बासमती को चावलों का राजा कहा जाता है. शादी हो या कोई अन्य समारोह बासमती चावल खाने में जान डाल देता है. इसकी खुशबू इतनी प्यारी है कि भूख दोगुनी हो जाती है. भारत में इसकी क़िस्मों को उपयोग में लाया जाता है, जिसमें एक ख़ास है देहरादून बासमती. जितना लज़ीज़ देहरादून बासमती का स्वाद है उतनी ही दिलचस्प इसके देहरादून में प्रवेश करने की कहानी है. इस ख़ास लेख में हम आपको बताते हैं कि आख़िर कैसे बासमती पहुंचा देहरादून और बनाई अपनी ख़ास पहचान.
‘बासमती’ शब्द का पहला इस्तेमाल
खुशबूदार चावल का भी अपना अलग इतिहास है. ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले ‘बासमती’ शब्द का प्रयोग वारिस शाह (प्रसिद्ध पंजाबी सूफ़ी कवि) की हीर-रांझा में हुआ था. हालांकि, मध्यकाल में भी बासमती चावल के उत्पादन के कई साक्ष्य मिलते हैं.
प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध
यह युद्ध 1839 से 1842 के बीच अफ़ग़ानिस्तान में अंग्रेज़ी सेना और अफ़ग़ानिस्तान के सैनिकों के बीच लड़ा गया था. इसमें अंग्रेज़ों की जीत हुई थी. माना जाता है कि इसके बाद अफ़ग़ान के बादशाह दोस्त मोहम्मद ख़ान को निर्वासित (Exile) कर दिया गया. जानकारी के अनुसार, निर्वासन के दौरान अंग्रेजों ने दोस्त मोहम्मद ख़ान को मसूरी में रखा था. वहीं, कहते हैं मसूरी में मोहम्मद ख़ान के लिए एक क़िला भी बनवाया गया था.
जानकारी के अनुसार, निर्वासन के दौरान अंग्रेजों ने दोस्त मोहम्मद ख़ान को मसूरी में रखा था. वहीं, कहते हैं मसूरी में मोहम्मद ख़ान के लिए एक क़िला भी बनवाया गया था.
खाने का शौक़ीन इंसान
दोस्त मोहम्मद ख़ान के बारे में कहा जाता है कि वो खाने का एक शौक़ीन इंसान था. लेकिन, उसे मसूरी के स्थानीय चावल का स्वाद पसंद न आया, क्योंकि वो पंजाब प्रांत के बासमती चावल का आदी था.
बासमती का बीज
दोस्त मोहम्मद ख़ान ने तरक़ीब लगाई और बासमती का बीज़ देहरादून मंगवा लिया. फिर क्या था, बासमती का बीज नए भौगोलिक क्षेत्र में ऐसा खिला कि इसने अपनी एक नई पहचान बनाई और विश्व भर में प्रसिद्ध हो गया. साथ ही ‘देहरादून बासमती’ बासमती की सबसे ख़ास क़िस्म में शामिल हो गया.
देहरादून बासमती की मांग
आगे जाकर बासमती की इस क़िस्म की इतनी मांग बढ़ी कि व्यापारी खड़ी फसल की बोली लगाने लग गए थे. लेकिन, जब समय के साथ देहरादून पर शहरीकरण की मार पड़ी, तो इसका असर देहरादून बासमती के उत्पादन और स्वाद पर भी पड़ने लगा. धीरे-धीरे देहरादून बासमती का उत्पादन क्षेत्र कम होता गया. वहीं, इसके स्वाद में भी कमी आई है.