बढ़ती उम्र की झुर्रियां किसी को बिगाड़ देती हैं, तो किसी को निखार. ये झुर्रियां ज़िंदगी को जीने का हौसला बन जाती है, जो कभी पीछे मुड़ना नहीं सिखाती है. हम सलमान ख़ान और शाहरुख़ ख़ान को देखकर बोलते हैं कि इनकी उम्र का पता ही नहीं चलता. मगर ये न तो समलान हैं न ही शाहरुख़ ये हैं बिहार के सासाराम ज़िले के तिलई गांव के रहने वाले हरिनारायण सिंह, जो पेशे से वक़ील हैं. इन्होंने 21 सितंबर को अपनी ज़िंदगी के 101 साल पूरे किए हैं. मगर कोर्ट में इनकी वक़ीलों से जिरह और इनकी उम्र को कोई लेना देना नहीं है.

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पिता की इच्छा के लिए वक़ील बने

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हरिनारायण आज भी नियमित रूप से कोर्ट जाते हैं और इतनी बेबाक़ी से अपनी बात रखते हैं कि सामने वालों के पसीने छूट जाते हैं. इनका जन्म 21 सितंबर 1918 को सासाराम ज़िले के तिलई गांव में हुआ था. हरिनारायण ने अपने पिता की इच्छा को पूरा करते हुए 1948 में कोलकाता के प्रसिडेंसी कॉलेज से लॉ की डिग्री ली. कुछ साल कोलकाता में बिताने के बाद वो सासाराम वापस आए और 1952 में उन्होंने लॉ की प्रैक्टिस शुरू कर दी. पिछले 67 सालों से बिना रुके और बिना झुके वकालत कर रहें हैं.

संयुक्त परिवार में रहते हैं

हरिनारायण सिंह ने 1941 में बबुनी देवी से शादी की थी, उनकी पत्नी भी 100 की हो चुकी हैं. सिंह के संयुक्त परिवार में 40 से अधिक सदस्य हैं, जिसमें उनके चार बेटे, एक बेटी और 47 पोता-पोती हैं. इनके घर की एक ख़ास बात है कि आज भी मुखिया हरिनारायणसिंह ही हैं.और उनके परिवार के सभी सदस्य उन्हें अपने दिनभर की गतिविधियों के बारे में नियमित रूप से बताते हैं.

सिंह के पोते भुपेंद्र का कहना है, 

उनका चयन राज्य सरकार में टैक्स अधिकारी के तौर पर भी हुआ था, लेकिन उन्होंने अपने पिताजी की इच्छा पूरी करने के लिए वक़ालत को चुना.

कई लोगों के लिए मिसाल हैं हरिनारायण सिंह

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इतने सालों से ईमानदारी और मुस्तैदी से वक़ालत करने की वजह से सिंह बहुत से नए वक़ीलों के लिए मिसाल हैं. कोर्ट में उनका जिरह करने के तरीके को देखकर लोग उनकी तारीफ़ करते नहीं थकते. दर्जनों सुवा वक़ील उनसे क़ानून की बारीकियां सीखने आते हैं. आज उनके कई स्टूडेंट बड़े-बड़े न्यायलयों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. मगर सिंह अपनी क़ामयाबी का पूरा श्रेय अपने सीनियन रामनरेश सिंह को देते हैं. 

राजनीति से नहीं है कोई ताल्लुक़

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सिंह के बेटे कृष्ण कुमार सिंह जदयू के वरिष्ठ नेता हैं और पूर्व विधान पार्षद रह चुके हैं. राजनीति में बहुत अच्छी पकड़ होने की वजह से कई बड़ों लोगों का सिंह के घर में आना जाना है. मगर हरिनारायण सिंह ने कभी राजनीति में दखल नहीं दी. उनका मानना है कि वो मूलरूप से एक वक़ील हैं और जब घर पर हैं, तो किसान हैं.

साधारण ज़िंदगी जीने वाले हरिनाराण सिंह अपने परिवार के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं. ज़िंदगी को इस जज़्बे के साथ जीने वाले लोग अपने परिवार के लिए ही नहीं पूरी दुनिया के लिए प्रेरणादायक होते हैं.

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