राजनीति उठा-पटक और काफ़ी बैठकों के बाद भारत का एक टुकड़ा अलग हुआ और पाकिस्तान के नाम से एक नया मुल्क़ विश्व के मानचित्र में जुड़ा. जहां एक और पंडित जवाहर लाल नेहरू भारत का पहले प्रधानमंत्री बने, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की संविधान सभा की दूसरी बैठक में मोहम्मद अली जिन्ना को पाकिस्तान के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया. यह तारीख़ थी 11 अगस्त 1947. इसी दिन ही पाकिस्तानी झंडे को औपचारिक रूप से सहमति मिली. आइये, जानते हैं कि मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान में अपने भाषण में क्या-क्या कहा.    

क़ायदे आज़म की उपाधि  

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संविधान सभा द्वारा पाकिस्तान के राष्ट्रपति चुने जाने के एक दिन पहले ही मोहम्मद अली जिन्ना को क़ायदे आज़म की उपाधि दी गई थी. जिन्ना ने इसी हैसियत से अपने सपनों में देश में पहला भाषण दिया.    

हिंदू-मुस्लिम समानता पर भाषण  

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अपने इस भाषण में मोहम्मद अली जिन्ना ने हिंदू मुस्लिम समानता की बात कही. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान मुल्क़ में सभी लोग बराबर हैं, चाहे वो मुस्लिम हो या हिंदू. आप अपनी मर्जी से मंदिर या मस्जिद कहीं भी जा सकते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि सभी इस देश के निवासी हैं और सभी को भी समान अवसर दिए जाएंगे बिना किसी भेदभाव के.   

भाषण में कुछ अलग ही दिखे जिन्ना   

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यह सभी जानते हैं कि पाकिस्तान की मांग जिन्ना ने क्यों की थी. उन्हें डर था कि कहीं भारत में हिंदुओं की आबादी के आगे मुस्लिमों के अधिकार कुचल न दिए जाएं. इसी डर की वजह से उन्होंने एक अलग मुल्क़ पाकिस्तान की मांग की, लेकिन अपने भाषण में जब उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता की बात की, तो यह काफ़ी चौंकाने वाली बात लगी. वो अपने मिजाज़ से बिल्कुल अलग बात कर रहे थे.   

पारदर्शी सरकार  

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जिन्ना ने अपने भाषण में यह बात भी रखी कि उनकी सरकार एक पारदर्शी सरकार होगी. उनकी सरकार धर्म की आज़ादी देने के साथ-साथ समानता के अधिकारों और सही क़ानून पर काम करेगी. वहीं, जिन्न ने लोगों से यह भी कहा कि लोगों की संपत्ति, उनके जीवन और उनकी आस्थाओं की भी रक्षा सरकार की ज़िम्मेदारी रहेगी.

बंटवारे पर रखी अपनी बात   

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मोहम्मद अली जिन्ना बंटवारे पर भी बोले. उन्होंने पाकिस्तानी जनता से कहा कि संयुक्त भारत में आपको कभी बराबरी का दर्जा नहीं मिलता. इसलिए, जो बंटवारा हुआ है उसे अंतिम और अटूट मानें.    

संयुक्त भारत को ठहराया ग़लत

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जिन्ना ने संयुक्त भारत के विचार पर कहा कि यह कभी सफल नहीं होता. वहीं, जो लोग बंटवारे को नापसंद कर रहे थे, जिन्ना ने उनसे कहा कि इसके अलावा और कोई समाधान नहीं था. साथ ही जिन्ना ने ज़ोर देकर कहा कि संयुक्त भारत का नतीजा बहुत ही भयानक होगा और यह बात आने वाला समय सही साबित कर देगा.   

पाकिस्तान बना कट्टर मज़हबी देश   

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जिन्ना के किए वादों और भाषण में रखी बात तब फीकी पड़ गई, जब पाकिस्तान एक कट्टर मज़हबी देश बनकर उभरा. अब पूरा विश्व जानता है कि लोगों की सुरक्षा, ज़िम्मेदारी और धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर पाकिस्तान के अंदर क्या हालात हैं.