कभी-कभी लगता है कि हम बहुत ख़ुशनसीब हैं, जो आज़ाद भारत का हिस्सा हैं. हमें वो सब नहीं देखना पड़ा, जो कि हमारे देश के बाक़ी लोगों ने देखा. ख़ास कर आज़ादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानी. अगर उस समय ये हिम्मती और बहादुर लोग न होते, तो शायद आज भी हम चैन की सांस न ले रहे होते.
चंद ऐसे ही बहादुर लोगों में रानी गाइदिन्ल्यू,का नाम भी आता है, जिन्होंने महज़ 13 साल की उम्र में ब्रिटिश सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन छेड़ा. इस विद्रोह के लिए उन्हें 14 साल की जेल भी हुई थी.
कौन थीं रानी गाइदिन्ल्यू?
आज़ादी के लिये लड़ने वाली रानी गाइदिन्ल्यू की ज़िंदगी का मक़सद ज़ेलियांगरोंग लोगों की विरासत को सुरक्षित करना था. असम, मणिपुर और नागालैंड जैसी जगहों पर अब भी ज़ेलियांगरोंग लोग बसते हैं. अपनी जनजाति के हक़ में आवाज़ उठाने वाली रानी 1927 में जादोनांग द्वारा शुरु हुए सामाजिक-धार्मिक आंदोलन का हिस्सा बन गईं.
आंदोलन का नाम ‘हेरेका आंदोलन’ होता है, जिसका अर्थ पवित्र होता है. आश्चर्य वाली बात ये है कि जिस समय वो आंदोलन में शामिल हुईं, उस समय वो महज़ 13 साल की थीं. रानी का कहना था कि हम लोग आज़ाद हैं और गोरे हम पर राज़ नहीं कर सकते. ऐसा माना जाता है कि नागा समुदाय के लोग अपना शासन स्थापित करने का प्रयास कर रहे थे, जिसके उन्होंने इस आंदोलन की शुरुआत की थी. इस दौरान उन्होंने अपने देवता तिंग्काओ रवांग का प्रचार भी किया. तिंग्काओ रवांग ज़ेलियांगरोंग समुदाय के पूजनीय देवताओं में से एक हैं.
इतिहासकारों के अनुसार, 17 साल की उम्र में रानी ने गोरों के विरुद्ध कई युद्धों का नेतृत्व किया था. इन युद्धों के दौरान उन्होंने कई बार बचने का प्रयास किया और बची भी. हांलाकि, 17 अक्टूबर 1932 की बात है, जब उन्हें कैप्टन मैकडोनाल्ड ने गिरफ़्तार कर लिया था. इसके बाद वो लगभग 14 साल तक जेल में रहीं और 1947 में रिहा होकर बाहर आईं. जेल से छूटने के बाद भी लोगों के हित में काम करती रहीं.
Government of India released a coin in memory of the nation’s Freedom fighter late Smt. Rani Gaidinliu pic.twitter.com/GQKopuUvZN
— miZO zEITGEIST (@mizozeitgeist) February 18, 2020
देश के प्रति उनके संघर्ष को देखते हुए उन्हें ताम्र पत्र, पद्म भूषण और विवेकानंद सेवा पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था. रिपोर्ट के मुताबिक, देश के हित में लड़ने वाली बहादुर रानी की 1993 में 78 साल की उम्र में मृत्यु हो गई थी. नमन!