Why Aurangzeb was buried in Aurangabad: मुही अल-दीन मुहम्मद यानी औरंगज़ेब, मुग़ल सल्तनत का छठा सम्राट था, जिसने 1658 से लेकर 1707 में अपनी मृत्यु तक राज किया. वहीं, औरंगज़ेब की बादशाहत के तहत मुग़लों ने दक्षिण एशिया के बड़े हिस्से को अपनी अधीन कर लिया था. भारत पर भी मुग़लों ने कई वर्षों तक राज किया. BBC के अनुसार, औरंगज़ेब ने 15 करोड़ लोगों पर क़रीब 49 सालों तक राज किया.
आइये, अब विस्तार से जानते हैं Why Aurangzeb was buried in Aurangabad in Hindi

औरंगाबाद को बनाया राजधानी
Why Aurangzeb was buried in Aurangabad: जिस औरंगाबाद शहर का नाम बदलकर अब संभाजी नगर कर दिया गया है, वो कभी औरंगज़ेब की राजधानी हुआ करता था. औरंगज़ेब के नाम पर ही इस शहर का नाम औरंगाबाद पड़ा. कहते हैं कि जब दक्कन पर मुग़लों ने आक्रमण किया, तब इस शहर को ही जो उस वक़्त फ़तेहपुर के नाम से जाना जाता था, राजधानी के लिए चुना गया. वहीं, एक लंबा वक़्त औरंगज़ेब ने यहां बिताया. इसलिए, इस शहर का मुग़लों से गहरा नाता है.
औरंगज़ेब का मक़बरा (Tomb of Aurangzeb)

Tomb of Aurangzeb: औरंगज़ेब की मृत्यु 1707 में हुई थी. वहीं, बहुतों को इस बारे में जानकारी नहीं होगी कि औरंगाबाद ज़िले के ख़ुल्दाबाद शहर में ही औरंगज़ेब को दफ़नाया गया था. यहीं औरंगज़ेब का मकबरा है. ये मक़बरा (Where is Aurangzeb Tomb) अब एक ऐतिहासिक स्मारक है और एएसआई (Archaeological Survey of India) के संरक्षण में है. बता दें कि औरंगज़ेब की मौत के बाद बेटे आज़म शाह ने मक़बरे का निर्माण कराया था.
मक़बरा साधारण होना चाहिए…


Why Aurangzeb was buried in Aurangabad: कहते हैं कि ख़ुद बादशाह औरंगज़ेब ने कहा था कि उनका मक़बरा साधारण रूप से ही बनाया जाए. इसके अलावा, इसे ‘सब्ज़े’ के पौधे से ढंका जाए और ऊपर कोई छत नहीं होनी चाहिए. मक़बरे के पास एक पत्थर है जिसपर लिखा है ‘अब्दुल मुज़फ़्फ़र मुहीउद्दीन औरंगज़ेब आलमगीर’, जो कि औरंगज़ेब का पूरा नाम है. इसके अलावा, इस पत्थर पर औरंगज़ेब के जन्म और मृत्यु की तारीख़ (हिज़्री कैलेंडर के अनुसार) भी लिखी हुई है.
औरंगबाद में ही क्यों दफ़नाया गया औरंगज़ेब को?

Why Aurangzeb was buried in Aurangabad: आइये, अब आपको बताते हैं कि आख़िर क्यों औरंगबाद में ही क्यों दफ़नाया गया औरंगज़ेब को? दरअसल, औरंगज़ेब ने जब अपनी वसीयत बनाई, तो उसमें ये लिखवाया कि उनकी मृत्यु के बाद उन्हें गुरु सूफ़ी संत सैयद ज़ैनुद्दीन के पास दफ़नाया जाए, जिनका इंतकाल बहुत पहले ही हो चुका था.
एक धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है ख़ुल्दाबाद

ख़ुल्दाबाद में औरंगज़ेब और संत सैयद ज़ैनुद्दीन के अलावा और भी कई रईसों हस्तियों की कब्र मौजूद हैं. इसे कभी ‘ज़मीन पर जन्नत’ कहा जाता था. वहीं, कहते हैं कि इतिहास में यहां दूर-दूर से सुफ़ियों और संतों का आगमन होता था. ये सुफ़ी संतों का बड़ा केंद्र और इस्लाम का गढ़ भी रहा है.