कहते हैं कि कैसी भी परिस्थिति क्यों न आए, इंसान को कभी हार नहीं माननी चाहिए. इंसान अगर ठान ले, तो वो कुछ भी कर सकता है. आपको ‘मांझी द माउंटेन मैन’ तो याद होंगे, जिन्होंने पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया था. दुनिया में ऐसे कई उदाहरण हैं, जिन्होंने वो कमाल कर दिखाया, जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. वैसे इस आर्टिकल में हम जिस शख़्स के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उसने मौत को चुनौती दे डाली थी. आइये, जानते हैं कौन था वो शख़्स और क्या है उसकी कहानी.   

पून लीम की कहानी   

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यह समय था World War 2 का, तब पून लीम केवल 21 साल के थे. 1942 में SS Benlomond नामक ब्रिटिश जहाज़ में वो नाविक बने. यह जहाज़ दूसरी जगहों पर सामान को लाने व ले जाने का काम करता था. लेकिन, एक दिन एक जर्मन पनडुब्बी U172 की नज़र इस जहाज पर पड़ गई. उसी वक्त से पून लीम की ख़ुद को ज़िंदा रखने की कहानी शुरू हो गई.   

जहाज़ पर किया गया हमला   

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SS Benlomond की ख़बर मिलते ही इस पर हमने की तैयारी की गई. U172 जर्मन पनडुब्बी ने पून लीम के जहाज़ पर लगातार दो टॉरपिडो लॉन्च किए. तब लीम का जहाज़ अमेज़न नदी पर तैर रहा था. यह टॉरपिडो हमला इतना ज़ोरदार था कि लीम का जहाज़ एक ओर झुक गया और जहाज़ के दो बॉयलर फट गए. यह जहाज़ डूब गया और 54 क्रू मेंबर्स में से सिर्फ 6 ज़िंदा बचे.   

लीम को मिल गई थी लाइफ जैकेट   

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पूल लीम भाग्यशाली थे कि उन्हें लाइफ जैकेट मिल गई थी. जिंदा बचे लोग एक साथ मिल न पाए और वो दक्षिण अटलांटिक सागर में इधर-उधर बहने लगे. लीम पानी में लगभग 2 घंटे तक तैरते रहे, बाद में उन्हें एक लकड़ी की तख़्ती मिली, जिस पर वो चढ़ गए. वो लकड़ी की तख़्ती लगभग 8 स्क्वायर फ़ुट की थी. इस लकड़ी की तख़्ती पर लीन को पानी का 40 लीटर का जग, कुछ चॉकलेट, बिस्कुट के डब्बे, फ़्लैशलाइट, फ़्लेयरर्स और 2 स्मोक पॉट मिल गए थे.   

मौत को दी चुनौती   

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लीम एक ख़तरनाक हालत में थे. समंदर में दूर-दूर तक कोई मदद करने वाला नहीं था. उनकी जिंदगी उस तख़्ती तक ही सिमट गई थी. उनके बिस्कुट के पैकेट और चॉकलेट भी ख़त्म हो गई थी. लीन ने उस तख़्ती पर ही मछली पकड़ने का इंतज़ाम कर लिया था. वो मछली को पकड़ते और जिस लकड़ी की तख़्ती पर वो सवार थे, उस पर ही मछली को सुखाते और खाते. मछली को काटने के लिए उन्होंने बिस्कुट के टीन के डब्बे से ही छुरी बना ली थी.
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परीदें का ख़ून पीकर अपनी भूख मिटाई   

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पून लीम किसी तरह अपनी जान बचाने की कोशिश में लग थे. अचानक एक समुद्री तूफ़ान आया और लीम की पकड़ी हुई मछलियों और पीने के पानी को ख़राब कर दिया. कहते हैं कि लीम ने अपनी भूख मिटाने के लिए एक परिंदे को पकड़ा और उसका ख़ून पिया. अब आप सोच सकते हैं कि लीम किन हालातों में थे.   

कोई नहीं आया मदद के लिए   

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कहा जाता है कि पून लीम को समंदर में कई जहाज़ों ने लीम को देखा था, लेकिन लीम एशियाई मूल के थे, इसलिए कोई भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आया. जर्मन लोगों ने भी लीम को देखा था, लेकिन वो भी उनकी मदद के लिए आगे नहीं आए. वहीं, जब अमेरिकी फ़ायरमैन ने पून लिम को जैसे ही देखा, समुद्री तूफ़ान उन्हें बहा ले गया.   

मछुआरों ने बचाई उनकी जान   

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लीम को ब्राज़ील के पास तीन मछुआरों ने देखा और उनकी जान बचाई. वो 133 दिनों तक सिर्फ लकड़ी की तख़्ती के सहारे समंदर में तैरते रहे. कहा जाता है कि लीन का वजन 9 किलो कम हो गया था और वो 4 हफ़्तों तक अस्पताल में भर्ती थे.