Lord Shiva Temple Dehradun: सावन के पहले सोमवार पर शिवलिंग पर जल चढ़ाने से सभी मनोकानाएं पूरी होती हैं. सावन मास में सभी शिव जी की भक्ति और पूजा करते हैं. कहते हैं कि सावन महीने में शिवजी की भक्ति पूरी श्रद्धा से करने से मनचाहा फल मिलता है. शिव जी भक्ति में इतनी शक्ति है जो मरे हुए को भी जियाने की हिम्मत रखती है. शिव जी में विधि का विधान बदलने की भी शक्ति है. इस विधि के विधान को बदलने की वाले हैं उत्तराखंड के लाखामंडल के शिव जी.
कहते हैं, उत्तराखंड के लाखामंडल में स्थित शिव जी (Lord Shiva Temple Dehradun) के इस अनोखे मंदिर में मरा हुआ व्यक्ति ज़िंदा हो जाता है.
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महादेव का ये मंदिर देहरादून से लगभग 128 कि.मी. दूर पर स्थित है. ये जगह भगवान शिव के मंदिर और पुरानी गुफ़ाओं से घिरी है. यहां पर जब खुदाई हुई थी तो विभिन्न आकार और काल के शिवलिंग मिले थे. कहा जाता है कि, युधिष्ठर जब अपने अज्ञातवास में थे तो उन्होंने यहां पर शिवलिंग की स्थापना की थी. उसी शिवलिंग पर भक्त आज जल चढ़ाते हैं और अपनी सारी मनोकामना पूरी करते हैं. मान्यता ये भी है कि, अगर शिवलिंग पर सच्चे मन से जल चढ़ाया जाए तो भक्त की तस्वीर शिवलिंग पर दिखती है और तस्वीर दिखने मात्र से ही सारे पाप मिट जाते हैं.
इस मंदिर में शेषनाग के फन के नीचे से शिवलिंग पर पानी टपकता है जो एक काफ़ी मनोरम दृश्य है और इस मंदिर की ख़ासियत भी है. शिवलिंग के सामने आपको दो द्वारपालों की मूर्तियां दिखेंगी, जो पश्चिम की ओर मुंह करके खड़े हुए हैं. माना जाता है कि, इन दोनों द्वारपालों के सामने अगर शव को रखा जाए और पुजारी इन पर शिवलिंग का पानी छिड़क दें तो मृत व्यक्ति कुछ समय के लिए जीवित हो जाता है.
जीवित होते ही व्यक्ति भगवान का नाम लेता है और पवित्र जल लेने के बाद उसकी आत्मा वापस उसके शरीर को छोड़कर चली जाती है. कहते हैं कि अगर किसी महिला को पुत्र न हो रहा हो तो इस शिवलिंग पर महाशिवरात्रि के दिन रात के समय मंदिर के द्वार पर शिवालय के सामने दीपक जलाकर शिव मंत्र का जाप करने से एक साल के अंदर पुत्र के प्राप्ति हो सकती है.
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हालांकि, ये भी कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों को जलाकर मारने के लिए यहां लाक्षागृह का निर्माण किया गया था लेकिन एक अन्य मान्यता के अनुसार, बताया जाता है कि लाक्षागृह यूपी में स्थित है देहरादून में नहीं.