3 जून 1947 को निश्चित किया गया था कि भारत का विभाजन होगा और एक नया देश पाकिस्तान बनेगा. ये विभाजन इतना आसान नहीं था क्योंकि बहुत कुछ बांटा जाना था और मात्र 73 दिन थे. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान जन-धन, जल-ज़मीन के साथ-साथ कई ऐसी संपत्तियों का भी बंटवारा हुआ जिन पर यकीन कर पाना मुश्किल है. विभाजन के कारण 1 करोड़ लोगों को विस्थापित होना पड़ा. ये आज भी विश्व इतिहास का सबसे बड़ा विस्थापन है.
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विभाजन के दौरान सरहदों को तय करने की ज़िम्मेदारी एक फिरंगी रेडक्लिफ़ को दी गई और उन्होंने हिंदुस्तान की सरज़मी पर जाति, धर्म, संस्कृति आदि की जानकारी के बगैर कागजों पर दोनों देशों की सीमा को तय कर दिया. अब बारी थी साजो-सामान की, जिसका बंटवारा भी तय समय सीमा में तयशुदा मापदंडों के मुताबिक़ किया जाना था. इसके लिए जुबानी जंग से लेकर हर तरह के हथकंडे अपनाए गए और आख़िरकार बड़ी मशक्कतों के बाद ये मसला भी सुलझ गया.
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इस दौरान दिल्ली में दो लोगों को धन संपत्ति के बंटवारे, उसके नियमों और शर्तों को तय करने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई. इसमें भारत के प्रतिनिधि थे एच. एम. पटेल और पाकिस्तान के पैरोकार थे चौधरी मुहम्मद अली. जून से लेकर अगस्त तक दोनों धन-दौलत और कागज के छोट-छोटे टुकड़ों के बटवारे के लिए जूझते रहे. दोनों विलायती सोच और अंग्रेज़ी कायदे-क़ानून के साथ लालफ़ीतों में बंधी फ़ाइलों में उलझे रहते थे.
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आईये जानते हैं भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान ऐसी कौन-कौन सी चीज़ों का बंटवारा हुआ था, जिनके बारे में आप नहीं जाते हैं-
1- भारत-पाक बंटवारे के दौरान सबसे पहला दावा देश के नाम पर किया गया. इस नाम पर हिंदुस्तान ने दावा जताया ‘भारत’ नाम पर हमारा ही अधिकार रहेगा. हालांकि, पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने इस पर भी आपत्ति जताई गई, लेकिन बाद में इस प्रस्ताव को मान लिया गया.
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2- भारत-पाक बंटवारे के समय जनसंख्या के आधार पर सबसे पहले रुपया बांटा गया. बैंकों में मौजूद धन का 82.5 फ़ीसद हिंदुस्तान को और 17.5 फ़ीसद पाकिस्तान को मिला. चल संपत्ति का 80 फ़ीसद भारत को और 20 फ़ीसद पाकिस्तान को मिला.
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3- भारत-पाक बंटवारे के दौरान जन-धन, जल-ज़मीन के साथ-साथ सभी दफ़्तरों की कॉपी-किताब मेज-कुर्सी से लेकर टाइपराइटर और पेंसिल तक का बटवारा हुआ था.
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4- आज़ादी के बाद भारत में रह गई ब्रिटिश वायसराय की बग्घियों का बंटवारा सिक्का उछाल कर किया गया. इस दौरान 6 भारत को और 6 बग्घी पाकिस्तान को मिली. टॉस जितने पर भारत को सुनहरी बग्घी मिली क्योंकि बग्घी आधी सुनहरी तो आधी रुपहली थी.
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5- भारत में स्थित ‘राष्ट्रीय पुस्तकालय’ की किताबों का बंटवारा भी हुआ. इस दौरान पुस्तकालय की एक शब्दकोश (Dictionary) को फाड़कर दोनों देशों के बीच आधा-आधा बांटा गया. इसके अलावा ‘एनसायक्लोपीडिया ऑफ़ ब्रिटेनिका’ को आधा-आधा भी बांटा गया.
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6- भारत-पाक बंटवारे के दौरान एक चीज़ ऐसी भी थी जिसे लेकर कभी कोई विवाद ही नहीं हुआ. वो वस्तु थी शराब. इस दौरान शराब का समस्त कारोबार भारत के हिस्से में आयी, मुस्लिम देश पाकिस्तान ने शराब की मांगी ही नहीं की.
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7- वाइसराय की शानौ-शौकत और शाही रुतबे के अनुरुप उनके सैर-सपाटे के लिए बनाई गई सुनहरी और सफ़ेद रेलगाड़ी भारत के हिस्से में आई तो भारतीय सेना के कमांडर इन चीफ़ और पाकिस्तान के गर्वनर की निजी गाड़ियां पाकिस्तान को मिल गई.
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8- भारत-पाक बंटवारे के दौरान सड़क और रेल जिसके क्षेत्र में आती थी उनका बंटवारा भी हुआ. रेल के डिब्बे, इंजन, बुलडोजर और ट्रक इत्यादि का बंटवारा भी हुआ था.
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9- भारत-पाक बंटवारे के दौरान पगड़ी, बल्ब, पेन, लाठी, बांसुरी, मेज, कुर्सी, रायफ़ल आदि छोटी छोटी चीज़ों का बंटवारा भी हुआ था.
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10- भारतीय सेना का बंटवारा सबसे दुःखद था. 25 लाख संख्या वाली सेना का बंटवारा करने के लिए सभी फौजियों को एक फ़ॉर्म दिया गया कि किसे कहां जाना है जाना है? इस दौरान हिन्दू एवं सिख सैनिकों ने भारत को चुनना बेहतर समझा.
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11- मेजर याकूब ख़ान दुविधा में पड़ गए कि वो किसे चुनें? याकूब ख़ान रामपुर के राजपरिवार से थे. लेकिन वो ये सोचकर पाकिस्तान चले गए कि भारत आते जाते रहेंगे और अपनी मां एवं परिवार से मिलते रहेंगे, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो सका.
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12- सन 1948 में हुए ‘भारत-पाकिस्तान युद्ध’ में याकूब ख़ान को पाकिस्तान की तरफ़ कश्मीर मोर्चे पर भेजा गया. भारतीय सेना का नेतृत्व गढ़वाल रजिमेंट के ‘यूनुस ख़ान’ कर रहे थे जो ‘याकूब ख़ान’ के सगे बड़े भाई थे.
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सरदार वल्लभ भाई पटेल के नेतृत्व के कारण ‘गुप्तचर विभाग’ में किसी भी रेकॉर्ड का बंटवारा नहीं हुआ. गुप्तचर विभाग के कर्मियों ने साफ़ कह दिया कि विभाग का एक भी कागज एवं पेन पाकिस्तान नहीं जाने देंगे.