दुनिया की दस सबसे ख़ूबसूरत महिलाओं में शुमार महारानी गायत्री देवी की सुंदरता देश क्या विदेश में भी किसी से नहीं छुपी थी. इन्हें ये ख़िताब Vogue Magzine ने दिया था. इसी सुंदरता ने इंदिरा गांधी को उनका दुश्मन बना दिया था, जिसका ज़िक्र करते हुए ख़ुशवंत सिंह ने लिखा था, इंदिरा गांधी एक ऐसी महिला को कैसे बर्दाश्त कर सकती थीं, जो उनसे ज़्यादा ख़ूबसूरत हो और संसद में उनकी बेइज़्ज़ती कर चुकी हो’. ऐसा ही एक क़िस्सा है जब महारनी गायत्री देवी को इंदिरा गांधी की वजह से दिल्ली क तिहाड़ जेल में रहना पड़ा था.
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दरअसल, ये वाक्या 1975 के दीवाली के समय का है, जब जयपुर की महारानी गायत्री देवी दिल्ली के तिहाड़ जेल में ग्वालियर घराने की राजमाता विजया राजे सिंधिया का इंतज़ार कर रही थीं. और एक ही दिन में दो-दो राजघरानों की राजमाताओं को जेल भेजने का काम किया था देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने. वो दौर इमरजेंसी का था, जब कई बड़े विपक्ष के नेता गिरफ़्तार किए गए थे. इसी में विजया राजे सिंधिया और महारानी गायत्री देवी भी शामिल थीं, लेकिन विदेशी मीडिया को ज़्यादा दिलचस्पी महारानी गायत्री देवी की गिरफ़्तारी में थी.
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महारानी गायत्री देवी की गिरफ़्तारी के बाद लेखक खुशवंत सिंह ने लिखा था,
गायत्री देवी पर कोई राजनीतिक आरोप नहीं लगे थे, बल्कि इंदिरा गांधी के इनकम टैक्स ऑफ़िसर ही उनके ख़िलाफ़ जंग छेड़े हुए थे. न्यूयॉर्क टाइम्स ने सरकार के हवाले से एक ख़बर छापी थी कि गायत्री देवी के खजाने से 17 मिलियन डॉलर का सोना और हीरे मिले हैं. मगर महारानी इस बात से बिल्कुल बेपरवाह थीं क्योंकि वो अपनी सारी संपत्ति का हिसाब वो पहले ही दे चुकी थीं. इसी क़िस्से को ‘बादशाहों’ फ़िल्म में थोड़ा ड्रैमेटिंक दिखाया गया है.
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हालांकि, महारानी की गिरफ़्तारी इमरजेंसी में हुई थी और वो इमरजेंसी लगने से पहले ही मुंबई किसी बीमारी का इलाज कराने चली गई थीं. महारानी गायत्री देवी को पता था कि अगर वो दिल्ली गईं तो उनकी गिरफ़्तारी हो सकती है. इसके बावजूद भी वो दिल्ली आ गईं और मॉनसून सत्र में हिस्सा लेने के लिए लोकसभा भी गईं, लेकिन लोकसभा से विपक्ष बिल्कुल नदारद था. फिर शाम को जब इनकम टैक्स ऑफ़िसर महारानी के घर पहुंचे और उनके सौतेले बेटे भवानी सिंह को गिरफ़्तार किया तो आर्मी के लोग विरोध करने लगे क्योंकि उन्हें 1971 के युद्ध में महावीर चक्र मिल चुका था.
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इंदिरा गांधी ने महारानी गायत्री देवी को गिरफ़्तार सिर्फ़ उनसे चिढ़ने के चक्कर में कराया था. दरअसल, इंदिरा गांधी और गायत्री देवी दोनों ही शांति निकेतन में पढ़ी थीं इसलिए एक-दूसरे को जानती थीं. दोनों में दरार तब आई जब लंदन में पली-बढ़ीं गायत्री देवी कांग्रेस में शामिल होने के बजाय 1962 में स्वतंत्र पार्टी की टिकट लेकर लोकसभा चुनाव लड़ीं और 2,46,515 वोट्स में से 1,92,909 वोट्स से यानी 78 फ़ीसद वोट से जीत गईं. विदेशी अख़बारों ने इसे दुनिया की सबसे बड़ी जीत घोषित किया, क्योंकि इतने वोट तो इंदिरा गांधी के पिता नेहरू जी को भी नहीं मिले थे.
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इसके बाद वो हर बार कांग्रेस को हराती रहीं. इससे इंदिरा गांधी को उनसे चिढ़ होने लगी. संसद में इंदिरा गांधी पर उनकी टिप्पणियों का ज़िक्र खुशवंत सिंह ने किया है, इसके बाद इंदिरा गांधी को लगने लगा था कि इन्हें सबक सिखाना ज़रूरी है इसी के चलते इमरजेंसी में मौका देखकर गायत्री देवी को तिहाड़ जेल भेज दिया.
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गायत्री देवी ने तिहाड़ जेल में साढ़े पांच महीने बिताए. इस दौरान उन्होंने जो देखा और समझा उसके बारे में लिखा. उन्होंने बताया कि,
उनके सेल में एक कम्युनिस्ट कार्यकर्ता श्रीलता स्वामीनाथन भी बंद थीं, जिन्हें राजीव गांधी के फ़ार्म हाउस के कामगारों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए गिरफ़्तार किया गया था, उन्होंने अपना बेड महारानी को दिया. श्रीलता स्वामीनाथन के बाद दूसरी महिला लैला बेग़म अपने दो बच्चों के साथ गिरफ़्तार हो कर आई, जिसे कॉफ़ी हाउस के बाहर नारे लगाने के लिए गिरफ़्तार किया गया था, उसने और उसके बच्चों ने महारानी की ख़ूब सेवा की.
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गायत्री देवी को लो ब्लड प्रेशर की शिक़ायत थी, इसलिए उन्हें ऑमलेट और प्रोटीन वाला खाना दिया जाता था. इनकी सेल के एक तरफ महिलाओं की सेल थी तो दूसरी तरफ़ राजनीतिक मर्द कैदियों की. महिलाओं की सेल में प्रॉस्टीट्यूट्स चिल्लाती थीं. वहीं मर्द कैदी अक्सर देशभक्ति गीत गाते थे. इस बत का ज़िक्र करते हुए रानी ने अपनी आत्मकथा ‘ए प्रिंसेज़ रिमेंबर्स’ (A Princess Remembers: Memoirs of the Maharani of Jaipur) में लिखा है कि Tihar Jail was like a fish market. Filled with petty thieves and prostitutes screaming. इसके अलावा लिखा, एक महिला का तो प्रसव बाथरूम में हो गया था.
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रिहाई के लिए उन्हें कहा गया कि अगर वो इमरजेंसी और इंदिरा के 20 सूत्रीय कार्यक्रम को समर्थन देने वाले पत्र पर हस्ताक्षर कर दें तो वो छूट जाएंगी, लेकिन उन्होंने मना कर दिया. फिर आख़िरी में उनकी बहन के दवाब बनाने पर उन्होंने साइन किए और वो ऐसा कहा जाता है कि, माउंटबेटन ने भी उनकी रिहाई के लिए इंदिरा गांधी सेजनवरी 1976 में पेरोल पर किसी ऑपरेशन के बहाने बाहर आ गईं. बात की थी. एक और दिलचस्प बात ये है कि गायत्री देवी की मां का नाम भी इंदिरा देवी था और वो उनकी प्रेरणाश्रोत थीं.