कोरोना वायरस के बढ़ते संकट के चलते लॉकडाउन को 17 मई तक बढ़ा दिया गया है. जिसकी वजह से ग़रीबों को न तो काम मिल रहा है और न ही खाना. ऐसे में जो लोग इनकी मदद कर सकते हैं वो आगे आ रहे हैं और इन्हें राशन के साथ-साथ ज़रूरत की चीज़ें मुहैया करा रहे हैं.

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हाल ही में दिल्ली की रहने वाले उद्यमी गुरप्रीत वासी भी ग़रीबों की मदद के लिए आगे आईं. सिर्फ़ राशन नहीं, बल्कि उन्होंने बच्चों के लिए मफ़िंस भी बांटे. दरअसल, ये बच्चे रोटी और खिचड़ी को देखकर तेज़ी से इक्ट्ठा तो हो जाते हैं, लेकिन इनके चेहरे पर कोई मुस्कान नहीं होती है. गुरप्रीत ने बच्चों की उसी मुस्कान को देखने के लिए मफ़िंस बांटे क्योंकि मीठे से अच्छा तो कुछ नहीं होता है.

गुरप्रीत ने इसके लिए अपने फ़ेसबुक पर एक पोस्ट डाली,

अगर कोई भी मफ़िन बनाने में मेरी मदद कर सकता है, तो मुझे बताए क्योंकि इन दिनों इस तरह की चीज़ें मिलना मुश्क़िल है.
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गुरप्रीत के पोस्ट को पढ़कर दो कंपनियां उनका साथ देने के लिए आगे आईं. इन दोनों कंपनियों में एक कंपनी फ़्रूट बन्स बनाने की थी, तो दूसरी बेकरी मफ़िंस बनाती है.

गुरप्रीत का कहना है,

बच्चे इस तरह की चीज़ें पाकर बहुत ख़ुश हो जाते हैं. मैंने देखा कि वो बच्चे रोटियों के साथ ख़ुशी-ख़ुशी मफ़िंस खा रहे थे. संकट की इस घड़ी में इतना प्यार और ख़ुशी देखकर सुकून मिलता है. 

दिल्ली की गुरप्रीत की तरह ही मेवात के Tauru (तावडू) में रहने वाले 11वीं क्लास के स्टूडेंट विनीत ने भी ऐसा ही नेक काम किया. उन्होंने मेवात जेजे कॉलोनियों में रहने वाले बच्चों को राशन के साथ केक बांटा.

विनीत ने बताया,

बच्चों को मीठा बहुत अच्छा लगता है और वो लॉकडाउन के चलते हफ़्तों से चॉकलेट या कैंडी नहीं खा पा रहे हैं. इसलिए मैंने उन्हें सूखे राशन के साथ केक भी दिया. केक को देखकर बच्चों की आंखों में जो चमक थी वो अनमोल थी.

तावडू के एसडीएम सतीश यादव कहते हैं,

ये बहुत अच्छा है कि एनजीओ के साथ-साथ आम लोग भी मदद करने के लिए हमसे संपर्क कर रहे हैं. ज़रूरतमंदों को सारी चीज़ें सुचारू रूप से मिले इसके लिए एक समिति बनाई गई है, जो इन सब बातों को पूरी ज़िम्मेदारी के साथ संभाल रही है.

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