उत्तराखंड सिर्फ़ एक देवभूमि नहीं है, बल्कि शहीदों की भूमि भी है. इतिहास इस बात का गवाह है. देश पर जब-जब विपदा आई, गढ़वाल के सैनिकों ने अपनी जान तक कुर्बान कर डाली है. इन्हीं वीर सैनिकों में शहीद गब्बर सिंह नेगी का नाम भी आता है. शहीद की वीरता के कारण ही गढ़वाल को लैंड ऑफ़ गब्बर सिंह के नाम से भी जाना जाता है.
गढ़वाल के वीर शहीद की कहानी
कम उम्र में देश के लिये दे दी जान
युद्ध में अपनी शौर्यता दिखाते हुए 1915 में वो महज़ 20 साल की उम्र में देश के लिये कुर्बान हो गये. कम उम्र में उन्होंने देश के लिये जो जोश और हिम्मत दिखाई, वो हर किसी के बस की बात नहीं थी. युद्ध के मैदान में उनकी होशियारी और बहादुरी सबको चकित कर गई. इसलिये उनकी वीरता ने अंग्रेज़ों को भी हैरान कर दिया था.
आज भी उत्तराखंड के गढ़वाल में बच्चों को प्रेरित करने के लिये घर-घर वीर सैनिक की कहानियां सुनाई जाती हैं. 1925 में उनकी याद में गढ़वाल राइफ़ल द्वारा एक मेमोरियल भी बनाया था. वीरगति को प्राप्त होने वाले शहीद गब्बर सिंह को विक्टोरिया क्रॉस सम्मान से भी नवाज़ा गया था. आपको बता दें कि ये ब्रिटेन की तरफ़ से मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान है.
कम उम्र में देश के लिये जान की बलि देने वाले शहीद को नमन!