो कौन-कौन से शहर हैं, जिनके नाम प्राचीन काल के राक्षसों के नाम पर रखे गए हैं?
1- मैसूर
मैसूर, कर्नाटक का एक ऐतिहासिक शहर है. इसका नाम ‘महिषासुर’ राक्षस के नाम पर पड़ा है. महिषासुर के समय इसे महिषा-ऊरु कहा जाता था. फिर महिषा-ऊरु बाद में महिषुरु कहा जाने लगा. महिशुरु पर राक्षस महिषासुर का शासन था, लेकिन चामुंडेश्वरी देवी ने लोगों की रक्षा के लिए राक्षस का वध कर दिया था. इसके बाद कन्नड़ में इसे मैसुरु कहा गया, जो अब मैसूर के रूप में फ़ेमस हो गया है. मैसूर की ‘चामुंडी पहाड़ी’ की चोटी पर महिषासुर की एक विशाल मूर्ति भी बनाई गई है.
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2- जालंधर
पंजाब का सबसे पुराना शहर है जालंधर. इसका नाम ‘जलंधर’ राक्षस के नाम पर पड़ा है. प्राचीन काल में ये शहर ‘जलंधर राक्षस’ की राजधानी हुआ करती थी. ये वही राक्षस था जिसकी पत्नी वृंदा के पतिव्रत के कारण उसे कोई नहीं मार सकता था. बाद में भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रत भंग कर ‘जलंधर राक्षस’ का वध किया था. हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक़ लुक लोग जालंधर शहर को भगवान राम के बेटे लव की राजधानी भी बताते हैं.
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3- गया
ये बिहार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. इसका नाम ‘गयासुर’ राक्षस के नाम पर पड़ा है. भगवान ब्रह्मा से मिले वरदान के चलते ‘गयासुर’ को देवताओं से भी अधिक पवित्र माना जाता था. इसे देखने व छूने से ही लोगों के पाप दूर हो जाते और वो स्वर्ग चले जाते. इस दौरान जब असुर भी स्वर्ग पहुंचने लगे तो इसे रोकने के लिए भगवान नारायण ने ब्रह्मा जी के ज़रिए यज्ञ के लिए ‘गयासुर’ से उसकी देह मांग ली और गयासुर ने अपना देहदान कर दिया. कहते हैं कि पूरा गया शहर इस राक्षस के पांच कोस का शरीर है. इसलिए लोग यहां अपने पितरों के तर्पण के लिए आते हैं.
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4- पलवल
पलवल, हरियाणा का एक ज़िला और प्रमुख शहर भी है. इसका नाम ‘पलंबासुर’ राक्षस के नाम पर पड़ा है. ये वही शहर है जहां महात्मा गांधी को सबसे पहले गिरफ़्तार किया गया था. प्राचीन काल में इस शहर को पलंबरपुर भी कहा जाता था. लेकिन समय के साथ नाम बदला और ये पलवल हो गया. कहा जाता है कि, ‘पलंबासुर’ को भगवान कृष्ण के भाई बलराम ने मारा था. बलराम की याद में आज भी पलवल में ‘बलदेव छठ’ का मेला लगता है.
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5- तिरुचिरापल्ली
तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु का जिला व शहर भी है. इसका नाम ‘थिरिसिरन’ राक्षस के नाम पर पड़ा है. ये शहर पहले थिरि-सिकरपुरम के नाम से जाना जाता था. कहा जाता है कि कावेरी नदी के किनारे पर बसे इसी शहर में ‘थिरिसिरन’ राक्षस ने भगवान शिव की तपस्या की थी. इसी वजह से इस शहर का नाम थिरि-सिकरपुरम पड़ा, जो बाद में थिरि-सिकरपुरम से थिरिसिरपुरम हुआ और फिर अंत में तिरुचिरापल्ली. इस शहर को ‘त्रिची’ भी कहा जाता है.
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6- सुद्धमहादेव
ये छोटा सा क़स्बा जम्मू कश्मीर के उधमपुर ज़िले में स्थित है. इसका नाम ‘सुद्धांत’ राक्षस के मनाम पर पड़ा है. बताया जाता है कि ये राक्षस भगवान शंकर का भक्त था. एक दिन जब ये राक्षस पार्वती जी को डराने लगा तो उन्होंने आवाज़ देकर शिव जी से मदद मांगी. इसके बाद भगवान शिव ने हिमालय से त्रिशूल फेंका, जो इस राक्षस को जाकर लगा और वो वहीं ढेर हो गया. हालांकि, बाद में शंकर जी ने उसे दर्शन भी दिए और उसके वरदान मांगने पर उस जगह का नाम इसके और अपने नाम पर कर किया. आज भी इस जगह पर भगवान का टूटा त्रिशूल 3 टुकड़ों में गड़ा है और इस राक्षस का नाम महादेव के पहले लिया जाता है.
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7- कुल्लू घाटी
हिमाचल प्रदेश की ‘कुल्लू घाटी’ अपनी ख़ूबसूरती के लिए देशभर में मशहूर है. इसका नाम ‘कुलान्त’ राक्षस के नाम पर पड़ा है. प्राचीनकाल में इस जगह’ का नाम ‘कुलंथपीठ’ हुआ करता था. इसका मतलब रहने लायक दुनिया का अंत. कहा जाता है कि एक दिन ‘कुलान्त’ राक्षस अजगर बन कुंडली मार कर ब्यास नदी के रास्ते में बैठ गया. ऐसा करके वो पानी में डुबोकर दुनिया का अंत करना चाहता था. जब भगवान शिव को इसका पता तो उन्होंने इस राक्षस का वध कर दिया. मरने के बाद ‘कुलान्त’ राक्षस का पूरा शरीर पहाड़ में बदल गया जो ‘कुल्लू घाटी’ कहलाया.
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