हम इंसान सदियों से अपने कामों के लिए जानवरों का इस्तेमाल करते आए हैं. लेकिन ये सारे काम ऐसे होते थे, जिनमें शारीरिक ताक़त और मेहनत की ज़रूरत हो. पर क्या आपने कभी किसी जानवर को ऐसे काम करते सुना है, जिसमें न सिर्फ़ दिमाग़ लगाना हो, बल्कि लोगों की ज़िंदगियां भी उस पर निर्भर हों?

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आज हम आपको एक ऐसी ही लंगूर की कहानी बताएंगे, जिसने आज से कई साल पहले ये कारनामा कर दिखाया था. उसने रेलवे में 9 साल तक एक सिग्नल-मैन के तौर पर काम किया था. 

ये बात है साल 1870 के आसपास की. साउथ अफ्रीका के केप टाउन शहर के पास Uitenhage नाम का स्टेशन था. यहां James wide नाम का शख़्स सिग्नल-मैन के तौर पर काम करता था. वो काफ़ी वक़्त से यहां काम कर रहा था, लेकिन एक ट्रेन हादसे में उसके दोनों पर चले गए. 

ऐसे में उसे हर काम करने में काफ़ी परेशानियां आने लगी. उसने लकड़ी की नकली टांगे भी लगवाईं, फिर भी पहले की तरह काम नहीं कर पा रहा था. जेम्स काफ़ी परेशान रहता था. इस बीच उसकी नज़र नज़दीक के एक कस्बे में गाड़ी हाक रहे एक लंगूर पर पड़ी. जेम्स को लगा कि ये लंगूर उसके बेहद काम आ सकता है. ऐसे में जेम्स ने लंगूर के मालिक से उसे किसी तरह ख़रीद लिया.

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जेम्स ने इस लंगूर का नाम Jack रख दिया. अब ये लंगूर जेम्स की हर काम में मदद करने लगा. वो उसके घर में ज़्यादातर काम कर देता था. साथ ही जेम्स उसे स्टेशन भी अपने साथ ले जाने लगा. जैक चीज़ें सीखने में बहुत तेज़ था. उसने बहुत जल्द जेम्स के इशारे पर सिग्नल चेंज करना सीख लिया. 

इस काम को करने में पहले जैक को जेम्स के इशारे की ज़रूरत पड़ती थी. लेकिन देखते ही देखते उसने सिर्फ़ गाड़ी की सीटी की आवाज़ से ही सिग्नल चेंज करना शुरू कर दिया. अब एक लंगूर जब सिग्नल चेंज कर रहा हो, तो ये ख़बर कितने ही दिन छिप सकती थी. आसपास के लोगों तक ये ख़बर जंगल में आग की तरह फैल गई.

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रेलवे अधिकारियों तक भी ये ख़बर पहुंचने में देर नहीं लगी. उसके बाद अधिकारियों ने जेम्स को तुरंत ही नौकरी से बर्ख़ास्त कर दिया. अब जेम्स और जैक दोनों ही बेरोज़गार हो गए. ऐसे में जेम्स ने अधिकारियों काफ़ी मिन्नते कीं और उनसे जैक की क़ाबिलियत ख़ुद टेस्ट करने को कहा. दिलचस्प बात ये थी कि रेलवे अधिकारी भी इस बात के लिए तैयार हो गए.

जैक ने भी टेस्ट को पास कर लिया. इस पर मैनेजर इतना ख़ुश हुआ कि उसने जेम्स की नौकरी वापस कर दी. साथ ही जैक को भी आधिकारिक तौर पर रेलवे में बतौर सिग्नल-मैन काम दे दिया. कहा जाता है कि उसे आधिकारिक तौर पर रेलवे में नियुक्त किया गया और उसे रोज़गार नंबर भी दिया गया. साथ ही, हर रोज़ के हिसाब से उसे 20 सेंट और बीयर की आधी बोतल हर हफ़्ते वेतन के तौर पर दी जाने लगी.

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जैक पहला और आखिरी ऐसा लंगूर था, जिसने रेलवे में आधिकारिक तौर पर नौकरी की है. उसने 9 साल तक अपनी सेवाएं दी और इस दौरान उसने न कभी कोई ग़लती की और न ही कभी छुट्टी ली. हालांकि, 1890 में उसकी टीबी से मौत हो गई थी.