World Food Safety Day: भारत में ऐसे कितने लोग हैं, जो खाने-पीने की चीज़ें ख़रीदते वक़्त प्रोडेक्ट सी जुड़ी डिटेल पढ़ते हैं? ज़ाहिर तौर पर बहुत कम ही लोग होंगे. वजह सिर्फ़ ये नहीं है कि लोगों में जागरूकता की कमी है. दरअसल, नामी फूड ब्रांड कंपनियां भी अपने प्रोडेक्ट्स के बारे में जो डिटेल शेयर करती हैं, वो आम आदमी के समझ से परे है.
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जानिए क्या होती है न्यूट्रिशियन लेबलिंग?
दरअसल, किसी फ़ूड प्रोडेक्ट के पोषक गुणों के बारे में उपभोक्ताओं को जानकारी देने का एक तरीका है. ये है न्यूट्रिशन लेबलिंग. इसमें दो तरीके होते हैं. पहला तो अनिवार्य लेबलिंग, जो आपको पैकेट के पीछे छोटे अक्षरों में पोषक तत्वों का विवरण देता है. दूसरा है फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग, जो पैकेट के सामने की तरफ़ होती है. इसमें वो अतिरिक्त जानकारी शामिल होती है, जो अनिवार्य लेबलिंग को समझने के लिए दी जाती है.
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अब भारत में फ्रंट-ऑफ-पैक लेबलिंग का कोई चक्कर ही नहीं है. दूसरा, भारत में न्यूट्रिशन लेबलिंग के तहत नमक/सोडियम और एडेड शुगर की जानकारी देना अनिवार्य नहीं है. पोषक तत्वों की जानकारी देना भी वैकल्पिक है, जबकि ये अनिवार्य होना चाहिए. वार्निंग लेबल की व्यवस्था को भी औपचारिक तौर पर लागू नहीं किया गया है.
Food Label Decoding: कैसे करें ख़ुद के लिए सेहतमंद खाने का चयन?
सवाल ये है कि क्या कोई तरीका नहीं है, जिससे हम अपने लिए बेहतर फ़ूड सेलेक्ट कर सकें? दरअसल, अगर आप हेल्दी फ़ूड लेना चाहते हैं, तो आपको फ़ूड लेबल को डिकोड करना आना चाहिए. इसके लिए आपको फू़ड लेते वक़्त कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना होगा.
मसलन, हमें किसी भी खाद्य पदार्थ को खरीदने से पहले उसके लेबल और उसपर लगे FSSAI चिन्ह की जांच ज़रूर करनी चाहिए. छोटे से छोटा सामान भी बिना लेबल देखे नहीं खरीदना चाहिए. FSSAI चिन्ह हर खाने-पीने की चीज़ पर दिया ही होता है.
हमें लेबल पर लिखी सामग्री और उसकी मात्रा पढ़कर ही प्रोडक्ट्स खरीदने चाहिए. ज़रूरी नहीं जो चीजें दिखने में स्वस्थ लगें, वो वास्तव में भी अच्छी हों. हमें processed और refined ingredients का इस्तेमाल करने से भी बचना चाहिए.
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दरअसल, लेबल पर लो फैट पढ़कर हम सोचते हैं कि प्रोडक्ट लाभदायक होगा. जबकि वास्तव में प्रोडक्ट को स्वादिष्ट बनाने के लिए processed sugar का इस्तेमाल किया गया होता है. ऐसे में हमें लेबल पर लो फैट देखने के बजाय सामग्री और additives चेक करने चाहिए.
हृदय रोग के अपने जोखिम को कम करने के लिए उन प्रोडेक्ट्स का चयन करना चाहिए, जिनमें सैचुरेटड और ट्रांस फ़ैट कम हो. साथ ही, कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी न्यूनतम हो.
अगर आपको हाई ब्लड प्रेशर की दिक्कत हो, तो वो खाद्य पदार्थ लें, जिनमें सोडियम की मात्रा कम हो.
ऐसे खाद्य पदार्थों का चुनाव करें जो विभिन्न प्रकार के विटामिनों से भरपूर हों क्योंकि वे हमें संक्रमण से लड़ने और हमें स्वस्थ रखने में मदद करते हैं.
फाइबर की मात्रा चेक करें. फाइबर पाचन क्रिया और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करता है.
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फ़ूड का न्यूट्रिशियन लेवल अगर समझना हो तो डेलू वैल्यू चेक करनी चाहिए. मसलन, 5% या उससे कम के DV का मतलब है कि उस फ़ूड में पोषक तत्वों की कमी है. वहीं, 20% या उससे अधिक का मतलब है कि उसका न्यूट्रिशन लेवल काफ़ी है.
फ़ूड प्रोडेक्टर पर FSSAI के अलावा दूसरे लोगो भी चेक करें
अगर आप पैकेज्ड ड्रिंकिंग और मिनरल वाटर या नवजात बच्चों के लिए दूध और स्किम्ड मिल्क जैसे कुछ प्रोसेस्ड फूड खरीद रहे हैं, तो उस पर ISI मार्क चेक कर लें.
सभी कृषि उत्पादों जैसे वनस्पति तेल, दालें, अनाज, मसाले, शहद, फल और सब्जियों के लिए एगमार्क (AGMARK) ज़रूर होना चाहिए.
अगर फू़ड पैकेजिंग पर प्रोडेक्ट के वेजिटेरियन होने का दावा हो, तो उस पर ग्रीन डॉट बना होगा.
वहीं, अंडे सहित मांसाहारी भोजन के लिए ब्राउन डॉट होगा.
इसके अलावा,‘फोर्टिफाइड’ भोजन का मतलब है कि भोजन में आवश्यक पोषक तत्व जैसे विटामिन और खनिज शामिल किए गए हैं. यानि गेहूं का आटा, चावल, दूध, तेल और नमक में अगर ये मिले हैं, तो वो खाने से पोषक तत्वों की आपकी दैनिक आवश्यकता को पूरा करने में मदद करेंगे. जिससे आपको बढ़ने, संक्रमण से लड़ने और मजबूत और स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी.
ऑर्गेनिक फ़ूड के लिए ‘जैविक भारत’ लोगो बना है.
World Food Safety Day: उम्मीद है कि अब आप अपने लिए बेहतर फ़ूड विकल्प का चुनाव कर पाएंगे.