Chernobyl Disaster(चेर्नोबिल त्रासदी) को भले ही लोग दुनिया की सबसे बड़ी न्यूक्लियर त्रासदी मानते हों, लेकिन सोवित संघ ने ऐसे बहुत से हादसों को दुनिया से छुपा कर रखा. इन्हीं में से एक कारण से बसा था एक सीक्रेट शहर. इसे सोवियत संघ ने दुनिया से लगभग 50 साल तक छुपा कर रखा था. यहां तक कि इसका मैप पर नामो-निशान तक मौजूद नहीं था. 

1947 में  हुआ था इसका निर्माण  

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बात हो रही है रूस के City-40 शहर की जिसे आज दुनिया Ozersk के नाम से जानती है. इस शहर को सोवित संघ के न्यूक्लियर प्रोजेक्ट्स के साथ बनाया था. इसका निर्माण 1947 में  हुआ था. इस शहर को रूस के Mayak इलाके के पास बनाया गया था. Mayak में सोवियत संघ ने 1945-1957 तक काफ़ी रेडियोएक्टिव पदार्थ फेंके थे. 

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यहां रहने वालों का नहीं होता था कोई रिकॉर्ड

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एक अनुमान के अनुसार, यहां चेर्नोबिल हादसे से अधिक न्यूक्लियर वेस्ट धीरे-धीरे करके फेंका गया था. ये इतना ख़तरनाक था कि इसकी चपेट में आने से लाखों लोग रेडिएशन से तड़प-तड़प कर मर जाते थे. यहां पर रहने वाले लोगों को इस बारे में कुछ पता नहीं होता था. अगर कोई गड़बड़ी हो भी जाती तो सोवियत संघ उसे छुपा लेता. लोगों को इस बात की भनक न लगे इसलिए सरकार उन्हें अच्छी नौकरी, गाड़ी, खाना-पीना देकर उनका ध्यान भटकाती थी. यहां के लोग पूरे राजसी ठाट-बाट के साथ रहते थे और वो ख़ुद को दूसरे नागरिकों से भाग्यशाली समझते थे.  इसलिए लोग यहां रहने को तैयार हो जाते थे. लेकिन जैसे ही वो लोग इस शहर में रहने आ जाते तो उनकी मौजूदगी का सारा रिकॉर्ड सरकार मिटा देती थी.

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कैदियों की मदद से डेढ़ साल में बना था ये शहर

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वैसे इस शहर को दूसरे विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ ने गुप्त रूप से बनवाया था. इसके लिए उसने 40 हज़ार कैदियों को कम सज़ा का प्रलोभन देकर उनसे इस अंडरग्राउंड प्रोजेक्ट पर काम करवाया था. ये जानते हुए भी कि ये उनके लिए मौत की सज़ा से कम न होगा वो ये काम करने को मजबूर थे. इस शहर को उन्होंने परमाणु वैज्ञानिकों की मदद से डेढ़ साल में बना डाला था. लेकिन 1994 तक ये शहर न तो दुनिया के मैप पर था और न ही रूस की जनगणना में इसके लोगों को शामिल किया गया था. 

सरकार रखती हर ज़रूरतों का ख़्याल 

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इतिहासकारों के मुताबिक, रूस के नेता स्टालिन ने ऐसे कई शहरों को बसाया था. जहां चोरी-छुपे परमाणु हथियार बनाए जाते थे. यहां रहने वाले लोगों का सरकार अपने बच्चों की तरह ख़्याल रखती थी. यही कारण है कि तबीयत ख़राब होने के बावजूद वो लोग यहां से भागने की कोशिश नहीं करते थे. इस शहर की Karachay झील में परमाणु वेस्ट डाला जाता था, जिसकी वजह से ये सूख गई थी. इसकी रेत में भारी मात्रा में रेडियोएक्टिव पदार्थ पाए गए थे, जिनसे लोगों को ख़तरनाक बीमारियां हो सकती थीं. 

दुनिया का सबसे बड़ा Contaminated प्लेस  

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Ozersk की इस झील को दुनिया का सबसे बड़ा Contaminated प्लेस कहा जाता है. ये विश्व में डेथ लेक के नाम से भी जानी जाती है. कहते हैं कि आज भी लगभग 80 हज़ार लोग यहां रहते हैं. इसको चारों तरफ से कंटीली तारों से घेरा गया है और बंदूकधारी सैनिक इसकी रखवाली करते हैं. 2001 में रूस की सरकार ने ऐसे 42 बंद हो चुके शहरों के बारे में दुनिया को बताया था. लेकिन आज भी कहा जाता है कि इनमें से लगभग 15 शहरों के नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं किए गए थे. उनका ख़ुलासा होना बाकी है.

सीक्रेट शहर में रहना तो ठीक था, लेकिन उसके नाम पर किसी रेडियोएक्टिव प्लेस में आज की दुनिया में शायद ही कोई रहना चाहे.