देश की आन, बान और शान ‘भारतीय सेना’ हर मुश्किल घडी में बड़ी निडरता के साथ हर वक़्त हमारी रक्षा के लिए तैयार रहती है. किसी दुश्मन देश को मुंहतोड़ जवाब देना हो या फिर किसी प्राकृतिक आपदा से देश को बचाना. भारतीय सेना के जवान जान हथेली पर रखकर पहली पंक्ति में खड़े रहते हैं. देश की ख़ातिर इन शूरवीरों को मुश्किल से मुश्किल हालातों का सामना करना पड़ता है.

आज हम आपको भारत की 5 स्पेशल फ़ोर्स के कमांडोज़ के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके नाम से ही दुश्मन थर-थर कांपने लगता है. आज भारत की इन 5 ‘स्पेशल फ़ोर्सेज़’ का डंका पूरी दुनिया में बजता है. ये कमांडोज़ इतने ख़तरनाक होते हैं कि इनके आगे कोई भी दुश्मन फ़ौरन घुटने देता है.

 आइये जानते हैं इस लिस्ट में कौन-कौन सी ‘स्पेशल फ़ोर्सेज़’ शामिल है?

1- नेशनल सिक्योरिटी गॉर्ड (NSG) 

‘नेशनल सिक्योरिटी गार्ड’ (NSG) भारत की सबसे ख़तरनाक कमांडो फ़ोर्स है. एनएसजी कमांडोज़ को भारतीय सेना, पैरामिलिट्री फ़ोर्स और पुलिस के बेहतरीन जवानों में से चुना जाता है. एनएसजी का गठन सन 1984 में हुआ था. इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है. इनका मोटो ‘सर्वत्र सर्वोत्तम सुरक्षा’ है.

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2- स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG)

इस लिस्ट में दूसर नंबरे नंबर पर है ‘स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप’ (SPG). भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1988 में इस फ़ोर्स का गठन हुआ था. एसपीजी के जवान प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात रहते हैं. इसका मुख्यालय दिल्ली में है और एसपीजी का मोटो ‘शौर्यम् समर्पणम् सुरक्षणम्’ है.

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3- मार्कोस कमांडो 

‘मार्कोस कमांडो’ को जल, थल और वायु में लड़ने की ट्रेनिंग दी जाती है. मार्कोस भारतीय जल सेना का विशेष बल है. इनका गठन 1987 में किया गया था. सेना के क़रीब 1000 कमांडो में कोई 1 ही ‘मार्कोस कमांडो’ की ट्रैनिंग करके कमांडो बन पाता है. मार्कोस का मोटो ‘द फ़्यू द फ़ीयरलेस’ है. 

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4- गरुड़ कमांडो 

‘गरुड़ कमांडो’ भारतीय वायुसेना की स्पेशल फ़ोर्स है. गरुड़ कमांडो बनना आसान नहीं है. इनकी बेसिक ट्रेनिंग 52 हफ़्तों की होती है. ‘इंडियन एयर फ़ोर्स’ द्वारा साल 2004 में ‘गरुड़ कमांडो’ का गठन किया गया था. इसका हेडक्वार्टर भी दिल्ली में है. इनका मोटो ‘प्रहार से सुरक्षा’ है.

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5- कोबरा कमांडो 

सीआरपीएफ़ के सबसे बेहतरीन जवानों में से ही ‘कोबरा कमांडोज़’ चुने जाते हैं. कोबरा कमांडो वेश बदलने में माहिर होते हैं. राष्ट्रपति भवन, संसद भवन की सुरक्षा के अलावा ये नक्सलियों से भी लोहा लेते हैं. इसका गठन साल 2008 में किया गया था. इनका मोटो ‘यश या मृत्यु’ है.

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कैसी लगी हमारी ये कोशिश? अगर आप भी ‘इंडियन कमांडोज़’ की बहादुरी के कायल हैं तो कमेंट बॉक्स में लिखें. 

जय हिंद!