Kulhad Chai Culture in West Bengal: भारत में चाय पीने वालों की कमी नहीं है. वहीं, अगर चाय कुल्हड़ वाली हो, तो क्या बात, मानों सोने पर सुहागा. हालांकि, अमूमन रेस्तरां में चाय कप में ही सर्व की जाती हैं और चाय की दुकानों में कुल्हड़ की जगह ‘पेपर कप्स’ और ‘चाय गिलास’ ही देखने को मिलते हैं.
वहीं, बहुत से टी-स्टॉल में कुल्हड़ भी मौजूद होते हैं, लेकिन उनके साथ पेपर कप्स के ऑप्शन भी मौजूद होते हैं. वहीं, आजकल बहुत से ऐसे टी-स्टॉल खुल गए हैं जहां कुल्हड़ वाली चाय का एक्सपीरियंस कराने का ही अच्छा पैसा वसूल लेते हैं. लेकिन, अगर हम पश्चिम बंगाल की बात करें, तो यहां कुल्हड वाली चाय कल्चर में ही शामिल है. यहां चाय-सिगरेट और चाय-अख़बार का अनोखा मेल देखने को मिलता है.
Scoopwhoop के इस एक्सक्लूसिव आर्टिकल में जानिए पश्चिम बंगाल के लिए कुल्हड़ वाली चाय कितनी महत्वपूर्ण थी, है और रहेगी?
कुल्हड़ को कहा जाता है ‘भांड़’
![Kulhad](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/09/image-5-1.jpg?w=860)
वैसे उत्तर भारत में कुल्हड़ शब्द का प्रयोग किया जाता है, लेकिन पश्चिम बंगाल में इसे ‘भांड़’ कहा जाता है. क़ीमत के आधार पर अलग-अलग आकार के भांड़ जिसमें दी जाती है ‘चा’ यानी चाय. कुछ वर्षों पहले यहां चाय दो से तीन रुपए तक की मिल जाती थी, लेकिन वर्तमान में ये क़ीमत 5 और 10 रुपए हो चुकी है. छोटा भांड़ पांच रुपए और बड़ा भांड़ 10 रुपए. हालांकि, यहां के ग्रामिण क्षेत्रों में आज भी कम क़ीमत पर चाय मिल जाएगी.
वन टाइम यूज़
![kulhad in west bengal](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/09/image-4-2.jpg?w=1024)
Kulhad Chai Culture in West Bengal: भांड़ में चाय पीने की एक वजह ये भी है कि ये मिट्टी का बना होता है और इसे शुद्ध माना जाता है. वहीं, इसका इस्तेमाल एक बार ही किया जाता है. इसलिए, चाय की टपरियों में चाय पीने हर कोई पहुंच जाता है.
भांड़ में चाय पीना पसंद करते हैं यहां के लोग
![kulhad chai in west bengal](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/09/image-3-1.jpg?w=1024)
Kulhad Chai in West Bengal: पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर शहर में मौजूद Durgapur Cinema Hall से थोड़ी दूरी पर कमलेश साहू अपना टी-स्टॉल चलाते हैं. ये काम वो क़रीब 9 वर्षों से कर रहे हैं. उनसे जब हमने पूछा कि आप कुल्हड़ की जगह पेपर कप या कांच के गिलासों का इस्तेमाल क्यों नहीं करते, तो उन्होंने कहा कि, “मेरे पास आने वाले लोग भांड़ में चाय पीना पसंद करते हैं, इसलिये मैं सिर्फ़ भांड़ ही अपने पास रखता हूं.”
कमलेश साहू दिन के 400 से 500 कप चाय बेच देते हैं और उनकी चाय की दुकान पर अधिकतर आसपास मौजूद दफ़्तरों, अस्पताल, क्लीनिक व दुकानों में काम करने वाले लोग ही आते हैं. वहीं, वो चाय 5 रुपए और 10 रुपए की बेचते हैं.
