Morbi Bridge History in Hindi: एक तरफ़ जहां देश छठ पर्व मना रहा था, वहीं गुजरात एक बड़े हादसे (Morbi Bridge Collapses) का गवाह बन गया. गुजरात का एक पुराना पुल कई लोगों को अपने साथ लेकर कल यानी ररिवार शाम (31 अक्टूबर 2022) टूट गया. ये एक Hanging Bridge था, जो सिर्फ़ दो छोरों से ही जुड़ा हुआ था. जानकारी के अनुसार, इस हादसे में क़रीब 141 लोगों की जान गई है.
बता दें कि ये पुल नया नहीं था बल्कि इसका इतिहास 100 साल से भी पुराना है. इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएं History of Morbi Bridge in Gujarat.
आइये, विस्तार से जानते हैं मोरबी पुल का इतिहास (History of Morbi Bridge in Hindi)
ब्रिटिश काल के दौरान का पुल
Who built Morbi Bridge in Hindi: गुजरात के मोरबी पुल का इतिहास काफ़ी पुराना है. इस पुल का निर्माण 143 साल पहले किया गया था. मोरबी की मच्छु नदी पर बने इस पुल के निर्माण का श्रेय 19वीं शताब्दी के सर वाघजी ठाकोरी (Waghji Thakor in Hindi) ने करवाया था, जिन्होंने 1922 तक मोरबी पर राज किया था.
यूरोप से प्रभावित था ये पुल
History of Morbi Bridge in Hindi: ये पुल 1.25 मीटर चौड़ा और 233 मीटर लंंबा था. वहीं, यूरोप में उन दिनों उपलब्ध नवीनतम तकनीक का उपयोग करके मोरबी को एक विशिष्ट पहचान देने के लिए इसका निर्माण करवाया गया था.
इस पुल का निर्माण दरबारगढ़ पैलेस को नज़रबाग पैलेस से जोड़ने के लिए किया गया था.
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मुंबई के गर्वनर ने किया था इसका उद्धाटन
Dnaindia नामक वेबसाइट की मानें, तो ये पुल साल 1880 में बनकर तैयार हुआ था. वहीं, इस पुल का उद्धाटन उस वक्त के मुंबई शहर के गर्वनर Richard Temple के द्वारा हुआ था. माना जाता है कि इस पुल के निर्माण (Morbi Bridge History in Hindi) में उस वक़्त के क़रीब 3.5 लाख रुपए ख़र्च हुए थे. वहीं, इस पुल को बनाने का पूरा मटेरियल इंग्लैंड से मंगवाया गया था.
ये पुल पिछले दो वर्षों से बंद था और गुजराती नव वर्ष के अवसर पर 26 अक्टूबर को नवीनीकरण के बाद इसे फिर से खोल दिया गया था.
मच्छू नदी पहले भी त्रासदी देख चुकी है
गुजरात की मच्छू नदी पहले भी एक बड़ी त्रासदी देख चुकी है. 11 अगस्त 1979 को मच्छू नदी पर बना एक बांध ढह जाने से क़रीब 1,500 लोग और 13,000 से अधिक जानवर मारे गए थे. लगातार बारिश के कारण नदी में बाढ़ आ गी थी और बाद में बांध टूट गया था.