Garud Commando Force : देश की सुरक्षा के लिए इंडियन आर्मी, इंडियन नेवी और इंडियन एयर फ़ोर्स के अलावा कई स्पेशल फ़ोर्स को भी तैनात किया गया है. इन स्पेशल फ़ोर्स का निर्माण ज़रूरत के अनुसार, समय-समय किया गया है. इसमें एनएसजी, पारा कमांडो, एसएफ़एफ़, मार्कोस व एसपीजी के अलावा एक नाम ‘गरुड़ कमांडो फ़ोर्स’ का भी है. इस ख़ास लेख में हम बताएंगे कि क्या है भारत की ‘गरुड़ कमांडो फ़ोर्स’, क्या है इसका इतिहास, कैसे होती है ट्रेनिंग और कितनी मिलती है सैलरी.   

आइये, अब विस्तार से जानते हैं Garud Commando Force के बारे में. 

‘गरुड़ कमांडो फ़ोर्स’ 

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Garud Commando Force इंडियन एयरफ़ोर्स के अंतर्गत एक स्पेसल यूनिट है. इसकी स्थापना 5 फ़रवरी 2004 को की गई थी. इस फ़ोर्स का नाम हिंदू धर्म के गरुड़ देवता से लिया गया है, जो कि पक्षियों के राजा और भगवान विष्णु के वाहन हैं. 

साल 2001 में जम्मू-कश्मीर की दो एयर फ़ोर्स बेस पर आतंकी हमले के बाद इंडियन एयर फ़ोर्स कमांडर्स को लगा कि एक ख़ास स्पेशल यूनिट होनी चाहिए, जो ऐसे गंभीर मामलों का निपटना कर सके, जो कमांडो फ़ोर्स हो जिन्हें स्पेशल फ़ोर्स की ट्रेनिंग मिली हो, सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन कर सके, ख़ुफ़िया जानकारी जुटा सकें और साथ ही काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशन कर सके. इस स्पेशल यूनिट को पहले ‘टाइगर फ़ोर्स’ कहा जाता था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर ‘गरुड़ फ़ोर्स’ कर दिया गया.  

क्या करती है गरुड़ कमांडो फ़ोर्स? 

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Garud Commando Force की भूमिका में कई काम शामिल है. ये फ़ोर्स एयरबोर्न ऑपरेशन, कॉम्बेट सर्च एंड रेस्क्यू, काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशन (COIN), काउंटर टेरिरिज़्म, डायरेक्ट एक्शन, फ़ायर सपोर्ट, होस्टेज़ रेस्क्यू, एयर असाल्ट, एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल, क्लोज़ क्वाटर कॉम्बेट आदि के लिए अपनी सक्रिय भूमिका निभाती है. इसके अलावा और भी कई काम करती है गरुड़ फ़ोर्स.   

कैसे होती ट्रेनिंग?   

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Garud Commando Force एक स्पेशल यूनिट है, इसलिए इनकी ट्रेनिंग बड़ी सख़्त होती है. जानकारी के अनुसार, भर्ती होने के बाद नए जवानों को 52 हफ़्तों का एक बेसिक ट्रेनिंग कोर्स करना होता है. तीन महीने के प्रोबेशन पीरियड के दौरान अगली ट्रेनिंग के लिए बेस्ट जवानों को चुन लिया जाता है. माना जाता है कि गरुड़ कमांडो को कुल ढ़ाई साल की कड़ी ट्रेनिंग से गुज़रना पड़ता है. ट्रेनिंग के दौरान इन्हें आग से गुज़रना, नदियां पार करना, साथ ही भारी बोझ के साथ कई किमी तक चलना आदि करना होता है. 

वहीं, इन कमांडो को अन्य स्पेशल फ़ोर्स जैसे एसएफ़एफ़ व एनएसजी के साथ भी ट्रेनिंग दी जाती है. वहीं, इस ट्रेनिंग में सफल जवानों को आगे की तीन महीने की कड़ी ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है. वहीं, इस ट्रेनिंग को पास करने वाले जवानों को आगरा के पैराशूट ट्रेनिंग स्कूल भेजा जाता है. वहीं, गरुड़ कमांडो को मिज़ोरम स्थित Counter-Insurgency and Jungle Warfare School में भी भेजा जाता है ट्रेनिंग के लिए.     

ख़तरनाक हथियारों से लैस होती है ये फ़ोर्स 

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गरुड़ कमांडो फ़ोर्स (Garud Commando Force) कई ख़तरनाक हथियारों से लैस होती है, जिसमें Tavor TAR-21 असॉल्ट राइफल, Glock 17 & 19 पिस्टल, कोल्ट M4 कार्बाइन, Beretta M9 (सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल) आदि शामिल हैं.  

कितनी मिलती है सैलेरी  

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मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो Garud Commando Force की सैलरी नेवी के मार्कोस और आर्मी के पैरा कमाडो की तरह ही होती है. वहीं, रैंक वाइज़ सैलरी में अंतर हो सकता है. अगर कोई इस फ़ोर्स में सब लेफ़्टिनेंट की पोस्ट पर है, तो उसकी सैलेरी 72 हज़ार से लेकर 90, 600 तक हो सकती है. वहीं, हाई पोस्ट वालों की सैलरी 2.5 लाख तक हो सकती है. साथ ही इन्हें सरकार की तरफ़ से कई भत्ते भी दिए जाते हैं. हालांकि, इस विषय पर फिलहाल सटीक प्रमाण की आवश्यकता है.