भारत में ऐसी कई इमारतें हैं जो इतना भव्य इतिहास लिए खड़ी हैं कि उनकी कहानियां जानना ज़रूरी हो जाता है. मुंबई में ‘गेटवे ऑफ़ इंडिया’ के सामने खड़ा ‘ताज होटल’ ऐसी ही एक विशाल इमारत है.
16 दिसंबर, 1903 में 17 मेहमानों के लिए खुला ‘ताज महल पैलेस’ टाटा ग्रुप के फ़ाउंडर, जमशेदजी टाटा का सपना था. होटल का नाम ‘ताजमहल’ के नाम पर रखा गया है, जो आगरा शहर में स्थित है. होटल दो अलग-अलग इमारतों से बना है: ताजमहल पैलेस और टावर. ताज महल पैलेस बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में बनाया गया था. जबकि टावर 1973 में खोला गया था.
जमशेदजी शुरू से ही इस होटल में आए लोगों को उस समय चल रही सबसे आधुनिक और सर्वश्रेष्ठ सुविधा देना चाहते थे. 20वी सदी की शुरुआत में ही होटल की अपना ख़ुद का इलेक्ट्रिक पावर प्लांट, रूम को ठंडा रखने के लिए कूलिंग मशीन जैसी कई सुविधाएं थी. वह चाहते थे कि यह होटल लोगों के लिए ऐसी जगह बने जहां आकर वह अपनी आम ज़िंदगी को भूल जाएं.
होटल के शुरूआती दिनों में भारतीय महाराजा और राजकुमार यहां के पक्के मेहमान बन गए थे. उनके लिए यह ‘दूसरे घर’ जैसा था. यही नहीं इतिहास की महत्वपूर्ण लड़ाइयों में भी होटल ने आगे बढ़कर लोगों को अपने यहां जगह दी है. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान यह चमकता पांच सितारा होटल को 600 बेड के अस्पताल में बदला गया था.
आज़ादी की लड़ाई के वक़्त भी इस होटल ने कई उतार-चढ़ाव देखें हैं. मोहम्मद अली जिन्नाह, सरोजिनी नायडू, महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसी बड़े स्वतंत्रता सेनानियों का यहां आना-जाना लगा रहता था.
118 साल से खड़ी इस इमारत ने बॉम्बे को मुंबई तक बनाने में अपना एक बहुत बड़ा योगदान दिया है. आइए, अब आपको दिखाते हैं देश के ‘जादू घर’ की कुछ ऐतिहासिक तस्वीरें.
1. ताज महल और गेटवे ऑफ़ इंडिया
2. होटल गार्डन
3. पहले रिसेप्शन ऐसा दिखता था. रिसेप्शन डेस्क के आगे फ़िल्मों के पोस्टर लगे रहते थे.
4. डाइनिंग हॉल
5. महाराजा, ब्रिटिशर्स, भारतीय और व्यवसायी होटल में खाने पर मिलते हुए
6. ताज होटल के बाहर खड़ी मेहमानों की गाड़ियां
7. यह पुराना डाइनिंग रूम है जा आज एक बॉल रूम में बदल चुका है
8. पुराना भव्य ताज
9. ताज के शुरूआती दिनों की एक तस्वीर
10. 1973 में ताज में जुड़ता ‘टावर’
11. लॉर्ड माउंटबेटन ने ताजमहल पैलेस में अपना विदाई भाषण दिया था.
12.आसमान से ताज का भव्य नज़ारा
13. यह Luxury की नई परिभाषा लेकर आया था
14. ताज से 1914 -1918 की ग्रेट वॉर के समय का नज़ारा
महाराजों से लेकर आम जनता तक, लक्ज़री से लेकर आतंकी हमले तक इस ऐतिहासिक इमारत ने सब देखा है.