Rakhi Bandhne Ke Niyam: भाई-बहन का रिश्ता बड़ा ही ख़ास माना जाता है और इस रिश्ते को और भी स्पेशल और मज़बूत बनाने का काम करता है रक्षाबंधन का त्योहार, जिसका भाई-बहन को बेसब्री से इंतज़ार रहता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार, ये त्योहार हर वर्ष सावन के महीने में आता है और इसे शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि में मनाया जाता है.
आइये, अब विस्तार से जानते हैं राखी बांधने के नियम (Rakhi Bandhne Ke Niyam) और भाई को राखी कैसी बांधे
सिर पर रखें रुमाल
राखी बांधने के नियम: राखी बंधवाने से पहले स्नान कर लें और नए कपड़े धारण करें. बहन से राखी बंधवाते वक़्त सिर पर रुमाल या कोई साफ़ कपड़ा रखना न भूलें. हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार, बिना सिर को ढकें राखी नहीं बंधवानी चाहिए.
मुंह की दिशा
Rakhi Bandhne Ke Niyam: बहन से राखी बंधवाने के नियम में मुंह की दिशा से जुड़ी बात भी शामिल है. मान्यता के अनुसार, बहन से राखी बंधवाते वक़्त भाई का सिर या तो पूर्व दिशा की ओर हो या उत्तर. वहीं, पीठ पश्चिम या दक्षिण दिशा में होनी चाहिए. वहीं, बहन का मुख भाई के मुख की दिशा के ठीक विपरित होना चाहिए.
थाली में टूटे हुए अक्षत न रखें
Rakhi Bandhne Ke Niyam: राखी बांधने के नियम: इसके बाद अपने भाई को चंदन, अक्षत और कुमकुम का तिलक लगाएं. साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि राखी की थाली में टूटे हुए अक्षत भूल से भी न रखें.
राखी की तीन गांठ बांधें
राखी बांधने के नियम: भाई की दाहिनी कलाई पर ही राखी बांधें. राखी की हमेशा तीन गांठ बांधे. तीन गांठ शुभ मानी जाती है. माना जाता है कि ये तीन गांठ भगवान ब्रह्मा विष्णु और महेश को समर्पित होती हैं. राखी की पहली गांठ भाई की लंबी उम्र के लिए, दूसरी गांठ बहन की लंबी उम्र के लिए और तीसरी गांठ दोनों के पवित्र रिश्ते की लंबी उम्र के लिए.
रक्षामंत्र ज़रूर पढ़ें
Rakhi Bandhne Ke Niyam: राखी बांधने के नियम: हिन्दू धर्म में हर धार्मिक अनुष्ठान के लिए ख़ास मंत्रों का उच्चारण किया जाता है. रक्षाबंधन के लिये भी मंत्र है, जिसका उच्चारण भाई की कलाई पर राखी बांधते वक़्त करना चाहिए. वो मंत्र है, “येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबल: तेन त्वाम् प्रतिबद्धनामि रक्षे माचल माचल:”