भारत अपने ऋषि मुनियों और योगियों के लिए हमेशा से ही जाना गया है. इतिहास गवाह है कि भारतीय संतों ने हमेशा से ही अपनी साधना और योग के बल पर पूरे विश्व को आश्चर्यचकित करने का काम किया है. इसी कड़ी में हम आपको भारत एक ऐसे योगी व संत के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी गहन साधना के बल पर वैज्ञानिकों को भी चुनौती दे डाली थी. हालांकि, वो हमारे बीच नहीं है, लेकिन ये देश हमेशा उन्हें याद करता रहेगा.   

प्रह्लाद जानी  

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हम बात कर रहे हैं प्रह्लाद जानी की, जिन्हें ‘चुनरीवाली माताजी के नाम से भी जाना जाता था. प्रह्लाद जानी गुजरात के अंबाजी के रहने वाले थे. जानकारी के अनुसार, उनका जन्म 1929 में हुआ था.   

79 सालों तक बिना कुछ खाए रहे ज़िंदा

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बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रह्लाद जानी ने 79 सालों तक अपने शरीर में अन्न का एक दाना भी नहीं डाला था और वो बस ध्यान-साधना के बल इतने वर्षों तक ज़िंदा रहे. इस पर प्रह्लाद जानी का कहना था कि उन्हें ध्यान से ऊर्जा प्राप्त होती है. प्रह्लाद जानी ने जब खाना-पिना छोड़ा, तो उनकी उम्र मात्र 12 वर्ष की थी.   

किया गया था शोध   

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रिपोर्ट के अनुसार, प्रह्लाद जानी पर 2010 में एक शोध किया गया था कि कैसे एक इंसान बिना कुछ खाए-पिए इतने वर्षों तक ज़िंदा रह सकता है.   

कई दिनों तक चला शोध  

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प्रह्लाद जानी पर अहमदाबाद के डॉक्टर्स की एक टीम शोध कर रही थी. डॉक्टर्स ने 15 दिनों तक टेस्ट किए. इस दौरान वो 24 घंटे सीसीटीवी की निगरानी में थे. इस बीच उन्होंने कुछ भी ग्रहण नहीं किया. वहीं, कई दिनों तक वो डॉक्टर्स की निगरानी में भी रहे.  

मूत्र त्याग भी नहीं किया   

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सोचने वाली बात है कि इस दौरान उन्होंने मूत्र तक त्याग नहीं किया. ये सब डॉक्टर्स के लिए हैरान कर देने वाली घटना थी.   

उठे सवाल और एक दावा हुआ ग़लत  

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प्रह्लाद जानी के चमत्कारी शरीर से कई लोग सहमत थे, तो कई लोगों ने उनके दावे को ग़लत साबित करने के लिए और टेस्ट कराने की बात कही. वहीं, ऐसा कहा जाता है कि प्रह्लाद जानी ने 300 साल जीने की दावा किया था, लेकिन उनका निधन 91 वर्ष में ही हो गया था. इसे चमत्कार कहें या योग-साधना की शक्ति, उनके निधन तक उनका जीवन रहस्य ही बना रहा.