ये दुनिया ये Memes, उट-पटांग हरकतें कर वारल (Viral) हो जाने की दुनिया. इंटरनेट की दुनिया में कुछ भी, कुछ भी और हर कुछ, हर कुछ बेहद पॉपुलर (Popular) होकर ट्रेन्ड (Trend) बन जाता है. जिन Reels पर हम भी Reel बना देते हैं कई बार उनका अर्थ कुछ भी नहीं होता, सब कर रह हैं तो कर लेते हैं सोच के साथ हम भी वीडियो रूपी धरती का भार बढ़ाते ही रहते हैं.

इसी इंटरनेट की दुनिया में कुछ नगीने ऐसे होते हैं जो किसी-किसी को ही मिलते हैं, ठीक वैसे ही जैसे सागर में छिपा खज़ाना सबको नहीं मिलता.

बातें और न बनाते हुए मुद्दे की बात पर आते हैं. ट्विटर की ख़ाक़ छानते हुये, हमारे सामने सुप्रसिद्ध हिन्दी लेखक और जनसत्ता के पूर्व एडिटर, ओम थानवी का एक ट्वीट आया. होली की शुभकामनायें देते हुये जनाब थानवी ने एक YouTube Link शेयर किया था, उस Link में आवाज़ थी, 19वीं और 20वीं सदी की मशहूर गायिका, गौहर जान की. 

People of Ar

मेरे हज़रत ने मदीने में मनाई होली

उनके असहाब ने क्या ख़ूब रचाई होली

ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आज ऐसा कुछ गाना संभव नहीं है. क्यों? इस पर आज बात नहीं करते हैं. आज बात करते हैं इस तरह के शब्दों की, इस तरह के स्वच्छंद गायन की.  26 जून, 1873 को आज़मगढ़ में पैदा हुई Angelina Yeoward के पिता आर्मेनियन क्रिश्चियन (Armenian Christian) थे. Angelina जब 6 साल की थी तब उनके माता-पिता का तलाक़ हो गया और उसकी मां, Victoria Hemmings बनारस आ गई. बनारस में Victoria और Angelina ने मुस्लिम धर्म अपनाया और दोनों ने अपना नाम मलिका जान और गौहर जान रखा. बनारस में गौहर ने संगीत, नृत्य और शायरी सिखी. मलिका जान और गौहर जान कलकत्ता आ गये और शहर के नामचीं तवायफ़ों में उनका नाम शुमार हो गया.

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 जब GTL (The Gramophone and Typewriter Limited) कंपनी स्वदेशी आवाज़ें रिकॉर्ड करने भारत आईं तब गौहर ने एक रिकॉर्डिंग के 3000 रुपये मांगे, गौहर की आवाज़ ऐसी थी कि कंपनी राज़ी हो गई.  

Medium के एक लेख के अनुसार 1902 से 1910 के बीच गौहर जान ने 10 भाषाओं (हिन्दी, बांग्ला, गुजराती, तमिल, मराठी, अरबी, फ़ारसी, पश्तो, English और French)में 600 से अधिक रिकॉर्डिंग्स की.  
अपने हर रिकॉर्डिंग के आख़िर में गौहर कहती थीं, ‘My Name Is Gauhar Jaan’ और ये नाम संगीत की दुनिया में अमर हो गया. 

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हिन्दुस्तानी क्लासिकल संगीत को दुनियाभर में मशहूर करने में गौहर जान ने अहम भूमिका निभाई. The Print के एक लेख के अनुसार 1902 में कलकत्ता में GTL के रिकॉर्डिंग एक्सपर्ट (Recording Expert) Frederick William Gaisberg ने कलकत्ता के एक होटल में स्टू़डियो बनाया और वहां पहुंची गौहर जान. भारतीय उपमहाद्वीप में पहली रिकॉर्डेड आर्टिस्ट थीं, गौहर. गौहर ख़याल, ग़ज़ल, ठुमरी, होरी, भजन में पारंगत थी. 

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ख़ुश-नसीब आज भला कौन है गौहर के सिवा

सब कुछ अल्लाह ने दे रखा है शौहर के सिवा

रेख़्ता के अनुसार, अक़बर इलाहाबादी से मिलने पहुंची थी गौहर और इलाहाबादी ने ये शेर एक काग़ज़ पर लिख कर दिया था. यही थी गौहर की ज़िन्दगी की हक़ीक़त. गौहर ने अमीरी के दिन ऐसे देखे, जिससे किसी भी इंसान को जलन हो. जब गौहर ने मैसूर के अस्पताल में 17 जनवरी, 1930 को आख़िरी सांसे ली तब उसके क़रीब, उसके लिये आंसू बहाने वाला कोई नहीं थी. लोगों और ेलेखों की मानें तो ताउम्र उन्हें सच्ची मोहब्बत की तलाश रही. 

गौहर की आवाज़ तो उनके रहते मशहूर थी ही उनके जाने के बाद भी इस दुनिया में हमेशा के लिये अमर हो गई.