भारत को मंदिरों का देश भी कहा जाता है. यहां आपको असंख्य और आकर्षक मंदिर दिख जाएंगे. यहां मौजूद बहुत से मंदिर आधुनिक समय में बनाए गए हैं, जबकि बहुतों का अस्तित्व प्राचीन काल से जुड़ा है. इसके अलावा, यहां कुछ ऐसे मंदिर भी हैं, जो अपनी भव्यता के साथ-साथ अनोखी विशेषताओं के लिए भी जाने जाते हैं. एक ऐसे ही भारतीय मंदिर के बारे में हम आपको यहां बताने जा रहे हैं, जिसकी एक ख़ास विशेषता की वजह से इसे रहस्यमयी मंदिरों में शामिल किया गया है.  

लेपाक्षी मंदिर   

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वीरभद्र मंदिर, जिसे लेपाक्षी मंदिर भी कहा जाता है. यह रहस्ययमी मंदिर दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के अनंतपुर ज़िले के लेपाक्षी गांव में स्थिति है. लेपाक्षी सांस्कृतिक और पुरातात्विक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान वीरभद्र को समर्पित मंदिरों का स्थान है, जिन्हें विजयनगर साम्राज्य (1336-1646) के अंतर्गत बनवाया गया था.   

मंदिर निर्माण की दूसरी मान्यता   

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विजयनगर साम्राज्य से अलग इस मंदिर के निर्माण से जुड़ी एक और मान्यता प्रचलित है. ऐसा कहा जाता है कि इस प्राचीन मंदिर का निर्माण अगस्त्य ऋषि ने करवाया गया था और यह मंदिर रामायणकाल से जुड़ा बताया जाता है.

रावण और जटायु का युद्ध   

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ऐसी मान्यता है कि जब रावण माता सीता का अपहरण कर उन्हें लंका ले जा रहा था, तो माता सीता को बचाने के लिए जटायु ने इसी स्थल पर रावण से युद्ध किया था. रावण के प्रहार से जटायु घायल होकर इसी स्थल पर गिरे थे. वहीं, माता सीता की खोज में आए भगवान राम और लक्ष्मण इसी स्थल पर ही जटायु से मिले थे और भगवान राम ने ‘ले-पाक्षी’ कहकर उन्हें गले से लगाया था. ‘ले-पाक्षी’ एक तेलुगू शब्द है, जिसका मतलब होता है उठो पक्षी. कहा जाता है कि इसी के बाद से इस स्थल का नाम लेपाक्षी पड़ा.  

मंदिर का रहस्य   

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वहीं, अपने प्राचीन संबंध और वास्तुकला के अलावा यह मंदिर अपने रहस्य के लिए भी विश्व भर में जाना जाता है. दरअसल, यहां मौजूद वीरभद्र मंदिर का स्तंभ ज़मीन से आधा इंच ऊपर उठा हुआ है, मतलब यह स्तंभ हवा में लटका हुआ है. इसी वजह से इसे ‘Hanging Pillar’ के नाम से भी जाना जाता है.    

रहस्य जानने का प्रयास   

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इस स्तंभ का रहस्य जानने के लिए कई लोगों ने प्रयास किया, जिसमें अंग्रेज अधिकारी भी शामिल हैं. माना जाता है कि अंग्रेज अधिकारियों ने इस स्तंभ को हटाने की कोशिश की, पर वो अपनी इस कोशिश में नाकामयाब रहे.  

स्तंभ का रहस्य बरक़रार 

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कहा जाता है कि बहुतों से समझा कि इस स्तंभ का इस मंदिर के लिए कोई योगदान नहीं है, लेकिन जैसे ही इसे हटाने की कोशिश की गई, तो मंदिर के बाकी हिस्सों में हलचल देखी गई. इस वजह से अब इस स्तंभ से छेड़छाड़ नहीं की जाती. वहीं, अभी तक जमीन से आधा इंच उठे इस स्तंभ का रहस्य बरक़रार है, जिसे कोई नहीं जान पाया.