‘कुन फ़ाया कुन’, ‘पिया हाजी अली’, ‘भर दो झोली मेरी’, ‘अर्ज़ियां’, ‘पर्दा है परदा’ ये सभ क़व्वालिया हैं जिन्होंने हमारा खूब मनोरंजन किया है और आज भी करती आ रही हैं. क़व्वाली जो है लगभग 700-800 साल पुरानी एक म्यूज़िकल ट्रेडिशन है. आज भी देश के कई हिस्सों में क़व्वाली गाने वालों और सुनने वाले पाए जाते हैं.
मगर आज के समय में क़व्वाली को लोग भूलते जा रहे हैं, इसे हमेशा के लिए याद रखा जाए और ये आगे भी फलती-फूलती रहे इसलिए ख़ास प्रोजेक्ट शुरू किया गया है. इसका नाम है The Qawwali Project: An Untold Story. इसका आयोजन सूफ़ी कथक फ़ाउंडेशन की संस्थापक मंजरी चतुर्वेदी ने किया है. इसके तहत देशभर के क़व्वालों की तस्वीरें क्लिक कर उनकी एक प्रदर्शनी दिल्ली के India International Centre में लगाई है.
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इन्हीं में से कुछ तस्वीरें हम आपके लिए लाए हैं, जिन्हें देशभर में घूम-घूम कर दिनेश खन्ना, मुस्तफ़ा कु़रैशी और लीना केजरीवाल ने क्लिक किया है. चलिए इन तस्वीरों के ज़रिये इस परंपरा को फिर से जीवंत होते देखते हैं.
1. क़व्वाल उस्ताद रांझण अली दरगाह हज़रत बन्नी शाह, अमृतसर, पंजाब.
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2. क़व्वाल चंचल भारती मुज़फ्फरपुर, बिहार.
3. इस प्रदर्शनी में क़व्वालों की लाइव परफ़ॉर्मेंस की तस्वीरें लगाई गई हैं.
4. हज़रत निज़ामुद्दीन की दरगाह में होती क़व्वाली.
5. उन्नाव की दरगाह हज़रत मकदूम शाह साफी में क़व्वाली गाते उस्ताद मोहम्मद इमरान.
6. क़व्वाल गुलाम वारिस देवा शरीफ़ में क़व्वाली का प्रोग्राम करते हुए.
7. निज़ामुद्दीन बस्ती की लड़कियां क़व्वाली का प्रोग्राम करते हुए.
8. दरगाह हाजी वारिस अली शाह, देवा शरीफ, बाराबंकी में क़व्वाली गाते शकील वारसी.
9. क़व्वाल कमर वारसी दरगाह हज़रत मकदूम शाह साफी उन्नाव.
10. दरगाह हज़रत मकदूम शाह साफी में होती क़व्वाली प्रोग्राम की तैयारियां.
11. क़व्वाल नियाज़ी और कव्वाल अनवर दरगाह हज़रत मौलाना जियाउद्दीन साहब जयपुर.
12. क़व्वाल सलीम हसन चिश्ती शेख सलीम चिश्ती दरगाह फतेहपुर सीकरी आगरा.
13. दरगाह हज़रत शाह खामोश हैदराबाद में क़व्वाल नज़ीर और नसीर अहमद ख़ान वारसी.
14. दरगाह हज़रत इनायत ख़ान में निज़ामुद्दीन बस्ती की लड़कियां क़व्वाली गाते हुए.
15. शाहीन बाग़ में क़व्वाली गाते सर्वजीत टम्टा.
16. दरगाह हज़रत निज़ामुद्दीन में क़व्वाली करते निज़ामी ब्रदर्स.
17. शाहीन बाग़ में होती क़व्वाली का नज़ारा.
क़व्वाली को बचाने की ये क़वायद इतिहास के पन्नों में ज़रूर दर्ज़ होगी.