Ancient Cosmetics in Hindi: महिला हो या पुरुष हर कोई ख़ूबसूरत और आकर्षक दिखना चाहता है. इसलिये, कॉस्मेटिक उत्पादों पर लोग जी भरकर पैसा ख़र्च करते हैं. लोगों की डिमांग की वजह से आज मार्टेक में कॉस्मेटिक उत्पादों की भरमार है और इसमें देसी और विदेशी दोनों कंपनियां उतरी हुई हैं.
वहीं, जब हम पुराने वक़्त की बात करते हैं, तो उस दौरान भी लोग सज-संवर रहे थे, लेकिन वो जिन उत्पादों या तरीक़ों का इस्तेमाल किया करते थे, वो घर में ही या आसपास ही मिल जाया करते थे. वहीं, आज उनके द्वारा ख़ूबसूरती के लिए इस्तेमाल होने चीज़ें या तरीक़े लगभग ग़ायब हो चुके हैं, लेकिन कुछ का इस्तेमाल आज भी कई लोग करते हैं.
आइये, इसी क्रम में हम आपको बताते हैं पुराने वक़्त में ख़ूबसूरती के लिए इस्तेमाल (Ancient Cosmetics in Hindi) होने वाली चीज़ें
1. बादाम और घी से काजल
Ancient Cosmetics in Hindi: आज मार्केट में रेडिमेड काजलों की भरमार है. सस्ते, महंगे और अलग-अलग कंपनियों के काजल बाज़ार में उपलब्ध हैं. काजल का इस्तेमाल पहले से ही होता आया है और पुराने वक़्त में काजल घर में ही बना लिया जाता है. इसके लिए घी का चिराग जलाकर बादाम को जलाया जाता था और बादाम के ऊपर चम्मच लगा दिया जाता था, जिससे चम्मच पर काजल बन सके. आज भी गांव में इस तरह के काजल का इस्तेमाल करते कई लोग मिल जाएंगे.
2. मुल्तानी मिट्टी से बाल धोना
आज की पीढ़ी के नौजवानों को शायद इस बात की जानकारी नहीं होगी कि कभी मुल्तानी मिट्टी से बाल भी धोए जाते थे. हालांकि, आज मुल्तानी मिट्टी का ऐसा इस्तेमाल शायद कोई करता होगा.
माना जाता है कि मुल्तानी मिट्टी स्कैल्प से अतिरिक्त तेल को साफ करने और बालों की चिपचिपाहट को कम करने में मदद करती है. वहीं, ये बालों में फंसी गंदगी को भी हटाने में मदद कर सकती है.
3. बालों की सरसों का तेल
Ancient Cosmetics in Hindi: आज मार्केट में बालों की कंडीशन के आधार पर तरह-तरह के हेयल ऑयल उपलब्ध हैं. आपको जैसा चाहिए वैसा हेयर ऑयल मिल जाएगा, लेकिन ऐसा पुराने वक़्त में ऐसा नहीं था. उस दौरान बालों के लिए भारत में सरसों का तेल इस्तेमाल होता था, जो आज न के बराबर ही लोग करते दिखाई देंगे.
वैसे सरसों का तेल बालों के लिए फायदेमंद माना जाता है. ये बालों को मज़बूती देने के साथ-साथ उन्हें सॉफ़्ट और बालों को पोषित करने का काम कर सकता है.
4. त्वचा के लिए मुल्तानी मिट्टी
Ancient Cosmetics in Hindi: बालों को धोने के अलावा मुल्तानी मिट्टी का इस्तेमाल त्वचा को साफ़ करने के लिये भी किया जाता था और आज भी फ़ेस पैक (Ancient Indian Queens Beauty Secrets In Hindi) के रूप में इस यूज़ होता है. दरअसल, मुल्तानी मिट्टी में क्लींज़िंग गुण मौजूद होते हैं, जो त्वचा से गंदगी निकालने में मदद करता है.
5. अनचाहे बालों के लिए प्यूमिक स्टोन और सीप
प्यूमिक स्टोन (Pumice Stone) एक ख़ास पत्थर होता है, जो वाल्कैनिक इरप्शन से पैदा होता है. इसका इस्तेमाल पुराने वक़्त से होता आया है. आज वैक्सिंग यानी त्वचा के अनचाहे बालों को हटाने के लिए तरह-तरह आधुनिक तरीक़े मौजूद हैं. पुराने वक़्त में प्यूमिक स्टोन और सीप से ही ये काम किया जाता था.
6. फटे होंठों के लिए बेल का छिलका और दूध
NCBI पर Herbal cosmetics in ancient India विषय पर एक शोध पत्र में ये ज़िक्र मिलता है कि प्राचीन भारत में फटे होंठों के लिए बेल के छिलके का पाउडर और ब्रेस्ट मिल्क की कुछ मात्रा का मिश्रण तैयार कर लगाने के लिए कहा जाता था.
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7. डैंड्रफ़ यानी रूसी के लिए खसखस
Ancient Cosmetics in Hindi: ऊपर बताए गये शोध पत्र में ये भी ज़िक्र मिलता है कि प्राचीन भारत में बालों से डैंड्रफ़ हटाने के लिए खसखस और दूध से तैयार पतले पेस्ट को स्कैल्प में लगाने के लिए कहा जाता था.
8. मुंहासों के लिए शहद
What Ancient Indian Used for Beauty in Hindi: ऐसा माना जाता है कि प्राचीन मिस्र और यूनान के लोग मुंहासों के इलाज में शहद का इस्तेमाल किया करते थे. वहीं, प्राचीन भारत में चंदन का इस्तेमाल मुंहासों से निजात (Vedic Beauty Secrets in Hindi) पाने के लिए किया जाता था और आज भी कॉस्मेटिक्स में चंदन एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है.
9. नाखून काटने के लिए नहरनी
आज नाखून काटे के लिए तरह-तरह के नेल-कर्टस आ गए हैं, लेकिन ज़रा सोचिये नेल कटर्स से पहले लोग नाख़ून कैसे काटा करते थे. भारत की बात करें, तो यहां नाख़ून काटने का काम बाल काटने वाला हज़ाम ही कर दिया करता था. उसके पास एक ख़ास नाखून काटने का औज़ार हुआ करता था, जिसे नहरनी कहा जाता है. इसके अलावा, लोग छोटे चाकू से भी अपने नाखून काट लिया करते थे.
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10. ख़ास राल वाला परफ़्यूम
What Ancient Indian Used for Beauty in Hindi: आज परफ़्यूम बनाने के लिए प्राकृतिक चीज़ों के साथ-साथ सिंथेटिक केमिकल का भी इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, प्राचीन इजिप्ट की बात करें, तो वहां परफ़्यूम के लिए लोबान, ओपोपोनैक्स और myrhh नाम की राल का इस्तेमाल किया जाता था. वहीं, भारत में ‘इत्र’ का प्रयोग किया जाता था और आज भी किया जाता है. ऐसे कई प्रमाण मिलते हैं कि मुग़लकाल में उत्तर प्रदेश के कन्नौज (जिसे भारत की इत्र नगरी भी कहा जाता है) में इत्र बनाने का काम ज़ोरो-शोरो से चल रहा था और आज भी यहां प्राचीन तरीक़ों से इत्र का निर्माण किया जाता है.