सस्ते में मिल जाते हैं भांड़
![bhand in west bengal](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/09/image-7-1.jpg?w=871)
Kulhad Chai in West Bengal: बातचीत के दौरान कमलेश साहू ने ये भी बताया कि भांड़ उन्हें सस्ते में भी मिल जाता है. उन्होंने कहा कि, “यहां भांड़ बनाने वाले कई लोग हैं, जो लंबे समय से काम कर रहे हैं, वो 80 पैसे में एक भांड़ चाय की दुकानों में सप्लाई करते हैं.” वहीं, एक साथ बड़ी संख्या में भांड़ ख़रीदे जाएं, तो रेट नेगोशिएशन भी हो जाता है.
देखा जाए, तो भांड़ में चाय सर्व करना न सिर्फ़ इको फ़्रेंडली विकल्प है, बल्कि इसके ज़रिये अच्छा मुनाफ़ा हासिल किया जा सकता है.
25 साल पुरानी चाय की दुकान
![tea stall in Durgapur city centre bus stand](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/09/image-6-1.jpg?w=1024)
Kulhad Chai in West Bengal: दुर्गापुर सिटी सेंटर बस स्टैंड में दुखू घोष क़रीब 25 सालों से अपनी चाय की दुकान चला रहे हैं. उनका भी यही कहना है कि पश्चिम बंगाल के लोग भांड़ में चाय पीना पसंद करते हैं. इसलिए, उनकी दुकान में भी चाय के लिए सिर्फ़ भांड़ ही नज़र आएंगे.
दुखू घोष बताते हैं वो उस वक़्त से यहां चाय बेच रहे हैं जब यहां डबल डेकर बस चला करती थी. दुखू घोष की दुकान पर चाय के साथ-साथ पूड़ी-सब्जी व अन्य नाश्ता भी उपलब्ध रहता है.
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भांड़ में चाय पीना पहली पसंद
![tea stall in Benachity Durgapur](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/09/image-9.jpg?w=875)
बहुत से टी-स्टॉल में अब दुकानदार पेपर कप भी विकल्प के तौर पर रखने लगे हैं, इसलिए कि कहीं भांड़ ख़त्म हो जाएं, तो पेपर कप से काम चलाया जाए. तस्वीर में जो आप टी-स्टॉल देख रहे हैं वो यहां के ‘बेनाचिटी बाज़ार’ के पास मौजूद पांच माथा मोड़ पर मौजूद है. ये टी-स्टॉल इतना फ़ेमस है कि यहां दूर-दूर से लोग चाय का आनंद लेने के लिये आते हैं. सुबह और शाम यहां चाय के शौक़ीनों का अच्छा जमावड़ा लगता है. चाय पीने आये स्थानीय निवासी भगवान दास बाल्मीकि से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि, “भांड़ में चाय पीने का अपना ही मज़ा है. एक तो ये शुद्ध होता है और चाय के साथ घुलती मिट्टी की ख़ुशबू इसके स्वाद के बढ़ा देती है.”
उन्होंने आगे ये भी कहा कि, “अगर मैं बाहर चाय पीता हूं, तो कुल्हड़ ही मेरी पहली पसंद है.”
98 साल पुरानी चाय की दुकान
![tea stall in kolkata](https://wp.hindi.scoopwhoop.com/wp-content/uploads/2022/09/KULHAD.jpg)
Kulhad Chai in West Bengal: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में भी चाय की कई साल पुरानी दुकानें मिल जाएंगी, जिनमें कुछ तो चाय सर्व करने के अपने यूनिक तरीक़ों के लिए जानी जाती हैं. यहां की Bentinck Street में मौजूद 98 साल पुरानी चाय की दुकान में पानी तांबे के बर्तन में गर्म होता है, जिससे चाय और कॉफ़ी तैयार की जाती है. वहीं, यहां भी चाय भांड़ यानी कुल्हड़ में ही सर्व की जाती है.
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