अंधविश्वास, मतलब किसी भी चीज़ पर सोचे-समझे बिना विश्वास कर लेना. अंधविश्वास हमेशा से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिलता रहा है, इसलिए ये कभी ख़त्म नहीं हुआ. अंधविश्वास का मुख्य कारण डर है, जिसकी वजह से इंसान बिना तर्क किए, उन सभी चीज़ों को स्वीकार कर लेता है, जिनसे उसे डराया जाता है.

आज हम आपको कुछ ऐसे ही अंधविश्वास के बारे में बताते हैं, जो लोगों के डर की वजह से आज भी समाज में प्रचलित हैं.

1. 666 से जुड़ा अंधविश्वास

ये अंधविश्वास ‘The Omen’ नाम की फ़िल्म के रिलीज़ होने के बाद काफ़ी ज़्यादा फैल गया. इसके मुताबिक अगर कोई बच्चा छठे महीने की 6 तारीख को 6 बजे पैदा होता है, तो वो बच्चा शैतान का रूप होता है. इस अंधविश्वास ने जून 2006 में काफ़ी आतंक मचाया था. इसलिए कई महिलाओं ने जो 6 जून को बच्चे को जन्म देने वाली थी, उन्होंने ऑपरेशन के माध्यम से पहले ही अपनी डिलीवरी करा ली.

2. पूजा के समय दीपक का बुझना

हिन्दू लोग भगवान की पूजा और आरती, दीपक (दीया) जलाकर करते हैं. दीपक से आरती करते समय वे लोग Fan (पंखे) को बन्द कर देते हैं. उनका मानना है कि आरती के समय दीपक का बुझ जाना किसी बड़े अपशगुन का संकेत होता है.

3. नींद में कंपकंपाना

इस अंधविश्वास में माना जाता है कि जब व्यक्ति नींद में कंपकंपाता है, तो उस समय कोई भूत उसके बिस्तर के ऊपर से गुज़रता है.

4. शीशे का टूटना

सामान्य बोलचाल में कहा जाता है कि शीशा तोड़ने वाले का सात साल तक बुरा समय चलता है. अकसर देखा जाता है कि टूटे हुए शीशों से लोगों को चोट पहुंच जाती है. इस अंधविश्वास को मानने के पीछे यही मुख्य कारण है.

5. सांप को मारना

सांप जहरीला होता है इसलिए लोग उससे डरने के साथ-साथ उसे ख़तरनाक भी समझते हैं. लेकिन ऐसे लोगों की संख्या भी काफ़ी ज़्यादा है, जो सांप को पूजते हैं. अंधविश्वास के अनुसार सांप मारने वाले का चेहरा अपनी आंखों में क़ैद कर लेता है और उस सांप का जोड़ा मारने वाले से बदला लेता है.

6. छिपकली का ऊपर गिरना

कुछ लोगों का मानना है कि छिपकली जहरीली होती है. इसी धारणा के कारण इंसानों के ऊपर छिपकलियों के रेंगने को अशुभ माना जाता है. जबकि इस बात में कोई सच्चाई नहीं है.

7. कुत्तों का रोना

कुत्तों के अन्दर सूंघने की क्षमता ज़्यादा होती है. माना जाता है कि कुत्ते आत्मा और आने वाली मौत की आहट को पहचान लेते हैं. इसीलिए कुत्तों के रोने को अपशगुन माना जाता है.

8. आठवें बच्चे को माना जाता है दुर्भाग्य का प्रतीक

ये भारत में प्रचलित अंधविश्वासों में सबसे पुराना है. इसके मुताबिक, आठवां बच्चा पैदा होने के साथ ही अपने परिवार के लिए मुसीबतें लेकर आता है. हो सकता है कि पुराने समय में इस अंधविश्वास को जनसंख्या नियंत्रित करने के लिए बनाया गया हो.

9. सपने में सांप दिखना

इस अंधविश्वास को सिर्फ़ भारत में ही माना जाता है. सांप भगवान शिव के गले में रहता है, इसलिए भारतीय लोगों के द्वारा सांप की पूजा की जाती है. चूंकि, भगवान शिव विनाश के देवता हैं इसलिए सपने में सांप का दिखना अपशगुन माना जाता है.

10. एक आंख का फड़कना

ऐसा माना जाता है कि जब लगातार एक आंख फड़कती है, तो ये आने वाली किसी बुरी घटना का संकेत होती है, जबकि वैज्ञानिक दृष्टि से एक आंख का फड़कना किसी तन्त्रिका सम्बंधी गड़बड़ी के कारण होता है.

11. सुबह के सपने सच होते हैं!

इस बात पर कई सारे लोग विश्वास करते हैं कि सुबह (3 बजे के बाद) देखे जाने वाले सपने सच हो जाते हैं. ‘The Exorcism of Emily Rose’ नाम की फ़िल्म में दिखाया गया है कि मुख्य किरदार सुबह के समय एक बुरा सपना देखती है, जो सच हो जाता है. चूंकि, ये फ़िल्म सच्ची घटना पर आधारित थी, जिसने इस अंधविश्वास को और भी डरावना बना दिया है.

12. छींक से जुड़ा अंधविश्वास

कहते हैं कि जब भी कोई छींकता है, तो उसके अन्दर की अच्छाई निकल जाती है और फिर कुछ अशुभ घटित होता है. घर से बाहर निकलते समय भी छींकने को बुरा माना जाता है.

13. शुक्रवार और 13  से जुड़ा अंधविश्वास

ये सबसे ज़्यादा फैला हुआ अंधविश्वास है. 13 को बहुत से लोग अशुभ संख्या मानते हैं. अकसर देखा जाता है कि मकान संख्या में 12 के बाद सीधे 14 आता है और अंधविश्वास के कारण 13 को छोड़ दिया जाता है. शुक्रवार को ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाया गया, इसलिए इसे भी अशुभ माना जाता है.

14. सीढ़ी के नीचे से गुजरना

पहले के समय में लोगों को सीढ़ी से लटकाकर फांसी दी जाती थी. ऐसा माना जाता है कि उन लोगों की आत्मा उन सीढ़ियों के त्रिकोण में फंस जाती थी और वहां से गुज़रने वालों पर हमला कर देती थी.

15. काली बिल्ली का रास्ता काटना

ये सबसे आम अंधविश्वास है, जिसे लगभग सभी जगहों पर माना जाता है. अगर कोई काली बिल्ली रास्ता काटती है, तो आगे नहीं जाना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर कोई अप्रिय घटना घट सकती है. भूत-प्रेतों की कहानियों में भी काली बिल्लियों का उल्लेख मिलता है, जिसने इस अंधविश्वास को बढ़ाने में मदद की है.