Republic Day Guest Process : भारत में 26 जनवरी को हर साल गणतंत्र दिवस (Republic Day 2023) ख़ूब धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन भारत का संविधान लागू किया गया था. इस दिन दिल्ली के राजपथ पर विशेष कार्यक्रम होता है, जिसको देखने के लिए देश-विदेश से लोगों की भारी भीड़ जमा होती है. इसके अलावा इस दिन विदेशी प्रमुखों को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है. ये परंपरा आज से नहीं, बल्कि सालों से चली आ रही है.
इस दिन बाहर से आए अतिथियों का विशेष सम्मान और सत्कार किया जाता है. साथ ही उन्हें विशेष गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया जाता है. काफ़ी लोगों के मन में ऐसे सवाल होते हैं कि इस दिन आने वाले अतिथियों को चुना कैसे जाता है. तो जान लीजिए अतिथि चुने जाने की पूरी प्रक्रिया होती है, जिसमें काफ़ी वक़्त लगता है.
आइए आज हम आपको इसी प्रक्रिया के बारे में बता देते हैं.
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इस साल 2023 में कौन होगा मुख्य अतिथि?
पहले इस साल के मुख्य अतिथि के बारे में थोड़ा जान लेते हैं. दरअसल, बीच में कोरोना महामारी के कहर के चलते भारत में क़रीब दो साल बाद गणतंत्र दिवस पर कोई मुख्य अतिथि आ रहा है. इस बार के मेन गेस्ट मिस्त्र के राष्ट्रपति अब्देह फ़तेह अल सिसि होंगे. उन्होंने नवंबर 2022 में गणतंत्र दिवस के निमंत्रण को स्वीकार किया है. वे पहले मिस्र के रक्षा मंत्री और सेना प्रमुख हुआ करते थे. भारत और मिस्र के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने के इस महत्वपूर्ण अवसर पर जश्न मनाने के लिए मिस्र के राष्ट्रपति को आमंत्रित किया गया है.
कई पहलुओं पर किया जाता है विचार
इस दिन कौन मुख्य अतिथि के तौर पर आएगा, इसके लिए काफ़ी पहलुओं पर विचार किया जाता है. इसमें सबसे पहले जिसे बुलाया जा रहा है, उसके देश और भारत के बीच संबंधों का ध्यान रखना पड़ता है. इस आमंत्रण को दोस्ती का हाथ बढ़ाने के कदम या दोनों देशों के बीच दोस्ती की दुनिया को एक झलक दिखाने के तौर पर भी देखा जाता है. इसके अलावा अतिथि को आमंत्रित करने के देश से भारत के राजनैतिक, व्यवसायिक, सैन्य, आर्थिक अन्य हितों पर कैसा प्रभाव है और होगा इसका भी ख़ास ख्याल रखा जाता है. साथ ही ये भी देखा जाता है कि अतिथि को बुलाने से किसी दूसरे देश से हमारे देश के संबंधों का तो कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
इतिहास में संबंधों का भी रखा जाता है ध्यान
अतिथि को आमंत्रित करते समय ये भी चीज़ें ध्यान में रखी जाती हैं कि इतिहास में भारत और उस देश के बीच कैसे संबंध थे. उदाहरण के तौर पर मिस्त्र और भारत की दोस्ती ऐतिहासिक है, क्योंकि ये देश 1950 और 1960 दशक में निरपेक्ष आंदोलन में भारत का साथी रहा है. इस आंदोलन का मक़सद कभी औपनिवेशिक रहे देशों को शीत युद्ध की चपेट में आने से बचाना था.
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फिर राष्ट्रपति से लेनी होती है अनुमति
इसके बाद विदेश मंत्रालय पीएम और राष्ट्रपति से अनुमति लेता है. उनकी मंज़ूरी मिलने पर फिर आगे की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. फिर उस देश में भारत के राजदूत ये पता लगाने में जुट जाते हैं कि क्या गणतंत्र दिवस पर उस देश के प्रतिनिधि मौजूद हो पाएंगे या नहीं. कभी-कभी क्योंकि ऐसा भी होता है कि ज़्यादातर प्रतिनिधि के पहले से तय अन्य कार्यक्रम की वजह से आमंत्रण अस्वीकार भी हो सकता है.
इसी वजह से विदेश मंत्रालय मुख्य अतिथि के लिए एक से ज़्यादा ऑप्शन लेकर चलता है. इसके बाद विदेश मंत्रालय की अतिथि के देश से बातचीत शुरू की जाती है. उन्हें पूरा कार्यक्रम का ब्यौरा देते हुए आमंत्रण दिया जाता है. साथ ही उन्हें हर एक पल की डीटेल में जानकारी दी जाती है. एक बार आमंत्रण स्वीकार होने पर फिर आगे की तैयारियां की जाती हैं. कभी-कभी अतिथि के साथ उनके परिवार के सदस्य भी आते हैं, जिनके बारे में पहले से ही जानकारी दे दी जाती है.
गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि पूरे कार्यक्रम का प्रमुख आकर्षण होते हैं.