Mahakal Lok Corridor Ujjain Photos: उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जो मध्य प्रदेश में स्थित है. कल यानि 11 अक्टूबर, 2022 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi In Ujjain) भोपाल से 200 किलोमीटर दूर स्थित 856 करोड़ रुपये से बने महाकाल मंदिर के कॉरिडोर (Mahakal Lok) के पहले चरण का उद्धाटन करेंगे. इस भव्य समारोह का आयोजन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान करने वाले हैं. जिसके एंट्रेंस के लिए विभिन्न सांस्कृतिक प्रोग्राम, डांस और लोक गीतों का आयोजन होने जा रहा है. चलिए इसी क्रम में आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम महाकाल कॉरिडोर की कुछ बेहतरीन तस्वीरें (Mahakal Lok Pics) दिखाते हैं.
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चलिए नज़र डालते हैं उज्जैन के महाकाल लोक कॉरिडोर की तस्वीरों पर (Mahakal Lok Corridor Ujjain Photos)-
‘महाकाल लोक’ उज्जैन में 900 मीटर बना लंबा कॉरिडोर भारत का सबसे बड़े कॉरिडोर में से एक है. साथ ही ये कॉरिडोर पुराने रुद्रसागर झील के पास है.
उज्जैन में स्थित भगवान शिव का महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. जिसके एंट्रेंस पर 2 राजसी और ख़ूबसूरत द्वार बनाए गए हैं. जिनका नाम नंदी और पिनाकी द्वार है. ये द्वार सीधे मंदिर के प्रवेश द्वार तक पहुंचते हैं. साथ ही द्वार से गुज़रते वक़्त आपको सुन्दर दृश्य देखने को भी मिलेंगे.
एक रिपोर्ट के अनुसार, इन सुन्दर स्तंभों को बनाने के लिए राजस्थान बंसी पहाड़पुर क्षेत्र से मिले बलुआ पत्थरों का उपयोग किया गया है. राजस्थान, ओडिशा और गुजरात के बेहतरीन शिल्पकारों ने अपनी कलाकारी से इस कॉरिडोर का निर्माण किया है.
ये मंदिर के प्रांगण में प्रवेश से पहले पड़ने वाला मार्केट है. यहां प्रसाद आदि आप खरीद सकते हैं.
ये मूर्ति भगवान शिव की है. जिसमे भगवान शिव ज़हर का घूंट पी रहे हैं.
इस ख़ूबसूरत कॉरिडोर को देखने आने वाले लोगों के लिए बेहतरीन सुविधाएं भी मिलेंगी. नियमित अंतराल पर त्रिशूलशैली की डिज़ाइन पर सजावटी तत्वों के साथ 108 स्तंभ और सीसीटीवी कैमरे और सार्वजनिक संबोधन प्रणाली को सामंजस्यपूर्ण रूप से शामिल किया गया है.
उज्जैन स्मार्ट सिटी परियोजना के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष कुमार पाठक ने मीडिया से कहा, “उज्जैन एक प्राचीन और पवित्र शहर है तथा पुराने हिंदू ग्रंथों में महाकालेश्वर मंदिर के आसपास महाकाल वन की मौजूदगी का वर्णन है”.
आगे उन्होंने कहा, “यह परियोजना उस प्राचीनता को दोबारा पुनर्जीवित नहीं कर सकती जो सदियों पहले थी, लेकिन हमने कॉरिडोर में स्तंभों और अन्य संरचनाओं के निर्माण में उपयोग की जाने वाली पुरानी, सौंदर्य वास्तुकला के माध्यम से उस गौरव को फिर से वापस लाने का प्रयास किया है.”