दुनिया में कई महान और शूरवीर शासक हुए, जिसमें ‘सिकंदर’ का नाम भी आता है. सिकंदर, यूनान राज्य के मकदूनिया का शासक था. अपने पिता फिलिप की मृत्यु के बाद वो 336 ईसा पूर्व में गद्दी पर बैठा. उसके बारे में कहा जाता है कि उसने अपनी मृत्यु तक हर उस ज़मीन को अपने कब्जे में ले लिया था जिसकी जानकारी प्राचीन ग्रीक के लोगों को थी. यही वजह है उसे ‘विश्व विजेता’ भी कहा जाता है.


वहीं, सिंकदर ने भारत पर भी आक्रमण किया था, जहां उसे कांटे की टक्कर देने वाला एक शूरवीर राजा मिला. इसके बाद उस राजा और सिकंदर के युद्ध व दोस्ती के किस्से आज भी सुनाए जाते हैं. कौन था वो राजा और क्या थी सिकंदर के साथ उसकी पूरी कहानी, जानिए इस ख़ास लेख में.   

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सिकंदर को टक्टर देने वाला ‘पोरस’      

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उस शूरवीर राजा का नाम था पुरूवास, जो पोरस के नाम से ज़्यादा जाने गए. पोरस का शासन क्षेत्र पंजाब की झेलम नदी से लेकर चेनाब नदी तक फैला हुआ था. वर्तमान लाहौर के आसपास इनकी राजधानी थी. पोरस, पोरवा के वंशज कहे जाते हैं. इतिहासकारों के अनुसार, पोरस ने 340 ईसा पूर्व से 315 ईसा पूर्व तक राज किया. सिंकदर से युद्ध से पहले भी पोरस को शक्तिशाली राजा माना जाता था.  

क्यों हुआ था सिकंदर और पोरस के मध्य युद्ध?  

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जैसा कि आपको पता होगा कि सिकंदर विश्व को जीतने निकला था. इस दौरान उसने पोरस के शासन क्षेत्र में प्रवेश किया. इतिहासकार बताते हैं कि पोरस ने बाकी शासकों की तरह सिकंदर के सामने घुटने नहीं टेके थे. यही वजह थी कि सिकंदर और पोरस के बीच युद्ध हुआ. कहा जाता है कि 326 ईसा पूर्व में इन दोनों के बीच लड़ाई हुई थी.  

50 हज़ार से भी ज़्यादा सैनिक

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इतिहासकारों के अनुसार, जिस समय सिकंदर ने पोरस पर आक्रमण किया, उस वक़्त उसके पास 50 हज़ार से भी ज़्यादा सैनिक थे. वहीं, पोरस के पास मात्र 20 हज़ार सैनिक थे. लेकिन, फिर भी पोरस वीरता के साथ सिंकदर से लड़ा और काफ़ी संघर्ष के बाद राजा पोरस की हार हुई.  

खड़े कर दिए थे हाथी 

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कहा जाता है कि राजा पोरस ने सिकंदर की बड़ी सेना के सामने अपने हाथी खड़े कर दिये थे. यह देख सिकंदर भी दंग रह गया था. कहा जाता है कि इस युद्ध में सिकंदर की सेना को भी भारी नुक़सान झेलना पड़ा था. माना जाता है कि ऐसा संघर्ष यूनानी सेना ने अपने पूरे युद्धकाल में पहले कभी नहीं देखा था.   

दोस्ती के किस्से  

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कहा जाता है कि जब राजा पोरस, सिकंदर से हार गए, तो सिकंदर ने उनसे सवाल किया था कि तुम्हारे साथ कैसा बर्ताव किया जाए? सवाल के जवाब में राजा पोरस ने कहा था, “ऐसा बर्ताव, जैसा एक शासक दूसरे शासक के साथ करता है.” कहा जाता है कि पोरस का आत्मविश्वास भरा जवाब सिकंदर को खूब पसंद आया.  

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चूंकि, सिकंदर की कूटनीतिक समझ अच्छी थी, इसलिए उसने राजा पोरस से टकराव करने बजाय दोस्ती का हाथ बढ़ाया, ताकि भविष्य में पोरस की मदद ली जा सके.