भारतीय सभ्यता दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है. इस बात से तो हम सब वाकिफ़ हैं. मग़र क्या आप जानते हैं कि भारत में ऐसे कई शहर हैं, जो 2,000 साल से भी ज़्यादा वक़्त से बसे हुए हैं. जी हां, ये वो शहर हैं, जो सत्ता के तमाम उतार-चढ़ावों के बावजूद अपना वजूद बरकरार रखने में कामयाब हुए हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे ही भारतीय शहरों से रू-ब-रू कराएंगे.

1. वाराणसी – 1200 ई.पू.

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वाराणसी, भारत में सबसे पुराने शहरों में से एक है. कांस्य युग के पतन के बाद से ही ये धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है. माना जाता है कि ये शहर इससे भी पहले से बसा हुआ है, क्योंकि 1700 – 1100 ईसा पूर्व के बीच ऋग्वेद में भी इसका उल्लेख मिलता है. हिंदुओं का मानना ​​​​है कि वाराणसी में मरने से मोक्ष मिलता है, यही वजह है कि शहर हमेशा तीर्थयात्रियों से भरा रहता है.

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वहीं, बौद्ध और जैन धर्म के लिए भी ये सबसे पवित्र शहरों में से एक है. भगवान बुद्ध ने 528 ई.पू. में सारनाथ (वाराणसी) में ही अपना पहला उपदेश दिया था. प्रसिद्ध अमेरीकी लेखक मार्क ट्वेन लिखते हैं: ‘बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपराओं से पुराना है, पौराणिक कथाओं से भी पुराना है और जब इन सबको एक कर दें, तो उस संग्रह से भी दोगुना प्राचीन है.

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2. उज्जैन – 700/600 ई.पू.

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वर्तमान मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में स्थित उज्जैन कभी मध्य भारत के सबसे प्रमुख शहरों में से एक था. इसका उल्लेख कालिदास की रचनाओं में भी मिलता है. ये शहर कई बड़े साम्राज्यों के बनने और ध्वस्त होने का गवाह रहा है. इसमें मौर्यों से लेकर अवंती, नंद और गुत्त साम्राज्य तक शामिल है. इसे भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है और यहां सिंहस्थ कुंभ का आयोजन भी होता है. 

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3. राजगीर – 600 ई.पू

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प्राचीन काल में राजगीर, मगध राजवंश की पहली राजधानी थी. बाद में ये मौर्य साम्राज्य में इसका विकास हुआ, जो उस समय दुनिया के सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक था. वर्तमान में ये पटना के पास स्थित है. ये शहर हमेशा से सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण रहा है. राजगीर का उल्लेख महाभारत तक में मिलता है. चीनी यात्री Faxian और Xuanzang ने भी राजगीर के बारे में ज़िक्र किया है.

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ये आज गिद्ध की चोटी के लिए प्रसिद्ध है, यहां गौतम बुद्ध ने कई उपदेश दिए. बौद्ध धर्म के कई सबसे प्रसिद्ध सूत्र यहां दिए गए थे.राजगीर में ही सप्तपर्णी गुफा है, जहां बुद्ध के निर्वाण प्राप्त करने के बाद पहली बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था. इसके अलावा, ये रहस्यमय सोनभंडार गुफाओं का स्थल है, जिनके बारे में कहा जाता है कि यहां भूमिगत खजाना छिपा है.

4. वैशाली – 600 ई.पू.

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वैशाली, लिच्छवी गणराज्य की राजधानी थी, जिसे दुनिया का पहला गणराज्य भी माना जाता है. यहां गौतम बुद्ध भी कई बार प्रवास के दौरान आए. यहां तक उनके अवशेषों को  483 ईसा पूर्व (वर्तमान में पटना संग्रहालय में) वैशाली के स्तूप में दफनाया गया था. धार्मिक ग्रंथ विष्णु पुराण में इसके इतिहास का उल्लेख है. जैनियों के अंतिम तीर्थंकर वर्धमान महावीर का जन्म इसी गणतंत्र में हुआ था. इसकी समृद्धि का अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं कि माना जाता है कि यहां उस वक़्त सात हज़ार से ज़्यादा मैदान और उतने ही कमल के तालाब थे. 

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5. मदुरै – 500 ई.पू.

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मदुरै 2,500 से अधिक वर्षों से संस्कृति और व्यापार का एक प्रमुख केंद्र रहा है. इसका उल्लेख मौर्य कालीन यूनानी राजदूत मेगस्थनीज ने भी किया है. इस पर पांड्य से लेकर चोल और अंग्रेज़ों तक ने शासन किया है. इसके प्राचीन नामों में से एक, ‘कूडल’ का अर्थ है ‘विद्वानों की एक मण्डली’, और मदुरै वास्तव में, सैकड़ों वर्षों से, भारत के दक्षिणी भाग में विद्वानों और धार्मिक शिक्षकों का केंद्र था. पूरा शहर विश्व प्रसिद्ध मीनाक्षी मंदिर के चारों ओर बना हुआ है. ऐसा कहा जाता है कि इसे लगभग 600 ईसा पूर्व बनाया गया था और फिर 17 वीं शताब्दी में अपने वर्तमान स्वरूप में इसका पुनर्निर्माण किया गया था.

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6. पटना – 500 ई.पू.

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बिहार की राजधानी पटना की जड़े 2,500 साल गहरी हैं. इसे पहले पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था. नालंदा और बोधगया जैसे स्थलों के निकट होने के कारण ये सभी धर्मों के तीर्थयात्रियों के लिए एक लोकप्रिय स्थान है. ये वो शहर भी है जहां सिखों के 10वें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था. Faxian के यात्रा वृतांतों में पटना का उल्लेख मिलता है, और बुद्ध ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष में पूरे पटना की यात्रा की थी. मेगस्थनीज ने पटना को ‘पृथ्वी पर सबसे महान शहर’ के रूप में वर्णित किया था.

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7. तंजावुर – 300 ई.पू.

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तंजावुर को पहले तंजौर के नाम से जाना जाता था. ये ख़ूबसूरत शहर कई महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थलों का घर है. ये पेंटिंग की तंजौर शैली का भी घर है (एक पारंपरिक शैली जिसमें सोने की पन्नी, धार्मिक कल्पना और सरल रचनाओं के उपयोग की विशेषता है). तंजौर को चोल राजवंश की राजधानी के रूप में प्रमुखता प्राप्त थी. आज ये चोल मंदिरों के रूप में विश्व विख्यात है. यहां का वृहदेश्वर मंदिर विश्व प्रसिद्ध है. यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है.