ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया ग्वालियर के राजघराने से संबंध रखते थे और इंडियन नेशनल काग्रेस में मंत्री थे. अपने पिता जीवाजी राव के निधन के बाद उन्हें ग्वालियर का नाममात्र का राजा बना दिया गया था, क्योंकि भारत ने रियासतों की मान्यता समाप्त कर दी थी. वहीं, उनका विवाह माधवी राजे सिंधिया से 1966 में हुआ था, जो नेपाल के राजघराने से ताल्लुक रखती हैं.
एक प्रदर्शनी मैच
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक बार इंडियन क्रिक्रेटर्स को ग्वालियर एक प्रदर्शनी मैच खेलने के लिए बुलाया गया था, जिसमें गुंडप्पा विश्वनाथ, सुनील गावस्कर व सैफ़ के पिता मंसूर अली ख़ान पटौदी जैसे बड़े क्रिक्रेटर्स शामिल थे.
जंगल में शिकार
ग्वालियर में प्रदर्शनी मैच खेलने आए सभी क्रिकेटरों को माधवराव सिंधिया शिवपुरी के जंगलों में शिकार पर ले गए. बता दें उस दौरान शिकार खेलना अवैध था. इस बीच उनके साथ ऐसा हुआ, कि सभी क्रिकेटरों के पसीने छुट गए.
एक ख़तरनाक प्रैंक
ये कोई सोच भी नहीं सकता था कि माधवराव सिंधिया इतना ख़तरनाक प्रैंक भारतीय क्रिकेटरों के साथ करेंगे. दरअसल, जब सब रात में सो रहे थे, तब अचानक गोलियां चलने लगीं. माधवराव सिंधिया के कुछ आदमियों ने (जो डकैतों का रूप धारण किए हुए थे) क्रिकेटरों पर हमला बोल दिया. उसमें से एक बंदूकधारी ने कहा कि चुपचाप सारा सामान हमारे हवाले कर दो और इस जीप में बैठ जाओ.
चिल्ला उठे गुंडप्पा विश्वनाथ
कहते हैं ये सब देख क्रिकेटर गुंडप्पा विश्वनाथ चिल्ला उठे और डकैतों से कहने लगे कि हम इंडियन क्रिकेटर्स हैं और देश को हमारी ज़रूरत है. तब उनमें से एक डकैत बोला कि ये क्रिकेट क्या होता है, हमने इससे पहले ये शब्द नहीं सुना. बाद में जब क्रिकेटरों को पता चला कि ये सब एक प्रैंक है और इसे कराने वाले माधवराव सिंधिया हैं, तब उनकी जान में जान आई.
घटना का ज़िक्र
अभी आपने जो घटना पढ़ी इसका पूरा ज़िक्र भारतीय पत्रकार Rasheed Kidwai की किताब ‘The House of Scindias: A Saga of Power, Politics and Intrigue’ में किया गया है. वहीं, एक इंटरव्यू में शैफ़ के पिता ने बताया था कि वो भी माधवराव सिंधिया के इस प्रैंक का हिस्सा थे.