Indian Ancient Musical Instruments: भारतीय संगीत और म्यूज़िक इंस्ट्रूमेंट्स का इतिहास भारत की संस्कृति जितना ही पुराना है. हमारे देश में संगीत पर वेद तक की रचना हुई है. भारतीय संगीत का सबसे बड़ा स्रोत सामवेद है. यहां तक कि देवी-देवताओं को भी म्यूज़िक इंस्ट्रूमेंट्स पकड़े हुए चित्रित किया गया है. आज भी देश के कोने-कोने में संगीत परंपरा का पालन किया जा रहा है. हालांकि, अब वेस्टर्न म्यूज़िक और इंस्ट्रूमेंट्स में लोगों की दिलचस्पी ज़्यादा हो रही है. ऐसे में हमारे कुछ प्राचीन संगीत वाद्ययंत्र धीरे-धीरे ग़ायब होने की कगार पर आ गए हैं.

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ऐसे में आज हम आपको उन प्राचीन भारतीय म्यूज़िक इंस्ट्रूमेंट्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अब बहुत कम नज़र आते हैं. और अगर इसी तरह चला तो शायद एकदिन हमेशा के लिए ग़ायब हो जाएंगे.

1. रुद्र वीणा

ये वाद्ययंत्र लकड़ी या बांस से बना होता है, जो अंदर से खोखला होता है और उसमें तार जुड़े होते हैं. हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में इसका इस्तेमाल होता है. इसे सभी स्ट्रिंग वाले म्यूज़िक इंस्ट्रूमेंट्स की ‘मां’ का कहा जाता है. बता दें, रूद्र का मतलब शिव से होता है और रूद्र वीणा का मतलब है शिव को प्रिय वीणा. हालांकि, अब देश में इसे बजाने वाले बहुत ही कम संगीतकार बचे हैं. 

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2. मयूरी

इस इंस्ट्रूमेंट का आकार मोर की तरह होता है. मोर बिल और पंखों से जुड़ा ये वाद्ययंत्र देखने में बेहद ख़ूबसूरत लगता है. इस यंत्र का सिखों के छठे गुरु, गुरु हरगोबिंद सिंह जी से गहरा रिश्ता है. दरअसल, कहा जाता है कि उन्होंने ही इसका आविष्कार किया था. मयूरी को मां सरस्वती से भी जोड़ा जाता है. इस वाद्ययंत्र से बेहद मधुर ध्वनि निकलती है. ये अब विलुप्ति की कगार पर है. हालांकि, सिख भक्ति संगीत में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है.

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3. मोर्चांग

ये वीणा का एक वैरिएशन है. हालांकि, इसको बजाने के लिए मुंह और बाएं हाथ का इस्तेमाल होता है. इसका मुख्य तौर पर इस्तेमाल राजस्थान में किया जाता था. राजस्थानी लोक संगीत में इसका हमेशा से इस्तेमाल होता आया है. पाकिस्तान के सिंध में भी लोग इसे बजाते थे. बॉलीवुड में आर.डी. बरमन ने भी इसे यूज़ किया. मगर अब ये इंस्ट्रूमेंट और इसे बजाने वाले दोनों ही मिलना मुश्किल हैं.

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4. नागफणी

नागफणी का आगे का हिस्सा सांप के मुंह की तरह का बना होता है. इसी वजह से इसे नागफणी कहा जाता है. तांत्रिक साधना करने वाले लोग इसे काफ़ी इस्तेमाल करते थे. साथ ही, मेहमानों के स्वागत, युद्ध के समय अपनी सेना के सैनिकों में जोश भरने और विवाह के दौरान भी इस वाद्ययंत्र का खूब प्रयोग किया जाता था. ये वाद्ययंत्र ज़्यादातर उत्तराखंड, गुजरात और राजस्थान में इस्तेमाल होता था. अब इस वाद्ययंत्र को बजाने वालों की संख्या नहीं के बराबर है, इसलिए अब कोई इसे बनाता भी नहीं है.

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5. पेना

मणिपुर का एक प्राचीन संगीत वाद्ययंत्र पेना एक पतली बांस की छड़ से बना होता है, जो ड्रम के आकार के सूखे नारियल के खोल से जुड़ी होती है. इसमें एक रस्सी होती है, जो पारंपरिक रूप से घोड़े के बालों से बनी होती है. इस वाद्ययंत्र को असम के कुछ हिस्सों में बेना के नाम से भी जाना जाता है. झुके हुए मोनो.स्ट्रिंग पेना की गूंजने वाली ध्वनि मणिपुर में आयोजित सभी प्रसिद्ध त्योहारों का एक अभिन्न हिस्सा है, जिसमें लाई हरोबा त्योहार भी शामिल हैं. हालांकि, अब इसे बजाने वाले बहुत कम ही म्यूज़ीशिन्स बचे हैं.

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अगर आप भी इसी तरह के विलुप्त होते म्यूज़िकल इंस्ट्रूमेंट्स के बारे जानते हैं तो हमारे साथ शेयर करें.