कारगिल विजय दिवस: आज कारगिल युद्ध को 22 साल पूरे हो चुके हैं. अब तक हमने कारगिल युद्ध के बारे में बहुत कुछ जाना-सुना है, लेकिन फिर भी इसके पूरे इतिहास से वाकिफ़ नहीं हैं. आपको जान कर हैरानी होगी कि कारगिल में हुई घुसपैठ की सूचना इंटेलीजेंस ने नहीं, बल्कि एक याक के ज़रिये मिली थी. पढ़ने में कहानी विचित्र लग सकती है, लेकिन सच यही है.
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2 मई 1999 में मई महीने की बात थी. बटालिक सेक्टर के याल्डोर में दुश्मनों के घुसने की सूचना सबसे पहले ताशी नामग्याल नामक शख़्स ने दी थी. ताशी घरकोन गांव के रहने वाले थे और उन्हें ही सबसे पहले घुसपैठियों के घुसने की आहट हुई थी.
याक की तलाश में दिख गये पाक घुसपैठिये
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ताशी ने दी घुषपैठियों की सूचना
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अगले पल सच साबित हुई ताशी की कहानी
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वो नज़ारा हैरान करने वाला था. सैकड़ों की तादाद में पाकिस्तानी घुसपैठिए पहाड़ी के पीछे छिपे हुए बैठे थे. उस समय भारतीय सेना के पास बचाव के संसाधन और सैनिकों की कमी थी. किसी तरह वायरलेस सेट के ज़रिये सेना को जानकारी पहुंचाई गई. इसके बाद लगभग 8 दिन बाद करगिल युद्ध शुरु हुआ. 60 दिनों तक चले युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया और बड़ी जीत हासिल की.
कारगिल दिवस पर देश के सैनिकों को नमन! साथ उस याक के मालिक को भी सलाम जिसकी वजह भारतीय सेना को अहम इनपुट मिला.