ये दुनिया ये Memes, उट-पटांग हरकतें कर वारल (Viral) हो जाने की दुनिया. इंटरनेट की दुनिया में कुछ भी, कुछ भी और हर कुछ, हर कुछ बेहद पॉपुलर (Popular) होकर ट्रेन्ड (Trend) बन जाता है. जिन Reels पर हम भी Reel बना देते हैं कई बार उनका अर्थ कुछ भी नहीं होता, सब कर रह हैं तो कर लेते हैं सोच के साथ हम भी वीडियो रूपी धरती का भार बढ़ाते ही रहते हैं.

मेरे हज़रत ने मदीने में मनाई होली
ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आज ऐसा कुछ गाना संभव नहीं है. क्यों? इस पर आज बात नहीं करते हैं. आज बात करते हैं इस तरह के शब्दों की, इस तरह के स्वच्छंद गायन की. 26 जून, 1873 को आज़मगढ़ में पैदा हुई Angelina Yeoward के पिता आर्मेनियन क्रिश्चियन (Armenian Christian) थे. Angelina जब 6 साल की थी तब उनके माता-पिता का तलाक़ हो गया और उसकी मां, Victoria Hemmings बनारस आ गई. बनारस में Victoria और Angelina ने मुस्लिम धर्म अपनाया और दोनों ने अपना नाम मलिका जान और गौहर जान रखा. बनारस में गौहर ने संगीत, नृत्य और शायरी सिखी. मलिका जान और गौहर जान कलकत्ता आ गये और शहर के नामचीं तवायफ़ों में उनका नाम शुमार हो गया.

जब GTL (The Gramophone and Typewriter Limited) कंपनी स्वदेशी आवाज़ें रिकॉर्ड करने भारत आईं तब गौहर ने एक रिकॉर्डिंग के 3000 रुपये मांगे, गौहर की आवाज़ ऐसी थी कि कंपनी राज़ी हो गई.

हिन्दुस्तानी क्लासिकल संगीत को दुनियाभर में मशहूर करने में गौहर जान ने अहम भूमिका निभाई. The Print के एक लेख के अनुसार 1902 में कलकत्ता में GTL के रिकॉर्डिंग एक्सपर्ट (Recording Expert) Frederick William Gaisberg ने कलकत्ता के एक होटल में स्टू़डियो बनाया और वहां पहुंची गौहर जान. भारतीय उपमहाद्वीप में पहली रिकॉर्डेड आर्टिस्ट थीं, गौहर. गौहर ख़याल, ग़ज़ल, ठुमरी, होरी, भजन में पारंगत थी.

ख़ुश-नसीब आज भला कौन है गौहर के सिवा