भारत का इतिहास राजा-महाराजाओं द्वारा बनवाए गए शानदार क़िलों से भरा पड़ा है. इनमें वो क़िले भी शामिल हैं, जिन्हें पहाड़ियों पर या ऊंचे स्थलों पर बनवाया गया था, ताकि आपातकाल या युद्ध की स्थिति में राजपरिवार की सुरक्षा की जा सके. इन क़िलों में एक नाम गोलकोंडा का भी आता है. आइये, इस ख़ास लेख के ज़रिए आपको बताते हैं गोलकोंडा क़िले से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें.
क़िले का निर्माण
ये ऐतिहासिक क़िला हैदराबाद के पश्चिमी क्षेत्र में ‘हुसैन सागर झील’ से लगभग 9 किमी की दूरी पर स्थिति है. तेलंगाना टूरिज़्म की ऑफ़िशियल साइट के अनुसार, इस क़िले का निर्माण 1143 में पहाड़ी के ऊपर कराया गया था. इसे असल में Mankal नाम से जाना जाता था.
एक पुराना इतिहास
ये शुरुआत में एक मिट्टी का क़िला था, बाद में 14वीं और 17वीं शताब्दी के बीच इसकी क़िलेबंदी की गई. रिपोर्ट के अनुसार, इस क़िले का इतिहास 13वीं शताब्दी से जुड़ा है. तब यहां काकतीय राजाओं का शासन चलता था, जिसके बाद यह क़िला कुतुबशाही राजाओं के अधिन रहा. गोलकोंडा कुतुब शाही राजाओं की प्रमुख राजधानी बनी.
जुड़ी है दिलचस्प कहानी
ऐसा माना जाता है कि जहां आज गोलकोंडा क़िला खड़ा है, वहां कभी किसी चरवाहे को एक मूर्ति मिली थी. चरवाहे ने ये बात उस समय के काकतीय राजा को बताई. राजा ने इस स्थान को पवित्र मान मिट्टी का क़िला बना दिया. इसे ही गोलकोंडा का क़िला कहा गया. बाद में बहमनी राजाओं ने इस क़िले पर कब्ज़ा कर लिया. बाद में जब ये क़िले कुतुबशाही राजाओं के अधिन आया, तो उन्होंने इसे एक बड़े Granite Fort में तब्दील कर दिया और इसका क्षेत्र भी बढ़ा दिया.
तालिया मंडप
ऐसा माना जाता है कि अगर कोई क़िले के तल से ताली बजाता है, तो इसकी आवाज़ एक किमी दूर बाला हिसार गेट से सुनी जा सकती है. इस जगह को ‘तालिया मंडप’ के नाम से जाना जाता है. इसके अलावा, इस क़िले में आप गोलकोंडा क़िले में आठ दरवाज़े, चार ड्रॉब्रिज़, मस्जिद, तोप, शाही कमरे आदि देख सकते हैं. बाला हिसार गेट यहां का मुख्य द्वार है.
रहस्ययमी सुरंग
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस ऐतिहासिक क़िले में सुरक्षा को ध्यान में रखकर एक सुरंग भी बनाई गई थी, जो क़िले के तल से होती हुई क़िले से बाहर जाती है. हालांकि, इस सुरंग के विषय में इतिहासकारों को ज़्यादा जाकनारी हासिल नहीं हो पाई.
ख़जाने का रहस्य
एक मीडिया रिपोर्ट की मानें, तो गोलकुंडा से एक सुरंग चारमीनार को जाती है और इसमें गुप्त ख़ज़ाने की बात कही गई है. हालांकि, अब तक इस ख़जाने के बारे में कुछ पता नहीं चल सका है. रिपोर्ट के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस सुरंग का निर्माण सुल्तान मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने करवाया होगा, ताकि युद्ध की स्थिति में राजपरिवार को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा सके.
हीरों की खान के लिए मशहूर
गोलकोंडा अपनी हीरों की खानों के लिए भी जाना गया है. विश्व प्रसिद्ध बेशक़ीमती कोहिनूर हिरा यहीं से निकला था. बीबीसी के अनुसार, गोलकोंडा की खान से निकले एक हीरे की निलामी लगभग 115 करोड़ रुपए में हुई थी.