ऐसे में आज हम आपको सेना की उन 10 घातक बंदूकों के बारे में बताते हैं, जिनके आगे खड़े होना मौत का दावत देना है.
1. इंसास राइफल
बता दें, राइफल का निर्माण तिरुचिरापल्ली में आयुध निर्माणी बोर्ड की फैक्ट्री और कानपुर में स्मॉल आर्म्स फैक्ट्री के साथ-साथ ईशपुर में आर्म्स डिपो में किया जाता है. साल 2019 में इसे सर्विस से हटा दिया गया था लेकिन आज भी इसे एक स्टैंडर्ड इनफेंट्री हथियार माना जाता है. सेनाओं के लिए 4.15 किलो और 37.8 इंच लंबी इस राइफल के कई वर्जन उपलब्ध हैं.
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2. पिस्टल ऑटो 9MM 1A
जम्मू-कश्मीर में एनकाउंटर हो या नॉर्थ ईस्ट में ऑपरेशन, ये सेना का अहम हथियार है. सेना इस पिस्टल का जमकर इस्तेमाल करती है. ये एक सेमी-ऑटोमैटिक और सेल्फ-लोडिंग पिस्टल है जिसमें 9×19mm की बुलेट का इस्तेमाल होता है. यह पिस्टल एक बार में 13 राउंड गोलियां दाग सकती है.
3. AK-203 राइफल
ये एके-सीरीज की अब तक की सबसे उन्नत राइफल है. AK-47 सबसे बुनियादी मॉडल है. इसके बाद एके-74, 56, 100 और 200 सीरीज आ चुकी हैं. एक बार फुल लोड होने के बाद एके-203 राइफल का वज़न क़रीब 4 किलो तक होता है. AK-203 राइफल में ऑटोमैटिक और सेमी-ऑटोमैटिक दोनों वेरिएंट हैं. बता दें, हाईटेक एके-203 राइफल एक मिनट में 600 गोलियां दाग सकती है. ये राइफल 400 मीटर की दूरी पर स्थित दुश्मन को भी निशाना बना सकती है. भारत और रूस इस राइफल को संयुक्त रूप से तैयार कर रहे हैं और इसका निर्माण उत्तर प्रदेश के अमेठी में किया जाएगा.
4. विध्वंसक एंटी मैटेरियल राइफल (ARM)
विध्वंसक एंटी मैटेरियल राइफल (ARM) एक स्वदेशी बंदूक है. इसका निर्माण आयुध निर्माण फ़ैक्ट्री तिरुचिरापल्ली में होता है. ये 1800 मीटर की रेंज को कवर कर सकती है. इस राइफल का वज़न 25 किलो और लंबाई 1.7 मीटर है. इसका निर्माण अमेरिकी सेना की एआरएम राइफल की तर्ज पर किया गया है. इसे वर्ष 2005 से तैयार किया जा रहा है.
5. ड्रैगुनोव SVD 59 स्नाइपर राइफल (DSR)
इस स्नाइपर राइफल का इस्तेमाल सबसे पहले शीत युद्ध के दौरान किया गया था. ये एक गैस संचालित शॉर्ट स्ट्रोक पिस्टन राइफल है. इस राइफल में 7.62×54 एमएम के कार्ट्रिज का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें 10-राउंड की मैगजीन लगती है. ये 800-900 मीटर की रेंज में दुश्मनों को निशाना बनाने में सक्षम है. इस गन को सेना के आधुनिकीकरण के मकसद से शामिल किया गया था. इस राइफल को यवेग्ने ड्रैगुनोव ने डिज़ाइन किया था, जिन्होंने 1950 के दशक में सोवियत संघ के हथियार डिज़ाइन किए थे.
6. IMI गैलिल 7.62 स्नाइपर राइफल
इस राइफल को इज़रायली कंपनी IMI ने बनाया है. इस गन में 7.62×51mm के कार्ट्रिज का इस्तेमाल किया गया है. राइफल में 20 राउंड की मैगजीन होती है. इसे टैक्टाइल सपोर्ट कैटेगरी में राइफल माना जाता है. भारतीय सेना के अलावा 25 से ज्यादा देशों की सेनाएं इसका इस्तेमाल कर रही हैं.
7. माउज़र SP 66 स्नाइपर राइफल
जर्मन मेड माउज़र SP 66 एक बोल्ट-एक्शन स्नाइपर राइफल है. ये एसपी 66 मॉडल आम नागरिकों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली बंदूक की तरह ही है. इसका लुक हंटिंग राइफल की तरह है. क़रीब 800 मीटर तक इसकी मारक क्षमता है. इंडियन आर्मी समेत विशेष सशस्त्र बलों द्वारा इस राइफल का इस्तेमाल किया जाता है.
8. SAF कार्बाइन 2 A 1 सब मशीन गन
9. NSV हैवी मशीन गन
10. AK-103 असॉल्ट राइफल
AK-103 एक 7.62x39mm कारतूस, एक ग्रेनेड लांचर, और चाकू के साथ आती है. इस गन का इस्तेमाल हर तरह की जगह पर किया जा सकता है. इसका इस्तेमाल सेना के अलावा अर्धसैनिक बल, स्पेशल फ़ोर्सेस और पुलिस भी करती है.
भारतीय सेना के पास इनके अलावा भी ऐसी बहुत सी ख़तरनाक बंदूके हैं, जिनका नाम सुनकर दुश्मन के पांव थर-थर कांपने लगते हैं.