Jagjit Singh Aurora : बीबीसी के अनुसार, भारत से अलग होने के 24 साल बाद ही पाकिस्तान के अंदर आतंरिक कलह और युद्ध की बन गई थी. वहीं, कहा जाता है कि उस दौरान की पाकिस्तान की सरकारों की विफ़लता थी, जिसकी वजह से बंगालियों के प्रति अलगाव और भेदभाव बढ़ा. इस भेदभाव व अलगाव की वजह से कई पूर्वी पाकिस्तान से नागरिक भारत में दाखिल हो रहे थे. कहा जाता है कि उस दौरान क़रीब 10 लाख लोगों ने भारत में शरण ली थी. इस बीच पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा में घुसना शुरू कर दिया था और साथ ही पाकिस्तान भारत को धमकी भी देने लगा था.
आइये, विस्तार से पढ़ते हैं Jagjit Singh Aurora के बारे में.
लेफ़्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा
Jagjit Singh Aurora : लेफ़्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा का जन्म वर्तमान पाकिस्तान के झेलम ज़िले के कल्ले गुज्जरन नामक स्थान में हुआ था. जानकारी के अनुसार, उनके पिता एक इंजीनियर थे. वहीं, 1939 में उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी से ग्रेजुएशन पूरा किया और दूसरी पंजाब रेजिमेंट की पहली बटालियन में भर्ती हुए.
1971 के भारत-पाक युद्ध में अहम भूमिका
Jagjit Singh Aurora : पूर्व फ़िल्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने एक इंटरव्यू में बताया था कि, भले ही 1971 की लड़ाई में मेरी तारीफ़ हुई, लेकिन असली काम तो जग्गी (जगजीत सिंह अरोड़ा) ने किया था. वहीं, बेटर इंडिया वेबसाइट के अनुसार, जब पूर्वी पाकिस्तान की आज़ादी के लिए पाकिस्तान के खिलाफ़ युद्ध हुआ, तो उसका नेतृत्व जगजीत सिंह अरोड़ा ने किया था. युद्ध शुरू होते ही, दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति बन गई और भारत, पाकिस्तान पर दवाब बनान चाहता था.
बनाई ख़ास रणनीति
Jagjit Singh Aurora : वहीं, भारतीय सेना को ये भी आदेश दिए गए थे कि वो पाक से लड़ाई की नौबत न बने, लेकिन पाकिस्तान आक्रमण पर आक्रमण किए जा रहा था. इस स्थिति को संभालने के लिए लेफ़्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने ख़ास रणनीति बनाई और सेना को छोटी-छोटी टुकड़ियों में बांटकर पाक की अलग-अलग पोस्ट पर कब्ज़ा करने के लिए भेज दिया. रणनीती इतनी मजबूत थी कि भारतीय सेना कुछ ही दिनों में ढाका तक पहुंच गई थी.