15 अगस्त 1947 ये वो दिन था जो करोड़ों भारतीयों के लिए सुख और दुख दोनों लेकर आया था. ख़ुशी इस बात की थी हमें अंग्रेज़ों से आज़ादी मिल गई थी मगर दुख इस बात का था कि वही अंग्रेज़ हमारे देश के टुकड़े यानी बंटवारा कर यहां से जा रहे थे.   

भारत-पाकिस्तान का बंटवारा कितना भयावह था इसकी कई कहानियां आप पढ़/सुन चुके हैं. मगर आज हम आपको एक ऐसे शख़्स की कहानी बताएंगे जिसने इस बुरे वक़्त में पाकिस्तान से भारत वापस लौटने के इंतज़ार में बैठे भारतीयों को स्वदेश लाने के लिए अपने हवाई जहाज़ लगा दिए थे. 

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बात हो रही है महान बिज़नेसमैन और समाजसेवी डॉ. अलगप्पा चेट्टियार की. वो तमिलनाडु के शिवगंगा ज़िले के एक छोटे से गांव कोट्टियूर के रहने वाले थे. उन्होंने UK से शिक्षा प्राप्त की थी और भारत आकर अपना बिज़नेस शुरू किया.

लंदन से ली पायलट बनने की ट्रेनिंग 

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डॉ. अलगप्पा ने केरल में टेक्सटाइल कंपनी, कोलकाता में बीमा कंपनी, मद्रास में थिएटर और मुंबई में होटल जैसे व्यसाय खोल कर अपने बिज़नेस को विस्तार दिया. 1933 में लंदन से पायलट बनने की ट्रेनिंग और सर्टिफ़िकेट हासिल किया था. वो जानते थे कि आने वाले समय में एयरलाइन्स की बहुत डिमांड होगी. इसलिए डॉ. अलगप्पा ने एक नीलामी में 8 पुराने हवाई जहाज़ ख़रीद लिए. 

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पाकिस्तान से रेस्क्यू किए सैकड़ों लोग  

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1945 में उन्होंने जुपिटर एयरलाइन्स की नींव रखी. इन प्लेन्स का उन्होंने बीमा भी करवा रखा था. वो बस उड़ान भरने के लिए लाइसेंस का इंतज़ार कर रहे थे कि 1947 में देश का बंटवारा हो गया. तब उन्होंने स्वयं आगे बढ़कर भारत सरकार को अपने प्लेन्स द्वारा भारत वापस आने वाले लोगों को रेस्क्यू करने की पेशकश की. सरकार की मंजूरी मिलने के बाद वो पाकिस्तान से सैकड़ों लोगों को लेकर भारत आए. इस मिशन के ख़त्म होने के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया. 

भारतीय सेना की भी मदद की 

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तब कश्मीर में भारतीय सेना को भेजने के लिए प्लेन की ज़रूरत थी. उस वक़्त भी उन्होंने देश की मदद की. अपने एक एरोप्लेन से सेना को वहां भेजा, लेकिन एक रेस्क्यू अभियान के दौरान प्लेन क्रैश हो गया. अपने नुक़सान की परवाह किए बगैर डॉ. अलगप्पा ने दूसरा प्लेन सेना की मदद के लिए भेज दिया.

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1948 में Jupiter Airways को उड़ान भरने की अनुमति मिल गई. कुछ सालों तक उन्होंने अपनी सेवा जारी रखी मगर प्लेन के रख-रखाव और पायलट आदि के ख़र्चे बहुत अधिक थे. इसलिए जब 1953 में जब इंडियन एयरलाइंस की शुरुआत हुई तो उन्होंने सारे प्लेन्स सरकार को बेच दिए. 

पद्म भूषण से किए गए सम्मानित

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डॉ. अलगप्पा ने भारत के लोगों को शिक्षित करने के लिए बहुत प्रयास किए. उन्होंने Alagappa Group Of Educational Institutions की नींव रखी, जिससे आज भी हर साल हज़ारों छात्र-छात्राएं शिक्षा हासिल करते हैं. देश की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए डॉ. अलगप्पा को 1954 में पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था.