सभी जानते हैं कि ऐतिहासिक लाल क़िला या Red Fort दिल्ली में मौजूद है. लेकिन, आपको जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान में भी एक प्राचीन इमारत है जिसे रेड फ़ोर्ट कहा जाता है. वैसे, ये क़िला भी कभी भारत का हिस्सा था, लेकिन भारत विभाजन के बाद ये पाकिस्तान में चला गया. आइये, इस ख़ास लेख में जानते हैं इस क़िले का इतिहास और इससे जुड़ी कुछ अनसुनी बातें.  

पाकिस्तान का लाल क़िला 

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पाकिस्तान का लाल क़िला देश के मुजफ़्फ़राबाद में स्थित है, इसलिए इसे मुजफ़्फ़राबाद का क़िला या मुजफ़्फ़राबाद फ़ोर्ट के नाम से भी जाना जाता है. इसके अलावा, इसे स्थानीय लोग ‘रुट्टा क़िला’ या सिर्फ़ ‘क़िला’ भी कहते हैं.  

क़िले का निर्माण  

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माना जाता है कि इस क़िले का निर्माण मुजफ़्फ़राबाद शहर के संस्थापक सुल्तान मुजफ़्फ़र ख़ान ने करवाया था. इस क़िले का निर्माण का काम 1559 में शुरु हुआ था, लेकिन बाद में इस पर मुग़लों ने कब्ज़ा कर लिया था. वहीं, धीमी गति से इसके निर्माण का काम चलता रहा और 1646 में ये पूरी तरह बनकर तैयार हो गया था. वहीं, डोगरा शासकों (महाराजा गुलाब सिंह और रमबीर सिंह) के दौरान इस क़िले में कई बदलाव किए गए.  

क़िले की बनावट    

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क़िले की वास्तुकला देखने लायक है. ये क़िले तीन दिशाओं से नीलम नदी से घिरा है. वहीं, उत्तरी भाग में सीढ़ियों के साथ बनाई गईं छत हैं. इन सीढ़ियों से नदी के किनारे जाया जा सकता है. वहीं, पूर्वी दिशा से क़िले को काफ़ी सुरक्षित तरीक़े से बनाया गया था, ताकि बाढ़ के पानी से क़िले को बचाया जा सके. हालांकि, समय के साथ उत्तरी भाग के कई हिस्से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. 

वीरान पड़ा है क़िला  

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इस क़िले के पुननिर्माण का काम 1846 में डोगरा राजवंश के महाराजा गुलाब सिंह ने करवाया था. वहीं, राजनीतिक और सैन्य अभियानों के लिए किले का विस्तार किया. वहीं, क़िले का पूरा काम महाराजा रणबीर सिंह से शासनकाल में पूरा हुआ. डोगरा मिलिट्री की नई छावनी बनने तक इस क़िले को 1926 तक इस्तेमाल किया. इसके बाद ये क़िला तब से खाली पड़ा है और अब मात्र खंडहर रूप में मौजूद है.