मिस्र (Egypt) के पिरामिड और ममी में हमेशा से ही दुनिया के लिए ख़ासे दिलचस्पी रहे हैं. इन्हें लेकर तमाम तरह के क़िस्से और कहानियां प्रचलित हैं. इन क़िस्सों को लेकर जब भी कोई रिसर्च और खोजबीन चलती है, तब कई परतें खुलकर सामने आती हैं. कई बार तो कई ऐसे ख़ुलासे भी होते हैं, जो बेहद चौंका देने वाले होते है. इतना ही नहीं इन क़िस्सों और कहानियों को लेकर कई फ़िल्में भी बनाई जा चुकी हैं. इन फ़िल्मों में मिस्र की रहस्यमयी इतिहास को बेहद गहराई से प्रदर्शित किया गया था.
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तूतनख़ामुन (Tutankhamun) 1333 ईसापूर्व से लेकर 1324 ईसापूर्व तक मिस्र का राजा हुआ था. तूतनख़ामुन को मिस्र की इजिप्टोलॉजिकल भाषा में तूतनख़ामेन भी कहा जाता है. तूतनख़ामेन केवल 10 साल की उम्र में मिस्र का राजा बन गया था. वो प्राचीन मिस्र के 18वें राजवंश के 11वें राजा थे. केवल 18 साल की उम्र में उसकी मौत हो गयी थी.
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तूतनख़ामेन (Tutankhamen) की मौत और कब्र को लेकर मिस्र के इतिहास में अनेक कहानियां प्रचलित हैं. ख़ासकर उसकी मौत को लेकर इतिहासकारों की अलग-अलग राय है. इतिहासकार मानते हैं कि तूतनख़ामेन की हत्या हुई थी, जबकि मिस्र के लोगों का कहना है कि, शिकार के दौरान घायल होने से उनकी मौत हुई थी. तूतनख़ामेन की मौत ही नहीं, बल्कि उसकी कब्र को लेकर भी कई रहस्य प्रचलित हैं.
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तूतनख़ामेन को इतनी प्रसिद्धी अपने जीते जी नहीं मिली, जितनी की मरने करे बाद मिली. तूतनख़ामेन की शोहरत इस बात को लेकर ज़्यादा थी कि उसकी कब्र 3000 साल बाद भी सही सलामत मिली थी. कहा जाता है कि तूतनख़ामेन की कब्र (जिस मकबरे में बनी थी) को खोजकर्ताओं ने सैकड़ों सालों बाद भी सही सलामत खोज निकाला था. इस खोज में काफ़ी वक्त लग गया था क्योंकि तूतनख़ामेन के मकबरा एक दूसरे मकबरे के नीचे छुपाया गया था.
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खोजकर्ताओं की रहस्यमय मौत
तूतनख़ामेन की कब्र को खोदने वाले अधिकतर लोगों की मौत भी हो गई. इसे ‘वैली ऑफ़ किंग्स’ की खोज भी कहा जाता है. इसकी खोज करने वाले सभी खोजकर्ताओं की संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी. यहां ताकि कि इस मिशन में पैसे लगाने वाले ब्रिटिश उद्योगपति लार्ड कॉर्नर वाॅन की मच्छर के काटने से मौत हुई थी.
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प्राचीन मिस्र के लोगों का कहना था कि, ये सब रहस्यमयी घटनाएं तूतनख़ामेन की कब्र को छेड़ने की वजह से हुई हैं. जो कोई भी तूतनख़ामेन की कब्र को छू लेता है उसकी मृत्यु निश्चित है.
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साल 1922 में ब्रिटिश पुरातत्वविद होवार्ड कार्टर ने उनके मकबरे की खोज की थी. इस खोज के दौरान ही तूतनख़ामेन की ममी से पता चला था कि मौत के समय उनकी उम्र महज 18 साल की थी. कार्टर ने अपनी स्टडी में लिखा था कि ‘जब मैंने पहली बार तूतनखामेन की ममी को देखा, तो ममी ने ताबीज पहन रखा था और पूरा चेहरा सोने से बने मास्क से ढका हुआ था’.
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तूतनख़ामेन की कब्र को लेकर हाल ही में नई खोज सामने आई थी. इस दौरा रिसर्च में पता चला था कि तूतनख़ामेन के मकबरे में कोई गुप्त कमरा नहीं था, जबकि इससे पहले की सभी रिसर्च में मकबरे में एक गुप्त कमरा होने का दावा किया गया था.
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