भारत में ऐसे कई क्रांतिकारी रहे, जिन्होंने अपनी जान की बाज़ी लगाकर देश को अंग्रेज़ों की गुलामी से आज़ाद कराया था. आज़ादी से पहले भारत के कण-कण पर अंग्रेज़ों का अधिकार था और यही बात क्रांतिकारियों को पसंद नहीं थी. एक जहां महात्मा गांधी के अहिंसावादी विचारों ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा. वहीं भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु, चंद्रशेखर आज़ाद, लाला लाजपत राय ने अपने क्रांतिकारी विचारों से देश में आज़ादी का बिगुल बजाया था. लेकिन इन सबका बस एक ही मकसद था देश की आज़ादी.
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महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, जवाहर लाल नेहरू और लाला लाजपत राय समेत देश के कई अन्य वीर सपूतों की एक बात कॉमन थी. दरअसल, इन सभी का बैंक अकाउंट (Bank Account) एक ही बैंक (Bank) में था. क्या आप जानते हैं ये कौन सा बैंक हो सकता है?
दरअसल, आज़ादी से पहले भारत की अधिकतर पूंजी का इस्तेमाल विदेशी बैंकों द्वारा विदेशी कंपनियों को चलाने के लिए किया जाता था. इसका सारा मुनाफ़ा अंगेज़ों को जाता था. इसी मामले को संज्ञान में लेकर सन 1894 में स्वदेशी आंदोलन के तहत भारत के राष्ट्रीय बैंक के तौर पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की स्थापना हुई थी. तब पीएनबी का मुख्य कार्यालय पाकिस्तान के लाहौर स्थित अनारकली बाज़ार में बनाया गया था.
पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने आज़ादी से पहले ही लाहौर उच्च न्यालय से परमिशन लेकर अपना सारा कामकाज भारत में शिफ़्ट कर लिया था. PNB की शुरुआत 2 लाख रुपये की जमापूंजी और 20 हज़ार रुपये की कार्यपूंजी के साथ हुई थी. पीएनबी के पहले ग्राहक देश के प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक लाला लाजपत राय थे. जो शुरूआती सालों में PNB मैनेजमेंट के एक्टिव मेंबर भी थे.
लाला लाजपत राय के बाद महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री, जवाहर लाल नेहरू समेत कई नेताओं, क्रांतिकारियों और अरबपतियों ने भी पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में अपने अकाउंट खुलवाए. वर्तमान के PNB में ग्राहकों की संख्या करोड़ों में है.
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