भारत का इतिहास दो तरह का है. एक, जिसमें हज़ारों सालों की ग़ुलामी, विदेशी हमलावारों के ज़ुल्म है. वहीं, दूसरा, माटी के उन लालों का इतिहास, जो मातृ भूमि की रक्षा के लिए अपना ख़ून देने को हमेशा तैयार रहे. हम बात आज भारत के ऐसे वीर योद्धा की करेंगे, जिन्होंने न सिर्फ़ मुगलिया सल्तनत का डटकर मुकाबला किया, बल्कि अपनी प्रजा को भी एक सुरक्षित और संपन्न राज्य में रहने का मौक़ा दिया.
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इस महान राजा का नाम छत्रसाल है. वो राजपूत राजा, जिन्हें लोग बुंदेलखंड के शिवाजी के नाम से जानते हैं. बुंदेलखंड के इस रक्षक ने 16वीं शताब्दी के मध्य में मुगल बादशाह औरंगजेब के अत्याचार को चुनौती दी थी.
आज हम आपको राजा छत्रसाल के बारे बेहद दिलचस्प तथ्य बताने जा रहे हैं.
1. अपने वक़्त से काफ़ी आगे की सोच रखते थे राजा छत्रसाल
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2. पेशवा बाजीराव 1 को अपना पुत्र मानने वाले राजा छत्रसाल मस्तानी के पिता थे.
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3. बुंदेलखंड की पहचान हैं राजा छत्रसाल
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आज राजा छत्रसाल के नाम पर सड़कें, कॉलेज और यहां तक कि एक विश्वविद्यालय भी है. छतरपुर के क्षेत्र का नाम भी इसी वीर महाराज के नाम पर पड़ा है. उत्तरी दिल्ली में कुश्ती के लिए मशहूर एक प्रसिद्ध स्टेडियम को भी ‘छत्रसाल स्टेडियम’ कहा जाता है.
4. हीरों की खान पर करते थे राज
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राजा छत्रसाल, स्वामी प्राणनाथ के कट्टर शिष्य थे. कहते हैं कि उन्होंने राजा को वरदान दिया कि उनके राज्य में हमेशा हीरा मिलेगा. बाद में, राजा छत्रसाल ने पन्ना को अपनी राजधानी बनाया. यहीं पर मशहूर पन्ना हीरे की खानों की खोज की. इसके बाद बुंदेलखंड राज्य का वैभव काफ़ी बढ़ गया था.
5. मुगल कभी भी राजा छत्रसाल को हरा नहीं पाए.
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वीर छत्रसाल ने 52 युद्ध लड़े और कभी नहीं हारे. औरंगज़ेब को इस बहादुर राजा से हमेशा ख़तरा रहता था, लेकिन इसके बावजूद वो कुछ कर न पाया. छत्रसाल की युद्ध नीति और कुशलतापूर्ण सैन्य संचालन के आगे कई बार औरंगज़ेब की सेना को हार माननी पड़ी. 1707 में औरंगज़ेब की मौत के बाद मुगल साम्राज़्य ख़ुद ही बिखरने लगा. राजा छत्रसाल की जीते-जी कभी बुंदेलखंड पर आंच नहीं आई.
इस महान वीर योद्धा की बहादुरी और अपने मातृ भूमि के प्रति मज़बूत भावना का ही नतीजा है कि आज भी भारतीय उनसे प्रेरणा लेते हैं.