आपने टीवी शोज़, न्यूज़पेपर या अपने आस पास कई ऐसे लोगों को देखा या उनके बारे में पढ़ा ज़रूर होगा जिनकी शारीरिक क्षमता आम इंसान से कहीं ज़्यादा है. इनमें कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्होंने अपनी ताक़त के बल पर दुनिया को चौंकाने का काम किया है. जैसे मलेशिया के Rathakrishnan Velu जिन्होंने अपने दांतों से ट्रेन ही खींच डाली थी. वहीं, कुआलालम्पुर के एक शाओलिन मोंक (Zhao Rui) जिन्होंने एक मिनट तक अपने माथे पर ड्रिलिंग मशीन चलाई थी और उन्हें कुछ भी नहीं हुआ था.
फ्रैंक रिचर्ड्स
उस ताक़तवर इंसान का नाम था Frank Anson Richards. इनका जन्म यूनाइटेड स्टेट्स के कैंसास में 20 फ़रवरी 1887 को हुआ था. इनके पिता का नाम Richard Jones Richards और माता का नाम Ellen Elizabeth Richards था. फ्रैंक रिचर्ड्स बड़े होकर एक कार्निवल यानी अलग-अलग तरह के खेल या करतब दिखाने वाले बनें. माना जाता है कि एक परफ़ॉमर बनने से पहले रिचर्ड ने प्रथम विश्व युद्ध में अपनी सेवा दी थी.
पेट की अद्भुत ताक़त से चौंकाया
माना जाता है कि 1924 में वो Vaudeville (थियेटर की एक शैली या प्रकार) की दुनिया में शामिल हो गए और अपने पेट की अद्भुत ताक़त को लोगों को दिखाने का काम किया कि उनका पेट कितनी मार झेल सकता है.
पेट पर हथौड़े से वार
अपने पेट की अद्भुत ताक़त दिखाने के लिए वो शो में लोगों को बुलाकर अपने पेट पर मुक्के मरवाते थे और पेट पर हथौड़े से वार करने के लिए कहते थे. इसके अलावा, वो लोगों को पेट पर कुदने के लिए भी कहते थे. ये सारी चीज़ें उस समय लोगों के लिए नई थी और वो इस खेल का भरपूर आनंद उठाने के साथ-साथ काफ़ी हैरान भी होते थे कि भला एक इंसान ऐसा कैसे कर सकता है.
तोप के गोले को रोकने की क्षमता
इन सब से अलग उन्होंने एक ऐसा प्रदर्शन दिखाया जिसके बाद उनका नाम इतिहास में दर्ज हो गया. दरअसल, उन्होने लगभग 47 किलो (104 Pound) की लोहे की बॉल को तोप के ज़रिए अपने पेट पर वार करवाया. इसके लिए वो तोप के आगे खड़े हो गए. इस प्रदर्शन को देख रहे लोगों की धड़कने तेज़ हो गईं थी कि अगले पल क्या होने वाला है.
तोप से गोला निकलकर सीधे रिचर्ड के पेट पर लगा और व खुद को संभालते हुए नीचे गिर गए और फ़िर उठ खड़े हुए. एक पल के लिए लोगों को लगा कि शायद रिचर्ड का ये आख़री खेल है, लेकिन रिचर्ड में मौत को मात दे दी और बच गए. कहते हैं कि अपने करियर के दौरान रिचर्ड ने ये प्रदर्शन कई बार दोहराया.
मिला ख़ास नाम
इस ख़तरनाक प्रदर्शन के बाद उन्हें एक नया नाम मिला Frank “Cannonball” Richards. वहीं, 81 साल (7 फ़रवरी 1969) में उनकी मृत्यु कैलिफ़ोर्निया हो गई थी. उनके शव को कैलिफ़ोर्निया की Pomona Cemetery में दफ़नाया गया था.