ये देश आज़ादी की जंग लड़ने वाले नायक शहीद भगत सिंह के बलिदान को कभी नहीं भूला सकता. आज भी स्वतंत्रता संग्राम के नायक की हवेली पाकिस्तान में एकदम सही सलामत है. इस बात से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि आज भी हर किसी के दिल में उनके लिये कितना प्यार और सम्मान बसा है. भगत सिंह की ये हवेली पाकिस्तान के फ़ैसलाबाद शहर की जुडवांवाला तहसील में है. हवेली की देख-रेख का जिम्मा एक पाकिस्तानी परिवार ने उठा रखा है.
हवेली के आस-पास का नज़ारा बिल्कुल शहर और कस्बे जैसा है. मकवाना बाईपास से थोड़ा आगे चलने पर सड़क किनारे एक साइन बोर्ड लगा हुआ है, जिस पर भगत सिंह का नाम भी लिखा हुआ है. साइन बोर्ड पढ़ कर कोई भी समझ जायेगा कि भगत सिंह का बंगला महज़ 12 किमी दूर रह गया है. इस गांव की ज़्यादातर आबादी विभाजन के दौरान हिंदुस्तान से पाकिस्तान गये मुसलमानों की है. सभी ग्रामीणों को गर्व है कि वो उस जगह के निवासी हैं, जहां आज़ादी के हीरो का जन्म हुआ था.
कहा जाता है कि यहां अब कोई भी हिंदू या मुस्लिम शख़्स नहीं रहता है. वहीं आज़ादी के नायक की हवेली अब राष्ट्रीय स्मारक बन चुकी है. विभाजन के बाद हवेली का ज़िम्मा वकील साकिब वरक के बुज़ुर्गों को सौंप दिया गया था. तब से उनकी पीढ़ी हवेली की देख-रेख कर रही है. वकील साहब का कहना है कि 1947 में ये घर उनके दादाजी फ़ज्ल कादिर वरक को दिया गया था. 1890 में भगतसिंह के पिता ने घर में दो कमरे बनवाये थे, जो आज भी उसी हालत में मौजूद है.
जानकारी के मुताबिक, 2014 में डिस्ट्रिक्ट कोऑर्डिनेशन ऑफ़िसर (DCO) ने लगभग एक करोड़ रुपये ख़र्च करके भगत सिंह के स्कूल और घर को ठीक कराया था. वहीं अब नूरुल अमीन मेंगल ‘दिलकश लायलपुर’ के नाम से भगत सिंह से जुड़ी हुई सभी इमारतों को बेहतर बनाने की ज़िम्मेदारी उठाई है. साक़िब वरक का कहना है कि उन्हें हवेली की देख-रेख करने में गर्व महसूस होता है.
वो कहते हैं कि आज भी हवेली में भगत सिंह की तिजोरी, चरखा और उनके हाथ से लगाए गये बेरी के पेड़ मौजूद हैं. भगत सिंह का ये सारा सामान बेहद क़ीमती है. यही नहीं, घर की देखभाल का ख़र्च भी वही सहन करते हैं. वो बताते हैं कि आज भी गांव के लोग भगत सिंह को बिल्कुल अपने पुरखों की तरह याद करते हैं.
यही नहीं, गांव में आज भी भगत सिंह का स्कूल मौजूद है. स्कूल के 2 कमरे वैसी ही हालत में है, जैसे 100 साल पहले हुआ करते थे. भगत सिंह की क्लास में उनका पोस्टर भी लगा हुआ है.
तो ऐसे थे हमारे भगत सिंह. बंटवारे के बाद दोनों मुल्कों के लोगों के दिलों में बसे हुए हैं और बराबर प्यार पा रहे हैं.