Kavasji Jamshedji Petigara : अंग्रेज़ों ने भारत पर लंबे समय तक राज किया. देश की आर्थिक, राजनीतिक और समाजिक स्थिति को बिगाड़ा. अपने हित के भारतीयों पर बहुत जुर्म किये और अपने तरीक़े से देश को चलाना चाहा. वहीं, ब्रिटिश सेना में कई भारतीयों की भर्ती भी कराई. वहीं, ब्रिटिश सेना में भर्ती हुए कई भारतीयों ने अपने ही लोगों को चोट पहुंचाई और अंग्रेज़ी अफ़सरों के कहने पर समय-समय पर क्रांतिकारियों को गिरफ़्तार भी किया.  

वहीं, ब्रिटिश काल के दौरान कई भारतीय अफ़सर रैंक पर भी पहुंचे, जिनमें कुछ ऐसे भी थे जिनका आदेश अंग्रेज़ी अफ़सर भी मानते थे. हम जिस शख़्स के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उनकी कहानी भी कुछ ऐसी है. 

आइये, जानते हैं ब्रिटिश राज के दौरान बने उसे पहले भारतीय डीसीपी से जिसके हाथों महात्मा गांधी तक गिरफ़्तार हुए और चौंकाने वाली बात ये है कि दोनों के बीच सम्मान और प्यार बना रहा. 

आइये, अब विस्तार से पढ़ते हैं Kavasji Jamshedji Petigara के बारे में.

कवासजी जमशेदजी पेटिगरा

Kavasji Jamshedji Petigara
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Kavasji Jamshedji Petigara in Hindi: हम जिस शख़्स के बारे में आपको बताने जा रहे हैं उनका नाम है कवासजी जमशेदजी पेटिगरा, जो भारत पर अंग्रेज़ी राज के दौरान एक बड़े अफ़सर थे. जमशेदजी पेटिगरा को साल 1926 में बॉम्बे सीआईडी के DCP के तौर पर नियुक्त किया गया था. 

उनके जीवन के बारे में बात करें उनका जन्म एक पारसी परिवार में 24 नवंबर 1877 को हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई सूरत और बॉम्बे से पूरी की. उनके बारे में कहा जाता है कि वो ऐसे अफ़सर थे जिनका आदेश अंग्रेज़ी असफर भी मानते 

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बिना पुलिस प्रशिक्षण के की गई थी नियुक्ति

Kavasji Jamshedji Petigara
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Who Was Kavasji Jamshedji Petigara in Hindi: कवासजी जमशेदजी पेटिगरा के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने सादे कपड़ों में ही ड्यूटी ज्वाइन की थी और उन्हें कोई औपचारिक पुलिस प्रशिक्षण भी नहीं दिया गया था. लेकिन, शहर के बारे में उनकी जानकारी बहुत थी और कहते हैं कि पारसी लोगों से अच्छे संपर्कों के वजह से उन्हें कई बार पदोन्नति भी मिली. 

उन्होंने जिंदगी भर सीआईडी के लिए का किया और कभी भी उन्हें पुलिस स्टेशन में नहीं रखा गया. इसकी वजह से थी कि वो खुफ़िया जानकारी इकट्ठा करने में दक्ष थे. 

महात्मा गांधी को किया था गिरफ़्तार 

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Who Was Kavasji Jamshedji Petigara in Hindi: कवासजी जमशेदजी पेटिगरा को इसलिए भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी को गिरफ़्तार किया था, लेकिन हैरान करने वाली बात ये है कि पेटिगरा और महात्मा गांधी के बीच सम्मान और प्यार बना रहा. कहते हैं कि गांधी जी ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि जब उनकी गिरफ़्तारी हो, तो उस समय जमशेदजी पेटिगरा मौजूद हों. 

गांधी जी कभी पेटिगरा पर आक्रोश नहीं जताया, क्योंकि उनका मानना था कि वो अपना काम कर रहे हैं और मैं अपना. 

वहीं, जब महात्म गांधी Round Table Conference के लिए इंग्लैंड जा रहे थे, तो उन्हें यात्रा के लिए दो शिफ़ारिशी पत्रों के आवश्यकता थी, जिनमें से एक पत्र देने वाले पेटिगरा ही थे. ये पत्र आज भी संभालकर रखा गया है.

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‘खान बहादुर’ का ख़िताब 

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Who Was Kavasji Jamshedji Petigara in Hindi: भले कवासजी जमशेदजी पेटिगरा पूरी ईमानदारी के साथ अपना काम किया. उनके काम को देखते हुए स्वतंत्रता संग्राम के दौरान उन्हें ‘खान बहादुर’ के ख़िताब और कई सम्मानों से भी नवाज़ा गया. उन्हें  केसर-ए- हिन्द मेडल, इम्पीरियल सर्विस आर्डर, व किंग्स पुलिस मेडल दिए गए. 

भारतीयों और अंग्रेज़ों में पेटिगरा बहुत लोकप्रिय थे. उनकी लोकप्रियता का पता इस बात से भी चलता है कि जब मुंबई में उनकी मूर्ति लगाई गई, तो इसके लिए लोगों ने चंदा इकट्टा किया था. वहीं, 28 मार्च 1941 को उनका निधन हो गया था. 

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